ओडिशा के संबलपुर जिले में फूल की खेती से बदली किसानों की किस्मत, बढ़ी कमाई

ओडिशा के संबलपुर जिले में फूल की खेती से बदली किसानों की किस्मत, बढ़ी कमाई

सनातनपाली में एक दशक पहले तक यहां के सिर्फ दो या तीन किसान ही फूलों की खेती करते थे और स्थानीय बाजारों में अपने उत्पाद बेचते थे. लेकिन पिछले 10 सालों में यहां पर फूलों की खेती का रकबा और किसान भी बढ़े हैं. अब गांव में 10 एकड़ से अधिक जमीन पर फूल की खेती की जाती है.

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ओडिशा के संबलपुर जिले में फूल की खेती से बदली किसानों की किस्मत, बढ़ी कमाईओडिशा में फूल की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

ओडिशा के संबलपुर जिले में फूलों की खेती से किसानों कि जिंदगी में खूबसूरत बदलाव आ रहा है. किसान फूलों की खेती के जरिए सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं. जिले के जुजुमारा में राज्य के पहला एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) है, जो विशेष तौर पर फूलों की खेती के लिए समर्पित है. जुजुमारा संबलपुर जिले का एक जंगली इलाका है. अन्य जगहों की तरह यहां पर भी पहले किसान पारंपरिक फसलों की खेती करते थे. सिर्फ कुछ किसान ही ऐसे थे जो फूल की खेती करते थे. लेकिन फूलों की खेती को लेकर यह बदलाव क्षेत्र में पिछले एक दशक के दौरान आया है. 

हालांकि जुजुमारा के किसान काफी लंबे समय से फूलों की खेती के बारे में जानते हैं. यहां के एक छोटे से गांव सनातनपाली में एक दशक पहले तक यहां के सिर्फ दो या तीन किसान ही फूलों की खेती करते थे और स्थानीय बाजारों में अपने उत्पाद बेचते थे. लेकिन पिछले 10 सालों में यहां पर फूलों की खेती का रकबा और किसान भी बढ़े हैं. अब गांव में 10 एकड़ से अधिक जमीन पर फूल की खेती की जाती है. इसके साथ ही अब गांव में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है. फूल की खेती से ग्रामीणों की कमाई बढ़ी है. 

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एफपीओ से मिली मदद

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार फूलों की खेती के कारण सबुजा सनातलपाली किसान उत्पादन कंपनी लिमिटेड (एफपीओ) आज इस गांव में अपनी जड़े जमाने में कामयाब हो रही है. इस गांव के अलावा आस-पास के 20 गांवों के किसान भी अब इस एफपीओ से जुड़ रहे हैं और फूल की खेती को अपना रहे हैं. इस तरह से पिछले कुछ वर्षों के दौरान लगभग 250 से अधिक किसानों ने फूलों की खेती को अपनाया है. हालांकि पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की तुलना में यहां फूलों की खेती काफी कम होती है, लेकिन एक बदलाव की शुरूआत हुई है जो काफी अच्छी और सकारात्मक है. 

फूली के खेती की तरफ बढ़ रहे किसान

सनातलपाली में फूलों की खेती को बढ़ावा देने में लखनऊ स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का योगदान भी रंग ला रहा है. क्योंकि इससे हाल के वर्षों में उत्पादन बढ़ा है. एनबीआरआई के निदेशक अजीत कुमार शासनी ने कहा पहले किसान पारंपरिक रूप से धान की खेती करते थे. पर अब बाजार की बढ़ती मांग के अनुसार फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. जो एक मुख्य नकदी फसल के तौर पर उभर रही है. फूलों की खेती किसानों के लिए एक अधिक आय तुरंत कमाई का जरिया प्रदान करती है. 

वैज्ञानिक तरीके से बढ़ा उत्पादन

उन्होंने कहा कि किसानों को वैज्ञानिक तरीके से फूलों की खेती की जानकारी होने के बाद उनकी पैदावार बढ़ी है. सनातनपाली एफपीओ के प्रबंध निदेशक मनोबोध बारिक के ने बताया कि अब सभी किसान एकजुट हो गए हैं. इसलिए अधिक उत्पादन होने पर भी उन्हें अपनी उपज को बेचने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया है जिसमें बाजार में फूलों की मांग से संबंधित अपडेट साझा किए जाते हैं. इससे किसानों को अपनी उपज बेचने में आसानी होती है. 

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किसानों की बढ़ी कमाई

फूलों की खेती को टिकाऊ बनाने के लिए, सीएसआईआर-एनबीआरआई ने अब किसानों के बीच मधुमक्खी पालन की शुरुआत की है और किसानों के बीच 150 मधुमक्खी बक्से और अन्य टूलकिट वितरित किए हैं. एफपीओ से जुड़े बागवानी एक्सपर्ट बताया कि फूलों की खेती के किसानों की कमाई बढ़ी है. आम तौर पर किसानों को रबी और खरीफ सीजन में एक एकड़ में धान और अन्य फसलों की खेती करने पर 40 हजार रुपये की  कमाई होती थी, लेकिन फूल की खेती करने से किसानों को प्रति एकड़ 1 लाख रुपये तक का मुनाफा हो रहा है.

 

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