चक्रवात मिचौंग के कारण झारखंड के सभी जिलों में बारिश हो रही है. इसके चक्रवात के असर के कारण मंगलवार रात से लगातार बारिश हो रही है. गुरुवार को भी जारी है. इस बारिश के कारण झारखंड के किसानों को फायदा और नुकसान दोनों हुआ है. धान की खेती को इस बारिश से नुकसान हुआ है क्योंकि धान की फसल काटने के लिए तैयार है या फिर काटकर किसानों ने उसे खेत पर ही रखा था ऐसे में बारिश के कारण धान भींग गई है औऱ वह खराब हो गई है. खास कर जो किसान बीज उत्पादने के लिए धान को भेजते हैं अब वो उस धान को नहीं भेज सकते हैं. जबकि सब्जी और अन्य रबी फसलों की खेती के लिए यह बारिश अच्छी मानी जा रही है.
दुमका जिले की बात करें तो यहा पर मंगलवार रात से रुक रुक कर बारिश हो रही है. इसके कारण तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. कृषि विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया है कि सात दिसंबर तक चक्रवात का असर होगा. आठ दिसंबर से मौसम सूखा रहेगा हालांकि सुबह से वक्त घना कोहरा देखने के लिए मिल सकता है. केवीके दुमका की प्रधान वैज्ञानिक किरण सिंह ने कहा कि मिचौंग तूफान के प्रभाव के कारण मौसम में बदलाव हुआ है और बारिश हो रही है. किसानों को इस दौरान अपने फसलों के बचाव का प्रबंधन करना चाहिए.
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किरण सिंह ने कहा कि बारिश के कारण धान की फसल को नुकसान हुआ है क्योंकि धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी, इसके साथ ही कई किसान ऐसे भी रहे जिन्होंने धान की कटाई करने के बाद उसे खलिहान का खेत में रखा था, धान की थ्रेसिंग नहीं की थी और उसका सुरक्षित भंडारण नहीं किया था. इसलिए किसानों को बारिश को देखते हुए उसे ढंक कर रखना चाहिए या फिर किसी सुरक्षित जगह पर उसका भंडारण करना चाहिए. इसके अलावा आलू की खेती करने वाले किसानों को भी इस बारिश से नुकसान हो सकता है. इसलिए किसान आलू के बीज की रोपाई से पहले रेडामिल 278 से उसे उपचारित करें. साथ ही आलू में झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है इसलिए आलू के खेत में धुंआ करें.
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वहीं कृषि विज्ञान केंद्र गुमला के वैज्ञानिक अटल पांडेय ने बताया कि बारिश के कारण अचानक हुए मौसम में बदवाल के कारण जिले में धान की फसल को नुकसान हुआ है, आलू और सरसों की खेती भी इसके कारण प्रभावित हुई है. हालांकि किसानों को इसके लिए जागरूक किया गया है. वहीं दूसरी तरफ आम और अरहर की फसल के लिए यह बारिश उपयोगी है. पर जिस अरहर में फूल आ गए उनमें बारिश के कारण कीट का प्रकोप हो सकता है.
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