रेगिस्तानी बंजर जमीन पर मैककेन कंपनी के लिए आलू पैदा करने के बाद बाड़मेर के युवा किसान विक्रम ने एक और कमाल कर दिया है. अब वे अपने खेतों में तरबूज की खेती कर रहे हैं. खेती में इनोवेशन के लिए मशहूर हो चुके विक्रम ने तरबूज की तीन लाख बेल लगाई हैं. इस बार इन्होंने 60 बीघा में तरबूज बोये हैं. युवा किसान ने खेती में नवाचार के साथ-साथ तकनीक का भी सहारा लिया है. उन्होंने अपने खेतों के चारों तरफ सीसीटीवी लगवाए हैं, जिससे खेतों की रात में भी सुरक्षा हो रही है. उगाई गई फसल में अब फल आने लगे हैं. इस तरबूज की किस्म का नाम आइस बॉक्स है.
विक्रम किसान तक को बताते हैं, “करीब दो महीने पहले उन्होंने तरबूज की तीन लाख बेल 60 बीघा खेत में लगाई थीं. इसमें अब फल आने लगे हैं. एक तरबूज का वजन दो से साढ़े तीन किलो के बीच में है. फल का नाम आइस बॉक्स है.” विक्रम आगे कहते हैं, “तरबूज की फसल में हमें प्रति एक एकड़ में करीब 20 टन उत्पादन की उम्मीद है. इस तरह 60 बीघा में करीब 450-500 टन तरबूज का उत्पादन होगा.”
विक्रम ने खेती में नवाचार के साथ-साथ तकनीकी का भी भरपूर इस्तेमाल किया है. उन्होंने खेतों की सुरक्षा के लिए चारों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं. इससे वहां किसी भी तरह की चोरी की संभावना खत्म हो गई है. इसके अलावा विक्रम ने अपने खेतों के लिए नई तकनीक के उपकरण मंगाए हैं.
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विक्रम राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर के तारातरा गांव के रहने वाले हैं. तारातरा गांव तीन तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. साथ ही उनकी खेती बरसों से बंजर पड़ी थी. लेकिन किसान विक्रम ने दो-ढाई साल की कड़ी मेहनत से इसे उपजाऊ बना दिया. इसी जमीन से उन्होंने इस साल आलू और फिर जौ की फसल भी ली है.
विक्रम सिंह रेगिस्तान में आलू की खेती करने वाले पहले किसान हैं. उन्होंने दुनियाभर में फ्रेंच फ्राइज के लिए मशहूर कंपनी मैककेन से करार किया था. 25 एकड़ में उन्होंने तीन किस्म का आलू उगाया था. इससे उन्होंने करीब 350 टन आलू का उत्पादन लिया था और लाखों रुपये की आय की थी.
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विक्रम इससे पहले विक्रम ने कई जगहों पर नौकरी की, लेकिन कहीं भी सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अपने बुजुर्गों की खेती को करने की ठान ली. कड़ी मेहनत, नवाचार और तकनीक की मदद से आज विक्रम एक सफल किसान हैं.
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