पत्थर में भी फूल खिलते हैं. इस बात को सही साबित कर दिखाया है बिहार डेढ़ सौ से अधिक किसानों ने. दरअसल, बिहार के बांका जिले के किसानों जिस बंजर जमीन पर जहां कभी खेती नहीं होती थी उन खेतों में फसल उगाकर अपनी सफलता की कहानी लिख रहे हैं. इन किसानों ने अपनी मेहनत के बल पर न सिर्फ बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया है, बल्कि साल में 12-13 लाख रुपये की कमाई भी कर रहे हैं. आइए जानते हैं इन किसानों की मेहनत की कहानी.
जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में मिसाल कायम करने वाला यह बांका के कटारिया प्रखंड का पुतिया गांव है. यहां बंजर जमीन पर खेती शुरू होने से गांव के लोगों का पलायन भी रुका है और किसान आर्थिक रूप से समृद्ध भी बन रहे हैं. किसानों ने जमीन शुष्क बागवानी योजना के तहत खेत के पास तालाब, कुआं और पंपसेट के माध्यम से सिंचाई सुविधा मुहैया कराकर 200 एकड़ बंजर जमीन पर खेती कर रहे हैं.
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किसान शंकर जमीन पर आम अमरूद शीशम, सागवान, फूलगोभी, टमाटर के साथ कई तरह की सब्जियों की खेती कर समृद्ध बन रहे हैं. इससे गांवों में पलायन भी रुका है. इसके अलावे जमुई, गया और पटना में भी इस योजना के तहत बंजर जमीन पर पेड़-पौधे लगाए जा रहे हैं. किसानों की खेतों में जमकर मेहनत से जलवायु परिवर्तन के इस दौर में यहां दो किलोमीटर तक सिर्फ हरियाली की हरियाली दिखती है. किसान जयकांत बताते हैं कि पेड़ लगने से हवा शुद्ध ही गई है. साथ ही पहले के मुकाबले अधिक बारिश होती है.
किसान ने बताया कि उनके पास दस एकड़ जमीन है. ये जमीन पहले पूरी तरह से बंजर थी. फिर भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से उन्हें बंजर जमीन में खेती करने के लिए बुलाया गया. विभाग की ओर से 80 प्रतिशत सब्सिडी दिया जा रहा था. भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक सुदामा महतो ने बताया कि जल छाजन की शुष्क बागवानी योजना के तहत राज्य के 200 एकड़ जमीन में खेती हो रही है. खासकर बांका और जमुई की बंजर जमीन पर.
पांच साल पहले बंजर जमीन पर 200 आम के पौधे लगाए थे. इसके बाद 800 और अमरूद के पौधे लगाए. उनके देखा-देखी गांव के 550 किसानों ने भी बंजर जमीन पर खेती शुरू कर दी. किसान नकुल मंडल बताते हैं कि उनके गांव में दो किलोमीटर तक पहले जहां सिर्फ झाड़ियां दिखाती थीं. आज आम, अमरूद, शीशम और सागवान के पेड़ दिखते हैं. श्याम सुन्दर ने कहा कि पांच सालों में आम के पौधे में आम पकने से पहले ही बिक जाते हैं. इस गांव के किसान खेती नहीं सोने की वजह से मजदूरी के पलायन कर जाते थे.
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