बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाले 23 वर्षीय किसान सोनू निगम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने हाल ही में पूसा में लगे कृषि मेले में सम्मानित किया है. सम्मानित होने वाले किसानों के बीच सोनू सबसे कम उम्र के किसान थे. सोनू बॉटनी, बीएससी से ग्रेजुएट हैं. लेकिन बिहार में सोनू की पहचान सोनू निगम के नाम से नहीं ,सोनू परवल वाले के नाम से है. 56 एकड़ जमीन पर सोनू सब्जी उगाने के साथ ही बकरी, गाय-भैंस और मछली पालन भी करते हैं. सोनू 2007 में देखे गए अपने पिता के ऑर्गेनिक फार्मर के सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं.
सोनू ने किसान तक से बातचीत के दौरान बताया कि मेरे पिता हाईस्कूल पास थे. लेकिन खेती के दम पर ही उन्होंने कई देशों की यात्रा की. पूसा, समस्तीपुर की समिति के मेम्बर भी रहे. हमेशा प्रोग्रेसिव बातें किया करते थे. बड़े-बड़े लोग उनसे मिलने आते थे. कई पुरस्कार भी उन्हें मिले थे. इसीलिए हमारी भी तमन्ना है कि खेती में उन्नत कार्य करने के लिए हमें भी एक दिन राष्ट्रपति से पुरस्कार मिले.
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सोनू की उम्र बेशक कम है, लेकिन उनके हौंसले बहुत बड़े हैं. खुद की छह एकड़ जमीन के साथ ही लीज पर ली गई 50 एकड़ जमीन पर भी सोनू खेती करते हैं. साल 2019 में करंट लगने से पिता की मौत हो गई. सोनू ने किसान तक को बताया, पिता ने साल 2007 से ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी थी. जिसे वो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ाते रहे. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर भी पिता की मदद करता था. इसी के चलते एक किसान के तौर पर पिता ने दुबई, जापान के अलावा दूसरे देशों की यात्रा भी की. पिता की मौत के बाद पूसा ने हमें भी हौंसला दिया. पिता की मौत के बाद खेती और पढ़ाई करने का विकल्प दिया था.
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सोनू बताते हैं कि उन्हें पूसा से ही परवल और नींबू का पौधा मिला था. लेकिन खेती करने के लिए खेत में उतरने के दौरान ही यह फैसला कर लिया था कि हर हाल में पिता के ऑर्गेनिक फार्मर बनने के सपने को पूरा करेंगे और पिता की राह पर ही चलेंगे. इसलिए जब परवल की खेती शुरू की तो बकरियों की मेंगनी (मैन्योर) से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर उसे परवल में इस्तेमाल किया. हमारा परवल साइज, वजन में दूसरे परवल से अलग है. रेट भी ज्यादा मिलते हैं. अपनी जमीन पर ही वर्मी कम्पोस्ट बनाते हैं. ऐसे ही सीडलेस नींबू उगा रहे हैं.
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