वैसे तो किसी भी पशु के दूध की जांच करने का अपना एक तरीका होता है. लेकिन एक खास दूध ऐसा भी है जिसके ऊपर जमी मलाई इस बात की गवाह होती है कि दूध में मिलावट की गई है. जबकि गाय-भैंस के दूध को गर्म करते हुए अगर मलाई कम जमती है तो मान लिया जाता है कि दूध में मिलावट है.लेकिन बकरी के दूध के साथ उल्टा सिस्टम है. बकरी की दूध में मलाई जमे तो समझ जाएं दूध में मिलावट है. यह कहना है केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थायन (सीआईआरजी), मथुरा के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली का. उनका कहना है कि बकरी के दूध में से एक अलग ही तरह की स्मैल आती है जो उसकी सबसे बड़ी पहचान है.
बरबरी नस्ल की बकरियों का ब्रीडिंग सेंटर चलाने वाले राशिद उल हक का कहना है कि देश में ऑनलाइन बकरी का पाश्चराइज्ड दूध 200 ग्राम की बंद बोतल में 35 से 40 रुपये का बिक रहा है. अभी अमूल, मदर डेयरी समेत और बड़ी कंपनियों ने बकरी के दूध कारोबार में कदम नहीं रखें हैं, लेकिन जिस दिन ऐसा हुआ तो इस दूध की डिमांड और बढ़ जाएगी.
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डॉ. इन्द्रजीत सिंह गुरू अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी, लुधियाना के वाइस चांसलर का कहना है कि डॉक्टर भी दवाई के रूप में बकरी का दूध पीने की सलाह दे रहे हैं. बकरी के चरने की व्यवस्था को देखकर इसके दूध को ऑर्गेनिक भी कहा जा सकता है.
राजस्थान के बकरी पालक फहीम खान ने किसान तक को बताया कि खासतौर पर बकरी के दूध में मिलावट डेंगू के दौरान खूब होती है. यह वो मौका होता है जब चारों ओर डेंगू फैला होता है और हर जगह बकरी के दूध की डिमांड होती है. ऐसे मौके पर बहुत सारे लोग बकरी के दूध में गाय का दूध मिलाकर बेचने लगते हैं. क्योंकि गाय और बकरी के दूध में कई चीजों को लेकर समानताएं हैं.
सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि देसी तरीके मलाई और दूध की खास स्मैल से तो मिलावट की पहचान होती ही है, लेकिन जल्द ही साइंटीफिक किट से भी बकरी के दूध की पहचान हो सकेगी. किट को बनाने का काम हमारा संस्थान कर रहा है. जल्द ही यह टेक्नोजलॉजी किसी प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर कर दी जाएगी. जिसके बाद किट बाजार में आ जाएगी.
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