Success Story: मधुमक्खी पालन ने बदली पटना के परमेश की जिंदगी, हर साल हो रही है 5 लाख से ज्यादा की कमाई

Success Story: मधुमक्खी पालन ने बदली पटना के परमेश की जिंदगी, हर साल हो रही है 5 लाख से ज्यादा की कमाई

मधुमक्खी पालन से लोग अच्छी कमाई कर रहे हैं. पटना के रहने वाले परमेश कुमार 25 साल से मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और सालाना 5 लाख से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं.

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Success Story: मधुमक्खी पालन ने बदली पटना के परमेश की जिंदगी, हर साल हो रही है 5 लाख से ज्यादा की कमाईफोटो 'किसान तक' : मधुमक्खी पालन करने वाले परमेश कुमार

''किसान परिवार से नाता रखने के बावजूद भी खेती में कभी मन नहीं लगा. हर समय कुछ नया व अलग करने की चाहत रही. निजी कंपनी में नौकरी भी की, लेकिन कुछ साल के बाद जीवन का काल चक्र ऐसा चला कि मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़ गया और आज इसकी बदौलत आर्थिक पक्ष के साथ सामाजिक जीवन में काफी मान-सम्मान मिल रहा है.'' किसान तक के साथ बातचीत में पटना जिले के रहने वाले 60 वर्षीय परमेश कुमार अपनी कहानी कुछ इस तरह बताते हैं. बिहार राज्य (beekeeping in bihar) में काफी बड़े स्तर पर लोग मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. बिहार शहद उत्पादन में टॉप पांच राज्यों में शामिल है. आज के दौर में ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस व्यवसाय से जुड़कर अपने परिवार का पालन पोषण सही तरीके से कर रहे हैं. उन्हीं में से एक परमेश कुमार  हैं.

परमेश करीब 25 साल से मधुमक्खी पालन कर रहे हैं और इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद से कई पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. वह कई तरह के शहद का कलेक्शन भी करते हैं. वह मूल रूप से पटना जिले के फुलवारी शरीफ प्रखंड के शिवाचक गोनपुरा के रहने वाले हैं.

रिश्तेदार ने जोड़ा मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से 

परमेश कुमार 1995 से मधुमक्खी पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. वह बताते हैं कि 1989 में एक बिस्कुट कंपनी में 400 रुपए महीना पर नौकरी करता था. 6 साल तक वहां नौकरी करने के बाद एक दिन अपने एक रिश्तेदार के पास गया, जो मधुमक्खी पालन करने के साथ प्रशिक्षण भी देते थे. उनसे इसके बारे में जानने के बाद मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद करीब पांच बॉक्स से व्यवसाय शुरू किया. उस दौरान करीब 6 महीने में 5 हजार रुपए की कमाई हुई, जो मेरी बिस्कुट कंपनी में पूरे साल मिलने वाली सैलरी से भी ज्यादा थी. उसके बाद कभी पीछे नहीं देखा और आज करीब 250 बॉक्स है. आगे परमेश कुमार कहते हैं कि जिस कृषि से नाता तोड़कर  कंपनी में नौकरी करने गया आज उसी खेतों में लगने वाली फसलों की फूलों का रस मेरी जिंदगी में खुशहाली व मिठास लाने का काम कर रहा है.

कमाई बढ़ी तो परिवार सहित दोस्त भी आए साथ

आज के समय में परमेश के पास 250 बॉक्स हैं और एक साल में वह करीब पांच लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. वह कहते हैं कि एक बॉक्स से करीब 6 हजार रुपए की कमाई होती है. वहीं इस पर खर्चा 1500 रुपए के आसपास आता है. यानी शुद्ध कमाई करीब 4500 रुपए के आसपास हो जाती है. आगे कहते हैं कि जब नौकरी छोड़कर इस व्यवसाय से जुड़ा तो  घर वाले भी काफी गुस्सा थे, लेकिन जब कमाई शुरू हुई तो उनका गुस्सा शांत हुआ और वह भी इस व्यवसाय में सहयोग करने लगे. वहीं गांव के लोग भी काम करने में रुचि दिखाने लगे. आज के समय में करीब 100 से अधिक लोगों को प्रशिक्षण भी दे चुका हूं.  किसान परमेश मधुमक्खी पालन के साथ शहद बेचने के लिए विभिन्न सरकारी मेले में भी जाते हैं.

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विभिन्न फसलों के फूलों से एकत्र करते हैं शहद 

किसान परमेश कुमार कहते हैं कि मधुमक्खी पालन एक स्थान पर रहकर नहीं किया जा सकता है. इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर जाना पड़ता है. तब जाकर अलग-अलग फूलों के रस का शहद प्राप्त होता है. वह कहते हैं कि बरसात के समय शहद नहीं मिलता है. जबकि ठंड के मौसम से लेकर गर्मी के बीच शहद इकट्ठा करने का काम किया जाता है. ये रांची सहित बिहार के विभिन्न जिलों में जरूरत के अनुसार शहद इकट्ठा करने के लिए जाते हैं. परमेश कुमार सरसों,सहजन के फूलों से भी शहद इकट्ठा करते हैं. इसके साथ ही जामुन, लीची सहित खेत एवं बगीचे में शहद इकट्ठा करने के लिए बॉक्स रखते हैं. वहीं एक बॉक्स  8 से 9 दिन में शहद से भर जाता है और 18 फीट चौड़ा और 22 फीट लंबे बॉक्स में करीब  35 किलो तक शहद हो सकता है. 

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