हिसार जिले में गांव गोरछी के रहने वाले पढ़े लिखे युवा किसान विशाल पचार ने मधुमक्खी पालन बिजनेस करने के साथ ही देशभर में उत्पादों की सप्लाई करके अन्य किसानों के लिए मिसाल पेश किया है. विशाल पचार लोगों को शुद्ध शहद उपलब्ध करवा रहे हैं. इसके साथ ही शहद की 12 अलग-अलग क्वालिटी लोगों के पास पहुंचाने का काम कर रहे हैं. विशाल और उनके पिता राजबीर पचार मधुमक्खी पालन से सालाना 12 लाख रुपये मुनाफा कमाने के साथ ही दूसरे किसानों व लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं. विशाल पचार ने अब तक 40 से अधिक किसानों को मधुमक्खी पालन क्षेत्र में निशुल्क प्रशिक्षण दे चुके हैं. साथ ही विशाल पचार 15 लोगों को रोजगार भी दिये हैं.
वहीं भारत सरकार द्वारा इनकी जगदेव ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड को 22 लाख रुपये की ग्रांट मिल चुकी है. विशाल पचार, मौजूदा वक्त में 250 से अधिक बॉक्स के माध्यम से यूपी राजस्थान, हरियाणा और उतराखंड सहित कई राज्यों में मधुमक्खियों के माध्यम से शहद का उत्पादन करते हैं.
विशाल पचार ने बताया कि उन्होंने सोनीपत के मुरथल दीन बंधु छोटू राम आरकेट्रैक्चर से पढ़ाई की है और भोपाल स्थित स्कूल ऑफ प्लानिंग आरर्किटेक्चर से अर्बन एंड रिजनल प्लानिंग की डिग्री हासिल की हुई है. इसके बावजूद विशाल अपने पिता राजबीर के साथ सुबह-शाम शहद के उत्पादन में लगे हुए हैं. उन्होंने बताया कि पिता पहले खुला शहद सप्लाई करते थे, लेकिन अब वे अपने फर्म बनाकर देशभर के बाजरों में लोगों को शुद्ध शहद पहुचा रहे हैं.
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विशाल ने बताया कि उनका शहद FSSAI सर्टिफाइड है. देशभर में कई स्थानों पर सप्लाई होता है. उनके शहद की क्वाविटी 100 प्रतिशत शुद्ध है जो लोगों को काफी पंसद आ रही है. उनकी युवाओं व किसानों से अपील है कि पारम्परिक खेती के साथ मधुमक्खी पालन का काम करें. इससे आमदनी दोगुनी हो सकती है.
उन्होंने बताया कि शहद का आम जीवन में इस्तेमाल करने के काफी लाभ हैं. वहीं उन्हें देशभर में लगने वाली एग्जीबिशन में भी बुलाया जाता है. राजबीर पचार ने बताया कि पहले वे खेती का काम करते थे. बाद में उन्होंने मधुमक्खी पालन का काम शुरु किया जिससे उन्हें मुनाफा होने लगा. आज उनका बेटा ऑफलाइन और ऑनलाइन अपने प्रोडेक्ट की मार्केटिंग करता है जिससे उनका जीवन काफी खुशहाल बन गया है.
विशाल पचार ने बताया कि हमारे पास 250 से अधिक मधुमक्यिों के बॉक्स हैं जिसमें लाखों की तादाद में मधुमक्खियां होती हैं. इन बॉक्स को सरसों के फूलों खेत में, आम के बाग, जामुन के बाग, सफेदा पेड़ के नीचे रख दिया जाता है. जिसमें मधुमाखियां फूलों पेड़-पौधों से शहद तैयार करती हैं. उन्होंने बताया कि एक साथ 16 हजार किलो शहद तैयार किया जाता है. शहद तैयार करने का समय अक्तूबर से अप्रैल माह तक होता है.
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उन्होंने बताया कि बॉक्स को राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा बॉक्स को पहुंचाया जाता है. जिसमें जामुन, सफेदा, झाड़ी, केसर, अजवाइन और लिची आदि के टैस्ट का शहद तैयार किया जाता है. विशाल के अनुसार अपना तैयार किया हुआ शहद, दिल्ली, पंजाब, चंडीगड, हरियाणा में सप्लाई करते हैं. वहीं अपने शहद का प्रचार आनलाइन व आफलाइन करते हैं.
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