प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राकृतिक उत्पादों को बढ़ावा देने की सोच को आगे बढ़ाते हुए सहारनपुर के किसान संजय सैनी ने एक अनोखी पहल की है. उन्होंने गन्ने के रस से शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक आइसक्रीम बनाकर बाजार में एक नई दिशा दी है. गर्मी के मौसम में लोग आइसक्रीम खाना पसंद करते हैं लेकिन केमिकल वाली आइसक्रीम सेहत के लिए हानिकारक होती है. संजय सैनी ने इसका समाधान निकालते हुए शुगर फ्री और केमिकल फ्री कुल्फी तैयार की है.
गन्ने के रस से बनी इस कुल्फी की कीमत 20 से 30 रुपये रखी गई है जो आम लोगों के बजट में है. यह कुल्फी शुगर और थायरॉइड जैसे रोगियों के लिए भी उपयुक्त है क्योंकि इसमें न तो रिफाइंड शुगर है और न ही कोई हानिकारक केमिकल. संजय ने इसके लिए गुजरात से स्टील की मशीन मंगवाई है जिससे रस का रंग और शुद्धता बनी रहती है. लोहे की मशीन में रस निकालने से आयरन रिएक्शन कर जाता है और रस का रंग काला हो जाता है.
उन्होंने बताया कि उनकी मशीन 10 मिनट में कुल्फी जमा देती है जिसे वह डीप फ्रीजर में रखकर पैक करते हैं. उन्होंने अब तक अनानास, अंगूर, केला, नींबू मसाला, बादाम और नारियल जैसी सात वैरायटी की कुल्फियां तैयार की हैं. आने वाले समय में वह चुकंदर, शहतूत और स्ट्रॉबेरी जैसी वैरायटी भी लाने की योजना बना रहे हैं. कुल्फी की बढ़ती डिमांड के कारण वह अब सहारनपुर में 15 जगहों पर इसे बेच रहे हैं. उन्होंने बताया कि लोग इसे शादी, बर्थडे और अन्य आयोजनों में भी ऑर्डर कर रहे हैं. फिलहाल उनकी मशीन एक बार में 80 से 85 कुल्फी बनाती है. इस पर 15 से 23 रुपये तक का खर्च आता है. लेकिन अगर डिमांड बढ़ी तो वह बड़ी मशीन भी लगाएंगे जो 400 से 500 कुल्फी एक साथ तैयार कर सके.
किसान संजय ने बताया कि उनका बचपन गुड़ और शक्कर के काम में ही बीता है. इसलिए उन्हें प्राकृतिक मिठास का अनुभव है. उनकी मानें तो इंजन वाली मशीनों से निकलने वाला धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है जबकि उनकी इलेक्ट्रिक मशीन प्रदूषण मुक्त है. लखनऊ, अलीगढ़ जैसे शहरों से भी उन्हें बुलावा आ रहा है ताकि वह वहां पर प्लांट लगा सकें. सहारनपुर के एक मेले में जब उन्होंने कुल्फी लगाई तो जनता और अधिकारियों दोनों से शानदार रिस्पॉन्स मिला. उनका मकसद सिर्फ व्यापार नहीं बल्कि लोगों को स्वास्थ्यवर्धक विकल्प देना भी है. भारत की परंपरा में गन्ने को भगवान का रूप माना गया है. ऐसे में उन्होंने गन्ने के रस को 'अमृत' समझा और इस दिशा में कदम बढ़ाया है. रिसर्च के अनुसार गन्ने के रस में नींबू मिलाकर पीने से शुगर नहीं बढ़ती है. बस इसी सोच को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कुल्फी तैयार की है.
संजय सैनी की यह पहल न केवल एक इनोवेशन है बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम भी है. उनकी कोशिशों से यह साबित होता है कि देसी संसाधनों और वैज्ञानिक सोच से बेहतरीन उत्पाद तैयार किए जा सकते हैं. कुल्फी का स्वाद तो लाजवाब है ही. साथ ही यह शरीर को ठंडक भी देती है. यह पहल ग्रामीण भारत के लिए प्रेरणा बन सकती है. इससे किसानों को भी अपने उत्पादों के नए उपयोग सीखने को मिलते हैं. यह कुल्फी पारंपरिक स्वाद के साथ आधुनिक सोच का मेल है. देशभर में अगर ऐसे प्रयासों को समर्थन मिले तो भारत में हेल्दी फूड इंडस्ट्री को नया आयाम मिल सकता है.
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