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जलवायु पर‍िवर्तन ने कि‍सानों को द‍िया झटका, मार्च में पड़ी गर्मी से क‍ितना ग‍िरा गेहूं का उत्पादन, पढ़ें पूरी र‍िपोर्ट

जलवायु पर‍िवर्तन ने कि‍सानों को द‍िया झटका, मार्च में पड़ी गर्मी से क‍ितना ग‍िरा गेहूं का उत्पादन, पढ़ें पूरी र‍िपोर्ट

Climate Change Impact on Agriculture: खेती पर जलवायु पर‍िवर्तन के खतरे को मार्च 2022 में चली लू के साइड इफेक्ट वाली इस र‍िपोर्ट से समझ‍िए. मार्च का ज्यादा गर्म होना खेती-क‍िसानी के ल‍िए क्यों है घातक और भारत का क‍िसान इस चुनौती से न‍िपटने के ल‍िए क्या करे?

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मार्च में ज्यादा गर्मी गेहूं उत्पादन के ल‍िए क्यों है खतरनाक? मार्च में ज्यादा गर्मी गेहूं उत्पादन के ल‍िए क्यों है खतरनाक?

इस समय गेहूं के दाम में जो र‍िकॉर्ड तेजी द‍िखाई दे रही है उसमें स‍िर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध का ही हाथ नहीं है. बल्क‍ि क्लाइमेट चेंज भी इसकी एक बड़ी वजह है. मार्च और अप्रैल-2022 के दौरान तापमान में असामान्य वृद्ध‍ि ने इस बात को समझने का एक मॉडल दे द‍िया है क‍ि गर्मी ऐसे ही बढ़ी तो न स‍िर्फ क‍िसानों की परेशानी बढ़ेगी बल्क‍ि खाद्य सुरक्षा के ल‍िए भी नई चुनौती पेश होगी. जलवायु पर‍िवर्तन का एग्रीकल्चर पर क‍ितना बुरा असर पड़ने वाला है? केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने इस सवाल का जवाब गेहूं के बहाने दे द‍िया है.

क्लाइमेट चेंज के ल‍िए कौन क‍ितना ज‍िम्मेदार है इस पर बहस आगे हो सकती है, लेक‍िन फ‍िलहाल तो यह जान लेना चाह‍िए क‍ि मार्च में अप्रत्याशित हीट वेब यानी लू चलने की वजह से नुकसान क‍ितना हुआ. कृष‍ि मंत्रालय की एक र‍िपोर्ट में बताया गया है क‍ि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ब‍िहार, हर‍ियाणा, राजस्थान और पंजाब में मार्च और अप्रैल के दौरान भीषण लू के कारण गेहूं की उत्पादकता में प्रत‍ि हेक्टेयर 14 क‍िलोग्राम की कमी आई है. साल 2021-22 में गेहूं की उत्पादकता में प्रत‍ि हेक्टेयर 3521 क‍िलोग्राम प्रत‍ि थी जो 2021-22 में घटकर प्रत‍ि हेक्टेयर 3507 क‍िलोग्राम पर आ गई. 

क्या करें क‍िसान? 

हैदराबाद स्थित सेंट्रल र‍िसर्च इंस्टीट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर (CRIDA) के वैज्ञान‍िकों की एक टीम के मुताब‍िक, 'मार्च और अप्रैल-2022 में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में औसत से 5 डिग्री सेल्सियस तक अधिक वृद्धि पाई गई थी, जो क‍ि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य स्तर से काफी ऊपर थी. 'उत्तर पश्चिम और मध्य भारत में अप्रैल माह पिछले 122 वर्षों में सबसे गर्म रहा. इसका औसत अधिकतम तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था.' इससे गेहूं का उत्पादन पर बुरा असर पड़ा. लेक‍िन अब सवाल यह उठता है क‍ि आख‍िर क‍िसान क्या करें? 

  • क‍िसान समय से गेहूं की बुवाई करें. 20 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच कर दें तो अच्छा है. 
  • उन किस्मों का चुनाव करें जो लू के प्रति सहनशील यानी हीट रेसिस्टेंट हैं. कम वक्त में पक जाती हैं. 
  • कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अधिक ताप सहने वाली गेहूं की कई क‍िस्में पहले से ही विकसित की हुई हैं. 

सरकार ने दी थी बड़ी राहत

आमतौर पर मार्च में गेहूं का दाना पकना शुरू होता है. लेक‍िन मार्च 2022 में लू चलने की वजह से दाना सिकुड़ गया. इसल‍िए उसकी थ्रेस‍िंग के समय दाने में टूट ज्यादा हुई. ऐसे में केंद्र सरकार ने क‍िसानों को राहत देने के ल‍िए अपने एक अहम फैसले को पलट द‍िया. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदे जाने वाले गेहूं में सूखे और टूटे हुए गेहूं की मात्रा 18 फीसदी तक होने पर भी वही रेट देने का फैसला ल‍िया गया, जो सही गेहूं का द‍िया जाता है. 

जबक‍ि, पहले एमएसपी पर खरीदे जाने वाले गेहूं में सूखे और टूटे हुए अनाजों की मात्रा सिर्फ 6 फीसदी ही मान्य होती थी. इस फैसले के बाद सरकार ने बड़ी बात कही थी क‍ि मौसम किसानों के नियंत्रण से बाहर है ऐसे में लू जैसी प्राकृतिक घटना के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जाएगा. हालां‍क‍ि, ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा था इसल‍िए क‍िसानों ने सरकार की बजाय व्यापार‍ियों को गेहूं बेचा.    

क्यों घातक है ज्यादा गर्म मार्च  

क्रीडा के वैज्ञान‍िकों के मुताब‍िक, सामान्य तौर पर लू और अधिकतम तापमान का सामान्य स्तर से अधिक होना रबी फसलों विशेष रूप से गेहूं के लिए नकारात्मक है. चूंकि यह समय, रबी फसलों के प्रजनन और दाना भरने वाली अवस्थाओं का होता है, ऐसे में तापमान में असामान्य वृद्धि इन फसलों को अपना जीवन चक्र जल्दी पूरा करने के लिए बाध्य कर देती है. इससे अनाज की उपज प्रभावित होती है.

अब क‍ितना है गेहूं का दाम

इस साल पूरे सीजन में गेहूं का दाम एमएसपी से ऊपर ही रहा है. इस समय थोक में 3000 रुपये क्व‍िंटल तक का भी रेट चल रहा है. एमपी का शरबती गेहूं 47 रुपये प्रति क‍िलो तक पहुंच गया है. कृष‍ि मंत्रालय ने आध‍िकार‍िक तौर पर जो दाम बताया है उसे भी जान लीज‍िए. द‍िसंबर 2021 में जब गेहूं का एमएसपी 1975 रुपये प्रति क्विंटल थी तब ओपन मार्केट में 2212 रुपये औसत भाव था. जुलाई 2022 में एमएसपी 2015 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल थी तब ओपन मार्केट में गेहूं का रेट 2409 रुपये था. नवंबर में 2721 रुपये (अनंत‍िम) दाम है.