Success Story: स्विट्जरलैंड से की पढ़ाई, छोड़ी MNC की नौकरी, जैविक खेती में पीलीभीत को दिलाई नई पहचान

Success Story: स्विट्जरलैंड से की पढ़ाई, छोड़ी MNC की नौकरी, जैविक खेती में पीलीभीत को दिलाई नई पहचान

आधुनिक युग में कैमिकल युक्त खाद्य सामग्री व साग सब्जियों से लेकर खाने पीने की वस्तुओं ने मानव जीवन को अस्त व्यस्त करते हुए बीमारियों की जकड़ में रख कर मानव जीवन की श्रंखला के सालों को कम कर दिया है, लेकिन जैविक खेती के इस प्रयास ने न केवल आस पास के जिलो को बेहतर रोजगार मिल सकेगा.

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Success Story: स्विट्जरलैंड से की पढ़ाई, छोड़ी MNC की नौकरी, जैविक खेती में पीलीभीत को दिलाई नई पहचानMNC की नौकरी छोड़ कर रहे Organic Farming

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में किसानों को जैविक खेती में अलग पहचान मिल रही है. पीलीभीत के रहने वाले किसान के बेटे ने ऐसा कुछ कर दिखाया जिससे अपने खेती बाड़ी को छोड़कर अन्य जनपदों व विदेश में जाने वाले युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्त्रोत बन गया है. इस नौजवान ने किसानों को जैविक खेती से जोड़कर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना सच कर दिखाया है.

जैविक खेती में ANAKH एक ब्रांड

अमरिया तहसील के एक गांव बेला पोखरा के एक नौजवान आफताब सिंह संधू ने स्विट्जरलैंड से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की. मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया और फिर अपने वतन अपनी मिट्टी की सेवा करने लौट आया. आज उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर जैविक खेती को एक व्यवसाय के रूप में न केवल अपनाया बल्कि उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी. जैविक खेती में ANAKH एक ब्रांड बनकर उभरा है. 25 वर्षीय आफताब संधू ने ने जौविक खेती का अध्ययन कर अपने खेतों में सऊदी अरब से लेकर कई जगहों पर शोध के बाद ब्लैक व्हीट, रेड राइस, ग्रीन राइस सहित करीब आधा दर्जन से अधिक रंगों के चावल, गेंहू, सहित आलू, सरसों गन्ने की जैविक खेती जो बिना रयासन के उपयोग किए ही उगाना शुरू कर दिया, जो देखने मे भी खूबसूरत और पोषण युक्त हैं.

रेड राइस सहित तमाम किस्म की खेती

यही नहीं जैविक सरसों से लेकर पीलीभीत की पहचान बन चुके तिलक चंदन व हरे, काले चावल की दिन प्रतिदिन डिमांड बढ़ती गई और बढ़ते दामों से उनको इजाफा भी बढ़ता गया. जिसको लेकर लगातार जैविक खेती में उगाई गई फसलों की मांग बढ़ता देख आफताब ने पीलीभीत की तराई के युवाओं को जैविक कृषि से जोड़कर अन्य ग्रामीण क्षेत्रो में भी ब्लैक व्हीट, रेड राइस सहित तमाम किस्म की खेती को उगाना शुरू कर दिया.

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पीलीभीत के कई किसानों को गोष्ठी के माध्यम से उन्हें बेहतर खेती करने के साथ ही अच्छा रोजगार मिलने भी लगा. यही वजह से है कि पीलीभीत की तराई में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देकर जैविक खेती पर कार्य शुरू किया.

कैमिकल युक्त खाद्य सामग्री जानलेवा

दरअसल, आधुनिक युग में कैमिकल युक्त खाद्य सामग्री व साग सब्जियों से लेकर खाने पीने की वस्तुओं ने मानव जीवन को अस्त व्यस्त करते हुए बीमारियों की जकड़ में रख कर मानव जीवन की श्रंखला के सालों को कम कर दिया है, लेकिन जैविक खेती के इस प्रयास ने न केवल आस पास के जिलो को बेहतर रोजगार मिल सकेगा. बल्कि नई रंग बिरंगी फसलों की खूबसूरती व स्वाद में पोषक आहार बन मानव जीवन के लिए बेहतर उपयोगी साबित होगा.

लाल चावल, हरा चावल और बहुत कुछ....

आफताब ने किसान तक से बातचीत में बताया कि वह बीते कई सालों से अपने पिता के साथ संधू फार्म पर जैविक खेती के माध्यम से तिलक चंदन खुशबूदार चावल, लाल चावल, हरा चावल, जामिनी गेहूं, काला गेहूं सहित आधा दर्जन से अधिक किस्म के धान गेहूं सहित सरसों की फसल को उगा रहे हैं जिन को पूरी तरीके से बिना रसायन के उगाया जा रहा है और साथ ही साथ बढ़ती रंग बिरंगी जैविक फसलों के डिमांड के आधार पर अब उन्होंने जैविक खेती की पाठशाला लगाकर युवा बुद्धिजीवी ग्रामीणों की पाठशाला ट्रेनिंग के जरिए जैविक खेती करना सिखा रहे है.

विदेशों में रोजगार से अच्छा गांव की खेती

जिससे युवा अब अन्य जनपदों का विदेशों में रोजगार की तलाश में ना जाकर अपने ही गांव क्षेत्र में जैविक खेती कर बेहतर रोजगार भी कमा रहा है. आफताब ने जैविक खेती के एक ब्रांड ANAKH को आरंभ कर अपनी पहचान ही नहीं बनाई है. स्थिति यह है कि महानगरों में रहने वालों जब इसकी जानकारी मिलती है तो वे उनके फार्महाउस को देखकर अभिभूत होते है. आफताब में प्रयोगधर्मिता है, इसके बल पर उन्होंने बेर और सेब के मिश्रण से बेर की एक प्रजाति विकसित की, जो सेब से थोडी सी छोटी है. इसके अलावा उन्होंने कई और प्रयोग अपनी खेती में किये है. 10 एकड़ में जैविक खेती करने वाले आफताब सिंह संधू को कई संस्थाओं ने पुरस्कृत भी किया है. (पीलीभीत से नवीन लाल सूरी की रिपोर्ट)

 

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