कोरोना कल का लॉकडाउन आखिर किस को याद नहीं होगा. कोरोना काल किसी के लिए आपदा से कम नहीं रहा, तो कई लोगों के लिए आपदा में अवसर साबित हुआ. ऐसे ही किसान है ऋतुराज सिंह जो यूपी के बिजनौर के रहने वाले हैं. जिन्होंने कोरोना काल को आपदा से अवसर में बदल दिया, जब इंडिया टुडे की टीम ने ऋतुराज से पूछा कि आखिर हर महीने 65000 कमाने वाला कॉरपोरेट जॉब का लड़का, जब कोरोना काल में अपने गांव आया तो वह गांव में ही क्यों रह गया?
ऋतुराज सिंह बताया कि जब कोरोना काल में लॉकडाउन लगा, तो बड़े शहरो में चारों ओर डर का माहौल था, लेकिन जब वो अपने गांव उमरी पहुंचें तो उन्हें एक अलग ही शांति का एहसास हुआ, फिर एक दिन जब पूरा परिवार एक साथ बैठा था, तभी उनके पापा ने कहा कि वो अपने गांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते हैं, उस वक्त ऋतुराज ने ठान लिया कि उन्हें अपने आगे का जीवन और भविष्य खेती में ही तलाशना है और ऑर्गेनिक खेती करके खेती के क्षेत्र में क्रांति लानी है.
ये भी पढ़ें:- लीची के बगीचे में स्टार फ्रूट की बागवानी, हो रही अच्छी कमाई
सबसे पहले ऋतुराज ने वर्ष 2020 में ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए केवल तीन बीघा जमीन से शुरुआत की जिसमें उनका खेती करने में कम से कम 5 से 6 लाख रुपये की लागत आई. उन्होंने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा खर्च सीमेंट के पोल्स बनाने में आया क्योंकि ड्रैगन फ्रूट बेल की तरह चलता है तो उसमें सीमेंट का पोल खेत में बनाना होता है. वहीं, अब वर्ष 2024 में ऋतुराज सिंह 3 बीघा जमीन से बढ़ाकर 6 बीघा जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं.
किसान ऋतुराज ने बताया कि जब ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की थी तो ड्रैगन फ्रूट की प्लांटेशन सितंबर 2020 में कि थी जिसके बाद फ़सल जून 2021 में तैयार हो गई. ऐसे में वो तीन बीघा से केवल 4 कुंटल ड्रैगन फ्रूट ही ऊगा पाए, जिसकी प्रति किलो का रेट 200 रुपये थी, जिसमें उन्हें केवल 80000 का प्रॉफिट हुआ. 2022 में ड्रैगन फ्रूट की फसल दुगनी होने के बाद ऋतुराज ने 1,76,000 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. इसके अलावा वर्ष 2023 में 4.5 से 5 लाख रुपये का मुनाफा हुआ. वहीं, 2024 में ऋतुराज ने 40 से 45 क्विंटल कि फसल उगाई जिसमें उन्हें लगभग 10 लाख रुपये की कमाई हुई है.
ऋतुराज बताया कि वो अपने फार्म पर, ड्रिप इरीगेशन, स्प्रिंकलर ओर रेन गन इस्तेमाल करते हैं. वो इन तकनीकों का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि ड्रिप इरीगेशन से एक तो पानी की बचत काफी होती है और ड्रिप इरिगेशन की वजह से केवल उतना ही पानी पेड़ को लगता है जितना उसको चाहिए, ताकि नमी बनी रहे. साथ ही उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए फरवरी से अक्टूबर तक का महीने बेस्ट होता है. इसके अलावा उन्होंने अपना एक लोकल मार्केट तैयार किया है. जिसमें ज्यादातर फसल लोकल मार्केट में ही खप जाती है और बचा हुआ माल सब गुड़गांव के एक खरीदार को बेच दिया जाता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today