गन्ना और चीनी ने तोड़े कई र‍िकॉर्ड, उत्पादन, खरीद, एक्सपोर्ट और दाम की ये रही पूरी र‍िपोर्ट  

गन्ना और चीनी ने तोड़े कई र‍िकॉर्ड, उत्पादन, खरीद, एक्सपोर्ट और दाम की ये रही पूरी र‍िपोर्ट  

Sugarcane production: देश में हुई 5,000 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गन्ने की पैदावार. चीनी सत्र 2021-22 के दौरान चीनी मिलों ने केंद्र सरकार की सब्सिडी के ब‍िना क‍िसानों से खरीदा र‍िकॉर्ड 1.18 लाख करोड़ रुपये का गन्ना. चीनी एक्सपोर्ट से 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा कमाई. इथेनॉल की बिक्री से म‍िले 20,000 करोड़ रुपये.

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गन्ना और चीनी ने तोड़े कई र‍िकॉर्ड, उत्पादन, खरीद, एक्सपोर्ट और दाम की ये रही पूरी र‍िपोर्ट  देश में क‍ितना पैदा हुआ गन्ना? (Photo-Ministry of Agriculture).

केंद्र सरकार ने दावा क‍िया है क‍ि चीनी सत्र (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता बन गया है. इसके साथ ही हम ब्राजील के बाद दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े निर्यातक भी बन गए हैं. यह सत्र भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है. इसके दौरान गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी एक्सपोर्ट, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और इथेनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड टूट गए हैं. देश में 5,000 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गन्ने की पैदावार हुई है, जिसमें से लगभग 3,574 एलएमटी गन्ने की चीनी मिलों में पिराई हुई है. इससे 394 लाख एमटी चीनी का उत्पादन हुआ, जिसमें से 36 लाख टन का इस्तेमाल इथेनॉल उत्पादन के ल‍िए क‍िया गया.  

हर चीनी सत्र में, 260-280 एलएमटी घरेलू उत्पादन की तुलना में लगभग 320-360 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन होता है. इसके चलते मिलों के पास बड़ी मात्रा में स्टॉक बच जाता है. देश में चीनी की अधिक उपलब्धता के कारण, चीनी की एक्स-मिल कीमतें कम रहती हैं. इसके परिणामस्वरूप चीनी मिलों को नकदी का नुकसान होता है. लगभग 60-80 लाख म‍िट्र‍िक टन का यह अतिरिक्त स्टॉक भी धनराशि के फंसने का कारण बनता है और चीनी मिलों की पूंजी प्रभावित होती है, जिसकी वजह से गन्ना मूल्य बकाया बढ़ जाता है. 

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नुकसान से बचाने के ल‍िए क्या क‍िया? 

चीनी की कीमतों में कमी के कारण चीनी मिलों को होने वाले नकद नुकसान को रोकने के लिए, केंद्र ने जून, 2018 में चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू की. चीनी का एमएसपी 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय कर दिया, जिसे बाद में संशोधित कर 31 रुपये कर दिया गया और नई दरें 14 फरवरी 2019 से प्रभावी हो गई थीं. 2018-19 में वित्तीय संकट से बाहर निकालने से लेकर 2021-22 में आत्मनिर्भरता के चरण तक चीनी क्षेत्र के विकास में पिछले 5 वर्षों से केंद्र सरकार का समय पर हस्तक्षेप काफी महत्वपूर्ण रहा है.  

क‍ितने का गन्ना खरीदा गया? 

उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अध‍िकार‍ियों ने बताया क‍ि चीनी सत्र 2021-22 के दौरान, चीनी मिलों ने केंद्र से बिना किसी वित्तीय सहायता यानी सब्सिडी के 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद की और सत्र के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान जारी किया. इस प्रकार, चीनी सत्र 2021-22 के लिए गन्ने का बकाया 2,300 करोड़ रुपये से कम है, जिससे पता चलता है कि 98 प्रतिशत गन्ना बकाया पहले ही चुकाया जा चुका है. चीनी सत्र 2020-21 के लिए लगभग 99.98 प्रतिशत गन्ना बकाया चुका दिया गया है. दावा है क‍ि चीनी क्षेत्र अब बिना सब्सिडी के आत्मनिर्भर है. 

इथेनॉल ब‍िक्री से क‍ितनी कमाई 

पिछले पांच साल में इथेनॉल के जैव ईंधन क्षेत्र के रूप में विकास से चीनी क्षेत्र को खासा समर्थन मिला है, क्योंकि चीनी से इथेनॉल के उत्पादन से चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है. भुगतान तेज हुआ है और मिलों के पास अतिरिक्त चीनी कम होने से पूंजी के फंसने के मामले कम हुए हैं. साल 2021-22 के दौरान, चीनी मिलों और डिस्टिलरीज ने इथेनॉल की बिक्री से 20,000 करोड़ रुपये नकद हासिल किए, जिसने किसानों के गन्ना बकाए को जल्दी चुकाने में भी अहम भूमिका निभाई. 

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इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ी 

सरकार ने बताया क‍ि शीरे या चीनी आधारित डिस्टिलरीज की इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़कर 683 करोड़ लीटर प्रति वर्ष हो गई है. इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत 2025 तक 20 फीसदी ब्लेंड‍िंग के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रगति अभी भी जारी है. नए सत्र में, चीनी से इथेनॉल का उत्पादन 36 एलएमटी से बढ़कर 50 एलएमटी होने की उम्मीद है, जिससे चीनी मिलों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम से विदेशी मुद्रा की बचत होगी और देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती म‍िलेगी. केंद्र ने 2025 तक, 60 एलएमटी से अधिक अतिरिक्त चीनी को इथेनॉल में बदलने का लक्ष्य रखा गया है, जो चीनी के ऊंचे भंडार की समस्या का समाधान होगा.  

इथेनॉल बनाने के ल‍िए मदद 

साल 2025 तक पेट्रोल में 20 फीसदी ब्लेंड‍िंग का लक्ष्य हासिल करने के लिए, सरकार चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है. इसके लिए सरकार बैंकों से उन्हें कर्ज मुहैया करा रही है, जिस पर 6 प्रतिशत की दर से या बैंकों द्वारा वसूले गए ब्याज पर 50 प्रतिशत ब्याज सबवेंशन जो भी कम हो, उसका बोझ सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. इससे लगभग 41,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा.  

चीनी का क‍ितना हुआ एक्सपोर्ट 

सरकार ने बताया क‍ि चीनी सत्र 2021-22 में लगभग 110 लाख म‍िट्रिक टन चीनी का एक्सपोर्ट क‍िया गया. यह अब तक का सबसे अध‍िक है. इस निर्यात से देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई है. वर्तमान चीनी सत्र 2022-23 में, लगभग 60 लाख म‍िट्र‍िक टन निर्यात कोटा सभी चीनी मिलों को आवंटित किया गया है, जिसमें से 18 जनवरी 2023 तक मिलों से निर्यात के लिए लगभग 30 लाख टन चीनी का उठान कर लिया गया है. 

घरेलू बाजार में चीनी का दाम 

कुल मिलाकर, चीनी सत्र 2021-22 के अंत में अधिकतम 60 एलएमटी चीनी शेष बची रही जो 2.5 महीने के लिए घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है. केंद्र का दावा है क‍ि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद घरेलू स्तर पर दाम में स्थिरता रही है. घरेलू कीमत 32-35 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में बनी हुई है. देश में चीनी की औसत खुदरा कीमत लगभग 41.50 रुपये प्रति किग्रा है. इसके आने वाले महीनों में 37-43 किग्रा के दायरे में रहने की संभावना है, जो कोई चिंता की बात नहीं है.  

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