कहते हैं इरादे बुलंद हो तो बड़ी से बड़ी मंजिल को आसानी से हासिल किया जा सकता है"... ऐसा ही कुछ कर दिखाया है रायबरेली के लालगंज के प्रगतिशील किसान मुकेश त्रिवेदी ने, जो आज बाकी किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. अगर बात सालाना कमाई की करें तो खेती से 1.5 करोड़ का टर्नओवर हैं. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में मुकेश ने बताया कि 1996 में वो 6 एकड़ से खेती की शुरूआत की थी, उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद लीज पर जमीन लेकर आलू, शिमला मिर्च, अचारी मिर्च, कद्दू, पपीता, टमाटर की खेती करने लगे.
मुकेश बताते हैं कि 2021 कोरोना काल के बाद शिमला मिर्च समेत कई सब्जियों की खेती में किस्मत आजमाया. जहां पहले साल से ही कम लागत में मुनाफा अधिक होने लगा. वहीं मेरे पास पहले खुद की 6 एकड़ जमीन थी, आज 40 एकड़ जमीन की खेती कर रहे है. जबकि 20 एकड़ जमीन लीज पर लेकर आलू की बड़े पैमाने की पैदावार कर रहे हैं. एक बीघे में 100 क्विंटल आलू का उत्पादन हो रहा है. यानी सालाना 3 से 4 हजार क्विंटल आलू की पैदावार हो रही है.
लालगंज के प्रगतिशील किसान मुकेश त्रिवेदी ने बताया कि वह खेतों में तैयार हरी सब्जियों को रायबरेली के मंडी में भेजते है, जहां फौरन बिक जाती है. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है. वह बताते हैं कि सभी प्रकार की फसलों से एक सीजन में लागत निकालने के बाद 40 से 45 लाख रुपए की कमाई हो जाती है जो अन्य फसलों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है.
उन्होंने बताया कि शिमला मिर्च की खेती करना असान नहीं होता, क्योंकि इसकी ज्यादातर खेती पहाड़ी इलाके में होती है, लेकिन वो इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे है. क्योंकि शिमला मिर्च 9 महीने की फसल होती है. वहीं मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल हम फसलों की खेती में कर रहे है. अगर मुख्य फसलों की बात पर सफल किसान मुकेश बताते हैं कि आलू और शिमला मिर्च की खेती बड़े स्तर पर की जाती है, जिससे अधिक मुनाफा होता हैं.
उन्होंने बताया कि ड्रिप सिंचाई के जरिए सब्जियों में जैसे शिमला मिर्च, टमाटर और कद्दू में इसका उपयोग किया जाता है. उधर, नींबू के 150 पेड़ लगा रखे है, इससे भी आमदनी अच्छी हो रही है. गर्मियों में नींबू की डिमांड अधिक बढ़ जाती है. मुकेश त्रिवेदी ने बताया कि आने वाले वक्त में स्ट्रॉबेरी की खेती करने का प्लान बनाया जा रहा है. उन्होंने युवा किसानों से अपील करते हुए कहा कि खेती में कभी हताश में मत हो, अगर किसी फसल में घाटा हो जाए, तो दूसरी फसलों पर ध्यान देने की जरूत है. वहीं सफलता मिलना तय हैं. क्योंकि जितना रिस्क उठाएंगे उतना कमाएंगे.
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