पीएम कुसुम योजना के जरिए ग्रामीण इलाकों में सोलर प्लांट लगाकर बिजली और सिंचाई की व्यवस्था की जा रही है. यह योजना 2025 में पूरी होनी है, लेकिन अभी तक 100 फीसदी टारगेट का केवल 30 फीसदी ही हासिल किया जा सकता है. वह भी सिंचाई के लिए किसानों ने तो सोलर प्लांट लगाए हैं, लेकिन बिजली की बिक्री करने के लिए ग्रिड लगाने में रुचि कम देखी जा रही है. केंद्र सरकार ने इसकी वजह को टटोलकर आज बुधवार को बड़ी घोषणा करते हुए पीएम कुसुम योजना को एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड (AIF) में शामिल कर दिया है. इससे किसानों को सोलर प्लांट लगाने के लिए अब फंडिंग की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा.
आईटी व संसदीय मामलों के मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक के फैसलों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पीएम मोदी के किसान की आर्थिकि रूप में मजबूत बनाने की दिशा में पीएम कुसुम योजना को एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (AIF) में शामिल किया है. एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का कॉर्पस 1 लाख करोड़ रुपये का है, जिससे योजना के लाभार्थियों को प्लांट लगाने के लिए फंडिंग की व्यवस्था की जा सकेगी.
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पीएम किसान योजना के तहत किसान अपने खेत पर सोलर प्लांट लगाकर जो बिजली पैदा होगी उसे ग्रिड में बेच सकते हैं. इस योजना के लाभार्थियों को कंपोनेट ए के तहत निवेश को लेकर दिक्कत आ रही थी. इस दिक्कत को दूर करने के लिए इस योजना को एग्री इंफ्रा फंड में शामिल कर लिया गया है. उन्होंने कहा कि पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर प्लांट लगाने के लिए अब फंडिंग की समस्या दूर होगी, क्योंकि इसे एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड (AIF) में शामिल कर लिया गया है. यानी अब सोलर प्लांट लगाने के लिए किसान को पैसे की किल्लत नहीं झेलनी पड़ेगी.
केंद्र सरकार ने पीएम कुसुम योजना को 3 कैटेगरी में बांटा है. पहली कैटेगरी के तहत बंजर जमीन पर मिनी ग्रिड लगाना. दूसरी कैटेगरी के तहत डीजल सिंचाई पंपों को ऑफग्रिड सौर पंपों से बदलना. तीसरी कैटेगरी के तहत बिजली से चलने वाले सिंचाई पंपों को ऑनग्रिड सौर पंपों से बदलना और एग्रीकल्चर सोलर के लिए मिनीग्रिड लगाना. इसमें से दूसरी कैटेगरी का लाभ किसान ले रहे हैं. लेकिन, बाकी 2 कैटेगरी को लेकर रुचि कम देखी गई है. इसके चलते अब तक केवल 30 फीसदी टारगेट ही हासिल किया जा सका है.
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की इसी महीने अगस्त में आई रिपोर्ट में बताया गया कि पीएम कुसुम योजना के जरिए जिन किसानों ने सौर सिंचाई पंपों पर स्विच किया है वे खुश हैं. डीजल से सोलर पंप पर स्विच करने वाले किसान काफी बचत करते हैं. हरियाणा के कुछ किसान सालाना 55,000 रुपये तक की बचत करते हैं. लेकिन, पीएम कुसुम योजना की दूसरी कैटेगरी और तीसरी कैटेगरी के तहत प्लांट को लगाने में फंडिंग दिक्कतों के चलते किसान रुचि नहीं दिखा पा रहे थे. अब एग्री इंफ्रा फंड से पैसे की किल्लत दूर होने का रास्ता खुला है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि योजना को रफ्तार मिल सकती है.
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