प्राकृतिक खेती समय की मांग बनती जा रही है क्योंकि इस खेती से उगाई गई सब्जियां और फल काफी स्वादिष्ट होते हैं. इस तरह के उपज की मांग तेजी से बढ़ रही है. तभी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं. प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य कम लागत में किसानों की आमदनी को बढ़ाना और खेतों की उर्वरता को बरकरार रखना है. प्राकृतिक खेती के फायदों और कमाई की संभावनाएं जानने के बाद हिमाचल प्रदेश के झंडूता ब्लॉक के ग्राम बेहना जट्टा के किसान करतार सिंह ने इसमें अच्छी सफलता हासिल की है. उन्होंने 26 हजार रुपये की लागत में खेती कर 48 हजार रुपये का मुनाफा कमाया.
शुरुआत में करतार सिंह ने रासायनिक खेती को अपनाया था. लेकिन, लागत के हिसाब से ज्यादा मुनाफा नहीं मिलने के कारण उन्होंने रासायनिक खेती छोड़ दी. उसमें उनकी 34 हजार रुपये की लागत का मुनाफा मात्र 48 हजार रुपये मिलता था. तब उन्होंने रासायनिक खेती को छोड़ प्राकृतिक खेती की ओर इसमें आगे बढ़ते हुए वे सफल हुए.
करतार सिंह ने प्राकृतिक खेती में फसल और सब्जियों का उत्पादन किया. उन्होंने फसलों में सोयाबीन, मटर, चना और गन्ना उगाए और सब्जियों में मिर्च, हल्दी और अदरक की खेती कर अच्छा मुनाफा कमाया. इन सभी फसलों की खेती उन्होंने अपने 18 बीघे खेतों में किया जिसमें उन्हें कुल 48 हजार रुपये का मुनाफा हुआ.
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प्राकृतिक खेती को रसायन मुक्त खेती के रूप में जाना जाता है जिसमें केवल प्राकृतिक चीजों का ही इस्तेमाल किया जाता है.
आज के समय में प्राकृतिक खेती का महत्व काफी बढ़ता जा रहा है क्योंकि खेती में रसायन और खाद के प्रयोग से जमीन की उपज शक्ति नष्ट होती जा रही है. प्राकृतिक खेती कृषि की पुरानी पद्धति है. यह जमीन के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने में मदद करती है. इसमें रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है. इसकी खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं सिर्फ उन्हीं का प्रयोग कीटनाशकों या खाद के रूप में किया जाता है. इसके लिए गाय का गोबर सबसे उपयुक्त माना जाता है. प्राकृतिक खेती के लिए गौपालन भी बेहद जरूरी होता है.
प्राकृतिक खेती से किसानों की उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. वही इसकी खेती करने वाले किसानों का मुनाफा भी अधिक होता है. इसकी खेती में प्राकृतिक खाद का प्रयोग होने से यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. यह पर्यावरण के लिए भी काफी बेहतर होता है. प्राकृतिक खेती के लिए पानी का भी कम इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक खेती के फायदे को देखते हुए अलग-अलग राज्यों में किसानों का रुझान इसकी और बढ़ता जा रहा है.
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