
जालौन जिले से होकर गुजरने वाली यमुना और बेतवा नदी के जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि यमुना नदी खतरे के निशान से 3 मीटर से अधिक ऊपर बह रही है. बाढ़ की चपेट में आकर दर्जनों गांव प्रभावित हुए है और खेत तालाबों में तब्दील हो गए है. जिला प्रशासन भी लगातार रेस्क्यू कर लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने का काम कर रहा है. जालौन की तहसील कालपी, जालौन और माधौगढ़ से बहने वाली यमुना नदी में बढ़ते जलस्तर के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जिला प्रशासन द्वारा तत्काल राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं.
कालपी तहसील की यमुना नदी का जलस्तर आज दोपहर 111.90 मीटर दर्ज किया गया है, जो खतरे के निशान (108 मीटर) से 3 मीटर 90 सेमी अधिक है. बाढ़ का चेतावनी स्तर 107 मीटर निर्धारित है. प्रशासन के अनुसार, अभी जलस्तर और बढ़ने की संभावना है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है.
बाढ़ से तहसील कालपी के 8 गांव (पड़री, रायड़ दिवारा, गूढ़ा खास, उरकराकला, सिमरा शेखपुर, मंगरौल, एकौना, गुलौली), माधोगढ़ तहसील के 11 गांव (निनावली जागीर, कुसेपुरा, किशनपुरा, डिकौली जागीर, चंदनपुरा, भुरे का पूरा, पटराही, मुला का पूरा, मुहब्बतपुर, भिटौरा, कंचौसा) और जालौन तहसील के 6 गांव (संकरपुर, भदेख, टिकरी, लोहाई दिवारा, करमुख) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.
इन इलाकों के कुल 18,650 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 28 राहत केंद्र बनाए हैं. राहत कार्यों के लिए 62 छोटी नावें, 27 बड़ी नावें और 31 मोटरबोट तैनात की गई हैं. राहत शिविरों में खाद्य सामग्री, पीने का पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं और पशुओं के लिए चारा और टीकाकरण की व्यवस्था की गई है. अब तक 495 राहत किट वितरित की जा चुकी हैं. बाढ़ से कालपी तहसील के 14, माधोगढ़ के 19 और जालौन तहसील के 13 गांवों की कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
जिलाधिकारी जालौन और पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं. एसडीआरएफ की टीमें तैनात की गई हैं, जबकि तहसील स्तर के अधिकारी, पुलिस, स्वास्थ्य, पशुपालन तथा पंचायत विभाग के अधिकारी मौके पर मौजूद हैं. अभी तक किसी जनहानि या पशुहानि की सूचना नहीं है. फिलहाल, यमुना नदी का जलस्तर और बढ़ने की संभावना है, इसलिए जिला प्रशासन ने पूरी टीम को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम जारी है. (मोहम्मद अलीम सिद्दीक़ी की रिपोर्ट)
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