कितने किसानों ने एमएसपी पर बेची फसल (Photo-Kisan Tak). बफर स्टॉक यानी सेंट्रेल पूल के लिए गेहूं की बढ़ती खरीद के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर गेहूं को बेचने वाले किसानों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. पिछले साल यानी रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) 2022-23 के दौरान पूरे सत्र में महज 187.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था और कुल 17,83,192 किसानों ने ही एमएसपी का फायदा उठाया था. जबकि इस साल 14 मई तक देश में 258 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है और इसे बेचने वाले किसानों की संख्या 20,66,636 हो गई है. इसके साथ ही रबी मार्केटिंग सीजन 2016-17 के लाभार्थियों का भी रिकॉर्ड टूट गया है. तब पूरे सीजन में 2046766 किसानों ने ही एमएसपी का फायदा उठाया था. हालांकि, 2021-22 का रिकॉर्ड तोड़ना आसान नहीं लगता क्योंकि तब गेहूं बेचने वाले 49 लाख से अधिक किसान थे.
पंजाब में 120 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है. इसके साथ ही यहां गेहूं की एमएसपी के लाभार्थियों की संख्या 8,22,140 हो गई है. इस साल इतने किसानों ने किसी अन्य राज्य में सरकार को गेहूं नहीं बेचा है. मध्य प्रदेश में 7,63,216 किसानों ने सरकार को गेहूं बेचा है. जबकि हरियाणा इस मामले में तीसरे नंबर पर है. यहां अब तक 4,10,237 किसान गेहूं बेच चुके हैं; इसके अलावा अन्य राज्यों में न तो कोई खास गेहूं खरीद हुई है न तो एमएसपी के लाभार्थी ही बढ़े हैं. केंद्र सरकार ने इस साल 341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का टारगेट रखा है. ऐसे में अभी लाभार्थियों की संख्या में और इजाफा होगा.
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जब भी गेहूं की बात आएगी तो उत्तर प्रदेश का जिक्र जरूर होगा, क्योंकि यह देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. लेकिन दुर्भाग्य से पिछले दो साल से यहां पर सरकारी खरीद की स्थिति बहुत ही खराब है. पिछले वर्ष यानी रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का टारगेट सेट किया गया था. लेकिन सिर्फ 3.36 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो सकी थी और सिर्फ 81080 किसानों ने ही गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था का लाभ उठाया था.
लेकिन, इस साल न तो पिछले वर्ष की तरह गेहूं एक्सपोर्ट हो रहा है और न ही हीट वेव की वजह से नुकसान हुआ है. इसलिए तब जैसा दाम भी नहीं मिल रहा. इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में इस साल 2023-24 में गेहूं खरीद का लक्ष्य 60 से घटाकर सिर्फ 35 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है. एफसीआई के अधिकारियों के अनुसार 14 मई तक यहां महज 1,93,545 टन ही गेहूं खरीदा जा सका है. इसे बेचने वाले किसानों की संख्या इस बार अब तक मात्र 40,524 है. राजस्थान में अब तक 28,681 किसान एमएसपी पर गेहूं बेच चुके हैं.
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को 2 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य दिया है. जबकि यहां अब तक सिर्फ 189 मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा गया है. इसे बेचने वाले किसानों की संख्या सिर्फ 16 है. इसी तरह बिहार में 10 लाख मीट्रिक टन की जगह महज 467 मीट्रिक टन की खरीद हुई है. इसे बेचने वाले किसानों की संख्या सिर्फ 187 है. हिमाचल प्रदेश में 738 किसानों ने बफर स्टॉक के लिए एमएसपी पर गेहूं बेचा है.
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने वाले किसानों की संख्या 2021-22 में सबसे अधिक थी. उस साल भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा 433.44 लाख मीट्रिक टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी और बेचने वाले किसानों की संख्या का भी रिकॉर्ड बना था. बेचने वालों की संख्या 49,19,891 थी. तब ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से कम था और खरीद व्यवस्था अच्छी थी इसलिए यह रिकॉर्ड बना था. लेकिन 2022-23 में हीट वेव की वजह से उत्पादन में कमी और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से हुए ज्यादा एक्सपोर्ट ने गेहूं की सरकारी खरीद घटने का रिकॉर्ड बना दिया. खरीद और एमएसपी के लाभार्थियों का यह रिकॉर्ड आसानी से टूटता नजर नहीं आ रहा है.
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