स्ट्राबेरी की खेती: आदिवासी किसान ने पेश की मिसाल, चार माह में ढाई एकड़ जमीन से की 4.2 लाख रुपये कमाई

स्ट्राबेरी की खेती: आदिवासी किसान ने पेश की मिसाल, चार माह में ढाई एकड़ जमीन से की 4.2 लाख रुपये कमाई

सुनाबेड़ा के स्थानीय किसान युवराज छत्रिया और उनके पिता ने सरकारी मदद से नवंबर 2022 में 2.5 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी, जिससे आज तक उन्हें 4.2 लाख रुपये की कमाई हुई है. उन्हें उम्मीद है कि मार्च के अंत तक यह 9 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा.

Advertisement
स्ट्राबेरी की खेती: आदिवासी किसान ने पेश की मिसाल, चार माह में ढाई एकड़ जमीन से की 4.2 लाख रुपये कमाईस्ट्राबेरी की खेती

उड़ीसा-छत्तीसगढ़ के सीमा के साथ-साथ समुद्र तल से 3,000 फीट ऊंचाई पर स्थित ऊबड़-खाबड़ सुनाबेड़ा पठार हमेशा से कठिन इलाका रहा है, लेकिन स्थानीय किसान युवराज छत्रिया के लिए उनकी जीवन का एक हिस्सा है. उन्होंने और उनके पिता ने सरकारी मदद से नवंबर 2022 में 2.5 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी, जिससे आज तक उन्हें 4.2 लाख रुपये की कमाई हुई है. उन्हें उम्मीद है कि मार्च के अंत तक यह 9 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा. यह उस क्षेत्र की किसी भी फसल से सबसे ज्यादा लाभ है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, भुवनेश्वर में आयोजित ‘आदिवासी मेला 2023’ में अपने साथ स्ट्रॉबेरी की ताजा फसल लेकर पहुंचे किसान छत्रिया ने एक दिन में 1.5 क्विंटल फसल को 37 हजार रुपये में बेचा, जोकि उनके लिए एक दिन का सबसे अधिक लाभ था. वहीं उन्हें आदिवासी मेला 2023 में एक और बंपर बिक्री देखने की उम्मीद थी. 

नवंबर 2022 में शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती

सुनबेदा वन्यजीव अभयारण्य के उष्णकटिबंधीय पर्णपाती जंगल में 56 गांवों में से एक में रहने वाले 10 किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती की है. वहीं अप्रैल से अक्टूबर तक धान लगाने वाले किसानों ने नवंबर 2022 में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की थी. छत्रिया के अनुसार, "मैंने पहले कभी स्ट्रॉबेरी के बारे में नहीं सुना था. सरकारी अधिकारियों ने हमें इस नई तरह की खेती करने के लिए तैयार किया, फिर हमने इसकी खेती शुरू की. सरकार ने पौधों की सप्लाई की और हमें बोरवेल खोदने के लिए वित्तीय सहायता दी.” 

खेती के लिए दो लाख रुपये का लोन

छत्रिया ने बताया, प्रत्येक परिवार को 10 एकड़ जमीन दी गई है, और प्रत्येक एकड़ में 20,000 पौधे लगाए गए हैं. मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई के लिए उद्यान विभाग से मदद मिली थी. वहीं मजदूरी देने के लिए किसानों ने महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) से लोन लिया था. वहीं उन्होंने दो लाख रुपये का लोन लिया था.

2.5 एकड़ जमीन से 4.2 लाख रुपये की कमाई

उन्होंने और उनके पिता ने 2.5 एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती की है, जिससे आज तक उन्हें 4.2 लाख रुपये की कमाई हुई है. उन्हें उम्मीद है कि मार्च के अंत तक यह 9 लाख रुपये तक पहुंच जाएगा. यह उस क्षेत्र की किसी भी फसल से सबसे ज्यादा लाभ है.

इसे भी पढ़ें- Potato: आलू की ये क‍िस्म है शानदार, सब्जी नहीं बल्कि सलाद की तरह होता है इसका उपयोग

सुनाबेड़ा में ज्यादातर लोग चुक्तिया भुंजिया जनजाति से हैं, जो ओडिशा में पाए जाने वाले 13 पीवीटीजी में से एक है. उन्हें नुआपाड़ा जिला प्रशासन और राज्य सरकार द्वारा 1994-95 में स्थापित चुक्तिया भुंजिया विकास एजेंसी (सीबीडीए) द्वारा जनजाति के विकास के लिए विशेष रूप से आजीविका कार्यक्रमों में काम करने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग दिया गया था.

स्ट्रॉबेरी का लगभग 80 प्रतिशत उत्पादन

सीबीडीए के विशेष अधिकारी हिमांशु महापात्र के अनुसार, “सीबीडीए की एक टीम महाराष्ट्र के महाबलेश्वर गई थी, जहां भारत के स्ट्रॉबेरी का लगभग 80% उत्पादन होता है. हमने पाया कि वहां की ऊंचाई और जलवायु सुनाबेदा के समान है. वास्तव में, सुनाबेदा की मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर है."  हिमांशु महापात्र ने आगे कहा, सर्दियों में, सुनाबेड़ा का अधिकतम दिन का तापमान लगभग 25 डिग्री सेल्सियस रहता है और रात में यह 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है, जिससे यह स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त हो जाता है.

40 दिनों के भीतर फलों की तुड़ाई 

महापात्र ने कहा, “40 दिनों के भीतर फलों की तुड़ाई और मार्केटिंग किया गया है. यह खुशी की बात है कि स्ट्रॉबेरी के पौधों में लगातार फल लग रहे हैं. एक पौधे पर अलग-अलग स्टेज और आकार में 10 से 15 फल लगते हैं.”  

इसे भी पढ़ें- फरवरी में पारा बढ़ने से किसानों के छूटे पसीने, फसल के स्वास्थ्य पर पड़ रहा सीधा असर

किसान कलीराम सुनार और उनकी पत्नी गंगाबाई प्रतिदिन 45 किलो से ज्यादा स्ट्रॉबेरी तोड़ लेते हैं. महिलाएं जमीन पर काम करती हैं और पौधों की देखभाल करती हैं, जिसमें सिंचाई से लेकर फसल काटने तक का कार्य शामिल है. सुनार ने बताया, महिलाएं अपना दिन सुबह 5 बजे शुरू करती हैं, स्ट्रॉबेरी चुनती हैं, इससे पहले कि वह सुबह 10 बजे के बाद घर के काम में लग जाती हैं. दिसंबर 2022 के मध्य में, जब स्ट्रॉबेरी की पहली फसल लाल हो गई, तो हम बहुत खुश हुए. हमने सबसे पहले इसे अपनी देवी माँ सुनादेई को चढ़ाया था.”

20 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती 

ऐसा पहली बार नहीं है जब ओडिशा में स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रयोग किया गया है. इस खेती को काफी हद तक सफलता तब मिली जब इसे 2021 में दक्षिणी कोरापुट जिले के कोटिया ग्राम पंचायत में किया गया, जो पूर्वी घाट का एक हिस्सा है, जो सुनाबेदा के समान ऊंचाई पर स्थित है, और समान जलवायु है.
 


यह वह क्षेत्र है, जिसके अधिकार क्षेत्र का दावा ओडिशा और आंध्र प्रदेश दोनों सरकारों द्वारा किया जाता है. वहीं यहां पिछले चार वर्षों में सरकारी धन का भारी निवेश हुआ है. अब, यहां स्ट्रॉबेरी की खेती 20 एकड़ क्षेत्र में हो रही है जिसमें सात स्वयं-सहायता समूह शामिल हैं.

POST A COMMENT