
बिहार की रहने वाली चंपा देवी को इन दिनों एक अलग नाम से पुकारा जा रहा है. वह उस नाम से काफी खुश हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र से नाता रखने वाली महिलाओं को उनके पति के नाम से पुकारा जाता है. लेकिन जनवरी 2024 के बाद से उन्हें उनके पति के नाम से नहीं बल्कि ड्रोन दीदी के नाम से पुकारा जा रहा है. वे इस नाम को अपनी सफलता की पहली सीढ़ी मान रही हैं. हालांकि ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण लेने के बाद भी चंपा देवी ड्रोन नहीं उड़ा रही हैं. वजह कुछ कागजी प्रक्रिया का पूरा नहीं होना बता रही हैं. वह कहती हैं कि उन्हें नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन मार्च के महीने में ही मिल चुका है. लेकिन अभी ड्रोन उनके नाम पर ट्रांसफर नहीं हुआ है, जो आने वाले दिनों में हो जाएगा.
2017 से पहले जहां घर से बाहर निकलना ही चंपा देवी के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी. लेकिन स्वयं सहायता समूह के विलेज रिसोर्स पर्सन (वी.आर.पी) के पद पर काम करने के दौरान उन्हें खेती से नजदीक से जुड़ने का मौका मिला. इसके तहत वह नेट हाउस की मदद से सब्जी की खेती भी कर रही हैं. वहीं आगे चलकर उन्हे केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण लेने का मौका मिला. साथ ही जीविका की मदद से अपने पंचायत में खाद बीज की दुकान खोलने को लेकर स्वीकृति मिली. चंपा देवी बक्सर जिले के केसठ ब्लॉक के शिवपुर गांव की रहने वाली हैं. वे अपने जिले की पहली ड्रोन दीदी हैं जिन्होंने कृषि ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग ली है.
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चंपा देवी के परिवार की आय खेती पर निर्भर है. इनके पति खेती से जुड़े हुए हैं. वहीं पति के साथ खेती में हाथ बंटाने के अलावा जीविका से जुड़ी अन्य महिलाओं को आधुनिक विधि से खेती कराने को लेकर जागरूक करती हैं. यह कहती हैं कि ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण लेने के बाद और जीविका के जरिए ए.ई में चयन होने के बाद खाद बीज की दुकान मिल जाने से अब आय डबल होने की पूरी उम्मीद है. हर रोज ड्रोन से दवा छिड़काव को लेकर मांग आ रही है. वहीं पंचायत में खाद बीज की दुकान खुल जाने से किसान दूसरी जगह खरीदारी नहीं करने जाएंगे जिससे आय में बढ़ोतरी होगी.
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किसान तक से बात करने के दौरान चंपा देवी कहती हैं कि उन्हें जीविका के जरिए ही ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी मिली. वहीं चयन होने के बाद बीते आठ महीनों के दौरान कुल चार अलग-अलग स्थानों से अब तक प्रशिक्षण ले चुकी हैं. इंडोरामा इंडिया प्राइवेट नामक कंपनी द्वारा ड्रोन का प्रशिक्षण दिया गया जिसमें सबसे पहले जनवरी महीने में आठ दिनों की ट्रेनिंग हैदराबाद में मिली. इसके साथ ही दूसरा प्रशिक्षण चार दिन का मोतिहारी कृषि विज्ञान केंद्र, तीसरा घर पर तीन दिन का दिया गया. चौथा उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में चार दिवसीय प्रशिक्षण ले चुकी हैं.
आगे वह कहती हैं कि कृषि ड्रोन की मदद से किसानों का दवा, पानी, पैसा और समय सबकी बचत होती है. लेकिन ड्रोन को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में थोड़ी सी दिक्कत है क्योंकि हर खेत सड़क के किनारे नहीं है. उन परिस्थियों में एक अन्य साथी की जरूरत होगी.
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