जैसे ही पारदी समाज का नाम आता है, लोगों में खौफ पैदा हो जाता है और दिमाग में चोरी और डाका डालने वाले लोग आते हैं. लेकिन औरंगाबाद जिले के वरडजी गांव में पारदी समाज का एक ऐसा परिवार है जिनकी 15 एकड़ जमीन है और इस 15 एकड़ जमीन में इनका मौसंबी का बाग, कपास की खेती और अन्य फसलें है जिससे यह पारदी परिवार तीन से पांच लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं. इस परिवार के मुखिया आईजी चौहान ने कहा पहले हम जंगलों में रहा करते थे. मुझे पारदी समाज से ताल्लुक रखने की वजह से पुलिस पहले बहुत परेशान करती थी. कहीं पर भी चोरी होती थी उसके जुर्म में मुझे गिरफ्तार कर लिया जाता था. इस वजह से मुझ पर काफी मामले भी दर्ज हुए थे. हालांकि, वे सारे मामले बेबुनियाद थे.
चोरी कोई और करता था और पुलिस मुझे उठाकर ले जाती थी. पहले मैं पुलिस का नाम सुनते ही जंगलों की तरफ भागता था. मेरी इस हालात को देखकर मेरी बीवी ने कहा कि यह सब छोड़ दो अब हमारे पास पुरखों की जमीन है. हम उस पर खेती करेंगे और अपना गुजर बसर करेंगे. हमें खेती नहीं आती थी, हम लोगों के पास जाकर सीखते थे. खेती कैसे करते हैं और अब हम अपनी जमीन पर खेती कर रहे हैं और अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं.
आईजी चौहान ने बताया अब हम अपनी खेतों में मेहनत करते हैं और सालाना तीन से पांच लाख रुपये कमा लेते हैं. बच्चों के शिक्षा की भी हमने व्यवस्था की है. एक बच्चे ने बीए किया है और सरकार की कोई सुविधा ना होने के कारण उसे कोई नौकरी नहीं मिला.अब वह हमारे साथ खेती करता है. हम हमारे पारदी भाइयों से यही कहते हैं को वह भी गलत काम छोड़कर मेहनत करें.
इसे भी पढ़ें- ये हैं सोनीपत के दो जिगरी किसान दोस्त, राहुल गांधी ने बताई इनकी खेती-बाड़ी की कहानी
वहीं, आईजी चौहान की पत्नी नर्मदा चौहान ने कहा कि पहले लोग हमारे पहनावे को देखकर हमसे दूर भागते थे, लेकिन आज हम अच्छे से रहने लगे हैं तो गांव के लोगों जैसे दिखने लगे है. अब हमारा ऐसा पहनावा देखकर लोग हमें पहचानते ही नहीं कि हम पारदी है. पारदी समाज बोलें तो लोगों के मन में एक भावना होती थी कि यह चोर है, लोग डरते थे और पारदी समाज जंगल में ही रहते थे. शहर में कभी आते ही नहीं थे, लेकिन अब कुछ पीढ़ियों से यह सब बदल गया है.
आईजी चौहान की पत्नी नर्मदा चौहान ने आगे बताया 18 साल की उम्र में मेरी शादी हुई थी. शादी के बाद कुछ समय तक हम दूसरों के खेतों में से चोरी करके कपास लाते थे और उसे बेचकर अपना गुजर-बसर करते थे, लेकिन पुलिस वाले बहुत ज्यादा परेशान करते थे. अब वह हमने काम छोड़ दिया. हम खेती करते हैं. हमारे पास ट्रैक्टर है उसी से खेती करते हैं, कमाते हैं और खाते हैं.
इसे भी पढ़ें- Success Story: स्विट्जरलैंड से की पढ़ाई, छोड़ी MNC की नौकरी, जैविक खेती में पीलीभीत को दिलाई नई पहचान
जब हम अच्छा खाने और अच्छा रहने लगे, तो एडिशनल सुपरिटेंडेंट पुलिस पवन बनसोडे ने आईजी चौहान को सम्मानित किया और कहा कि आज चोरी डकैती के बजाए आईजी चौहान खुद खेती कर रहे हैं और अपने परिवार को अच्छी जिंदगी गुजारने की नसीहत दे रहे हैं. आईजी चौहान की पत्नी का कहना है कि अब हमने हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं ताकि पुलिस अगर हमारे परिवार के सदस्यों को चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार करती है, तो हमारे पास अब सीसीटीवी फुटेज भी रहेगा.
पहले कोई पुलिस को खबर देकर यह बोलता था कि मेरे पति ने कपास चोरी किया है तो उसको लेकर हमें पुलिस बहुत तकलीफ देती थी और जैसे ही पुलिस घर आती थी मेरे पति घर से भाग जाते थे. मैंने मेरे पति को कहा है कि अब यह काम छोड़ दो हम अब मेहनत करेंगे करेंगे और खाएंगे. मेरे पति की उम्र 50 साल है अब हम खेती करते हैं और मेहनत कर कमाकर खाते हैं. अभी 15 एकड़ जमीन में तुर और कपास लगाई है जिसमें 4 एकड़ में मौसंबी के बाग हैं. पहले हमको खेती करना नहीं आता था. हम बाहर जाते थे, खेत में काम करते थे, लोगों से सीखते थे कैसे खेती करते हैं. अब खुद की खेती करते हैं और अब खेती से सालाना 3 से 5 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. (इसरारुद्दीन चिश्ती की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today