झारखंड में एक बार फिर मॉनसून सुस्त दिखाई पड़ रहा है. इसका सीधा असर राज्य में खरीफ फसलों की खेती पर पड़ रहा है. आसमान में बादल तो आ रहे हैं पर बरसने के बजाय अपना रास्ता भटक जा रहे हैं और बारिश नहीं हो पा रही है. हल्की बारिश के बाद ही मौसम साफ हो जाता है. बारिश के इस पैटर्न ने एक बार फिर किसानों के अंदर सूखे का डर पैदा कर दिया है. किसान धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार तो कर रहे हैं पर उनके अंदर पिछले दो वर्षों के दौरान लगातार पड़े भयंकर सूखे का डर साफ दिखाई दे रहा है. किसान भारी मन से यही कह रहे हैं कि वे फसल लगा तो रहे हैं, देखें क्या होता है. अब आगे भगवान की मर्जी.
इस तरह से भगवान भरोसे किसान खेती कर रहे हैं. 18 जुलाई आ चुका है पर अभी तक राज्य में खरीफ फसलों की खेती का लक्ष्य 10 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ है. कृषि निदेशालय की तरफ से जारी किए गए हालिया अपडेट के अनुसार राज्य में अभी तक निर्धारित लक्ष्य की तुलना में मात्र 9.82 प्रतिशत क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई और रोपाई हो पाई है. विभाग की तरफ से जारी 16 जुलाई तक के आंकड़ों के अनुसार राज्य में 71 हजार 351 हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी है. जबकि 86,506 हेक्टेयर में मक्का, 74,000 हेक्टेयर में दलहन, 10,257 हेक्टेयर में तिलहन और 4,457 हेक्टेयर में मोटे अनाज की खेती की गई है.
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राज्य में फसलों की बुवाई को लेकर सबसे खराब स्थिति लोहरदगा जिले की है. यहां पर अभी तक धान की खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य की तुलना में एक फीसदी क्षेत्र में भी धान की खेती नहीं हो पाई है. जिले में धान की खेती लिए 47,000 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है पर मात्र 190 हेक्टेयर में ही धान की खेती हो पाई है. सिर्फ मक्के की खेती का क्षेत्रफल ही संतोषजनक स्थिति में है. यहां पर 7120 हेक्टेयर में मक्के की खेती का लक्ष्य रखा गया है. जिसकी तुलना में 1463 हेक्टेयर में मक्के की खेती की गई है. जबकि तिलहनी फसलों की बुवाई का लक्ष्य मात्र पांच फीसदी पूरा हुआ और दलहनी फसलों की बुवाई का लक्ष्य मात्र 6 फीसदी ही पूरा हुआ है.
राज्य में बारिश की स्थिति को पर नजर डालें तो अभी तक राज्य में अच्छी बारिश नहीं हुई है. मौसम विज्ञान केंद्र रांची की तरफ से एक जून से लेकर 17 जुलाई तक के लिए जारी बारिश बारिश के आंकड़ों के अनुसार राज्य में अब तक 188.1 एमएम बारिश दर्ज की गई है. जबकि इस अवधि के दौरान 359.8 एमएम होती है. इस तरह से राज्य में अब तक 48 फीसदी कम बारिश हुई है. सबसे खराब स्थिति लोहरदगा जिले की है. यहां पर सामान्य से 68 फीसदी कम बारिश हुई है. 24 में 22 ऐसे जिले हैं जहां पर सामान्य से कम बारिश हुई है. इनमें 17 ऐसे जिले हैं जहां पर सामान्य से 50 फीसदी कम बारिश हुई है और 5 ऐसे जिले हैं जहां पर सामान्य से 60 फीसदी से कम बारिश हुई है.
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बारिश नहीं हो पाने के कारण लगातार पिछले दो साल से राज्य में धान की खेती पर असर पड़ा है. धान की खेती नहीं हो पा रही है. झारखंड में कुल 28 लाख 27 हजार 460 हेक्टेयर में खरीफ फसलों खेती की जाती है. जिसमें 18 लाख हेक्टेयर में सिर्फ धान की खेती की जाती है. पर लगातार पिछले दो साल से राज्य में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में कम खेती हो रही है. साल 2022 में निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 50.63 फीसदी क्षेत्र में खरीफ फसलों की खेती हुई थी. जबकि इस साल धान की खेती के लिए निर्धारित लक्ष्य की तुलना में मात्र 47.50 फीसदी क्षेत्र में ही धान की खेती हो पाई थी. वहीं साल 2023 में मात्र 11 लाख हेक्टेयर में ही खरीफ फसलों की खेती हुई थी.
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