बीते कुछ सालों से देश में खेती और पशुपालन से जुड़ने वाले लोग खूब हो गए हैं. एक वक्त था जब लोग परिवार चलाने के लिए खेती में आश्रित थे लेकिन आज वो बीते जमाने की बात हो गई है. अब नए-नए लोग भी अच्छी खासी नौकरी छोड़ खेती से जुड़ रहे हैं, और लाखों की कमाई कर रहे हैं. ऐसा ही एक किस्सा मध्य प्रदेश के सागर से आया है, जहां एक इंजीनियर आशीष विश्वकर्मा ने 10 लाख का पैकेज छोड़कर मशरूम उगाना शुरू किया और खेती में नई इबारत लिख दी.
सागर के आशीष विश्वकर्मा ने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई भोपाल के एलएनसीटी कॉलेज से की और दिल्ली की एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी भी मिल गई. दो साल काम करने बाद आशीष ने गांव वापिस लौटने का फैसला किया और विदेशी मशरूम की खेती शुरू कर दी.
गांव लौटकर आशीष ने दो और इंजीनियर दोस्त (अनुराग विश्वकर्मा और शैलेंद्र सैनी) के साथ मिलकर एक खास किस्म के मशरूम की खेती शुरू की, जिसका नाम है ओयस्टर मशरूम. ये किस्म आम बटन मशरूम की तुलना में जल्दी तैयार होती है और अधिक पोषक तत्वों से भरपूर है.
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खास बात यह है कि आशीष ने खुद की एक ऑटोमेशन लैब तैयार की है, जहां मशरूम उगाने की पूरी प्रक्रिया सेंसर्स और तकनीक से संचालित होती है. इसमें न तो किसी मजदूर की जरूरत पड़ती है और न ही बार-बार निगरानी की, जिससे उत्पादन हाइजीनिक और लागत किफायती होती है.
अब तक मध्य प्रदेश में केवल बटन मशरूम का उत्पादन होता रहा है, जो 90 दिन में तैयार होती है. लेकिन ये युवा इंजीनियर ऐसी विदेशी ओयस्टर मशरूम उगा रहे हैं जो केवल 60 दिन में तैयार हो जाती है. यही नहीं, ये मशरूम वियतनाम, चीन जैसे देशों में भी काफी लोकप्रिय भी है. इंजीनियर अनुराग बताते हैं कि ओयस्टर मशरूम में पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व भरपूर होते हैं. जो दिल की बीमारियों, कैंसर और डायबिटीज से बचाते हैं. वहीं शैलेंद्र बताते हैं कि इसमें विटामिन B, D और कोलीन भी होता है, जो नर्व और मसल्स को मजबूत बनाता है.
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