गुरु बनने की सोचा, लेकिन बन गए किसान, अब जैविक खेती से कमाते हैं 12 लाख रुपये

गुरु बनने की सोचा, लेकिन बन गए किसान, अब जैविक खेती से कमाते हैं 12 लाख रुपये

राजस्थान के धौलपुर जिले में एक युवक ने गुरु बनने के लिए राजनीतिक विज्ञान से M.A किया और इसके बाद बीएड किया. एमए बीएड करने के बाद युवक ने गांव में निजी स्कूल खोला. लेकिन कोरोना काल में स्कूल में बच्चे कम होने के कारण वह बंद हो गया. इसके बाद गुरुजी बनने का सपना टूटने के बाद युवक ने खेती में भाग्य आजमाया. गुरुजी ने खेती में अभिनव प्रयोग कर परंपरागत खेती के साथ जैविक खेती शुरू की. गुरुजी किसान बन कर अपने खेतों में जैविक खेती शुरू कर मोटा मुनाफ़ा कमा रहे हैं.

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गुरु बनने की सोचा, लेकिन बन गए किसान, अब जैविक खेती से कमाते हैं 12 लाख रुपयेधौलपुर के किसान की सक्सेस स्टोरी

कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो लोग आगे बढ़ने के लिए एक भी मौका हाथ से नहीं जाने देते और मेहनत से सफलता हासिल करते हैं. ऐसा धौलपुर जिले के पथरीले इलाके के सरमथुरा उपखंड के गांव खोखला के रहने वाले गया प्रसाद मीणा ने कर दिखाया है. राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड की डिग्री हासिल कर गुरुजी बनने के लिए निजी स्कूल भी खोला. लेकिन कोरोना काल में स्कूल बंद हो गया. सरकारी शिक्षक बनने के लिए प्रयास भी किए लेकिन परिवार की समस्याओं ने जकड़ लिया. जब नौकरी नहीं लगी तो किसान बन कर उन्होंने अपने खेतों में परंपरागत खेती के साथ लीक से हटकर खेती की और मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. उन्होंने साबित कर दिया कि अगर खेती में मुनाफा कमाना है तो नए-नए प्रयोग जरूर करना चाहिए.

इन फसलों की करते हैं खेती

हल्दी, आलू, अदरक और जैविक गन्ने की खेती के साथ जैविक गुड़ बनाने वाले गया प्रसाद मीणा आस-पास के क्षेत्र के किसानो के लिए रोल मॉडल बने हुए हैं. किसान गया प्रसाद ने हल्दी, अदरक, रतालू और अरबी के साथ गन्ना जैसी फसल की खेती करके लाखों रुपये कमाए हैं. गया प्रसाद ने सवा बीघा खेत में हल्दी और एक बीघा में रतालू और करीब चार बीघा खेत में जैविक गन्ने की खेती के साथ जैविक गुड़ बनाने का काम किया है. गया प्रसाद जैविक गन्ना से जैविक गुड़ बनाकर अपने ही खेत से बेचते है. गन्ने की चार से पांच किस्में इनके पास हैं.

बाग में उगाते हैं अजोला घास

गया प्रसाद गुड़ की सफाई में रसायन पदार्थों की जगह भिंडी के तने और दूध का इस्तेमाल करते हैं. यदि ग्राहक को गुड़ में इलाइची, काली मिर्च, ड्राई फ्रूट्स या अन्य कोई फ्लेवर चाहिए तो यह कई फ्लेवरों का गुड़ बनाकर दे सकते हैं. साथ ही बाग़ में अदरक, लहसुन और दुधारू पशुओ के लिए पौष्टिक आहार अजोला घास की भी उगाते हैं. बता दें कि दुधारू पशुओं को अगर अजोला घास खाने के लिए दिया जाए तो करीब बीस फीसदी दूध बढ़ जाता है.      

तीन लाख की उगाते हैं हल्दी

किसान गया प्रसाद मीणा ने बताया कि वह भी अपने परिजनों की तरह परंपरागत खेती करते रहे हैं. साथ ही खेती में नए-नए प्रयोग शुरू किए, जिससे अधिक मुनाफ़ा हो सके. गया प्रसाद ने शुरुआत में खेत के थोड़े हिस्से में ऑर्गेनिक हल्दी बोई और हल्दी के बीज को इकट्ठा कर इससे उन्होंने सवा बीघा खेत में हल्दी की खेती की. इस साल फसल भी अच्छी हुई. गया प्रसाद ने बताया कि हल्दी की फसल करीब 60 क्विंटल हो जाएगी, जो करीब तीन लाख रुपये की होगी.

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हल्दी से होता है अधिक मुनाफा

इसके अलावा आलू की पैदावार 80 क्विंटल होगी जिससे करीब चार लाख रुपये की आय होगी. जैविक गन्ना से करीब पांच लाख रुपये की आय होगी और जैविक गुड़ सौ रुपये के भाव से बेचा जाएगा. गया प्रसाद ने बताया कि अन्य फसलों के मुकाबले हल्दी की खेती में मेहनत अधिक है और बीज भी महंगा आता है, लेकिन मुनाफ़ा काफी है. बाजार में साबुत हल्दी का भाव करीब 150 से दौ सौ रुपये प्रति किलो चल रहा है, जबकि किसान के यहां से ऑर्गेनिक हरी हल्दी 90 रुपये प्रति किलो में मिल जाती है.

खेती में उपयोग करते हैं ये खाद

गया प्रसाद के मुताबिक उन्होंने जैविक खेती बिना रासायनिक खाद के उपयोग से की है क्योकि इस फसल में फंगस की शिकायत कुछ ज्यादा रहती है. इसलिए उन्होंने घर पर ही गौ मूत्र, नीम के पत्ते, अन्य पौधों के पत्तों और कुछ अन्य चीजों का उपयोग कर खाद तैयार की. हल्दी की बुवाई अप्रैल माह में होती है और जनवरी माह में तैयार हो जाती है.

गया प्रसाद ने बताया कि आस-पास के लोग और दुकानदार उनके यहां से हल्दी खरीदकर ले जाते हैं, क्योंकि यह शुद्ध और ऑर्गेनिक है. इसके अलावा कुछ लोग साबुत हल्दी का अचार भी डालते हैं. बता दें कि आयुर्वेद में हल्दी को एंटीबायोटिक बताया गया है. हल्दी और आलू की भयानक बीमारियों में रामबाण का काम करती है. जैसे डायबिटीज, कैंसर और पेट से संबंधित जो बीमारियां हैं.      

इस विधि से निकालते हैं गुड़

खेत में ही गुड़ बनाने के लिए एक इंजन सेट के जरिए चरखी को चलाया जाता है. चरखी से सीधा पाइप के द्वारा एक बड़े बर्तन में छानकर गन्ने के रस को भरा जाता है, जिससे कहीं ना कहीं साफ सफाई भी पूरी तरह बनी रहती है. चरखी से सीधा पाइप से होकर गन्ने का रस बड़े बर्तन में जमा होता रहता है. इसके बाद एक मिट्टी की बनी भट्टी पर गन्ने के रस को बड़े बर्तन में पका कर अलग-अलग विधि से जैविक गुड़ बनाया जाता है. किसान गया प्रसाद ने बताया कि उनके द्वारा खेत के बगीचे में शुरू से ही नए नए प्रयोग किए हैं और सफल होने पर खेती करते हैं.

12 लाख रुपये है सालाना कमाई

किसान गया प्रसाद जैविक गुड़, अदरक, हल्दी, रत आलू की खेती करते हैं. वे कहते हैं कि पथरीला इलाका है और पथरीले इलाके में लोग सोच भी नहीं सकते हैं कि हल्दी हो सकती है. इस इलाके में लोगों ने हल्दी का पौधा तक नहीं लगाया है और कच्ची हल्दी को भी नहीं देखा है. इस बार हल्दी की फसल बहुत अच्छी हुई है और अब आगे से करीब दो बीघा में हल्दी की फसल करेंगे.

गया प्रसाद ने किसानों से अपील है कि परंपरागत खेती से हटकर कुछ नया करें तो खेती मुनाफे का सौदा हो सकती है. आज जैविक खेती से वह अपने परिवार का अच्छे से भरण पोषण कर रहे हैं. उन्हें किसी भी रोजगार की आवश्यकता नहीं है. हल्दी, गुड़, जैविक गन्ना, अदरक, प्याज और लहसुन की खेती कर साल में करीब दस से बारह लाख रुपये की आय हो जाती है. किसान गया प्रसाद ने बताया कि परंपरागत खेती में इतनी आय नहीं हो सकती है और नुकसान भी हो जाता है. लेकिन जैविक खेती में नुकसान कम है और मुनाफा ज्यादा होता है.(उमेश मिश्रा की रिपोर्ट)

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