
देश में छाेटी जोत वाले किसानों की संख्या 80 फीसदी से अधिक है. तो वहीं खेतीहर मजदूर भी बड़ी संख्या में हैं. मसलन, आज के समय में कई ऐसे लोग हैं, जिनके पास खुद की जमीन है. उसके बावजूद भी वह खेती से नाता तोड़कर बड़े शहरों में रोजगार करने के लिए पलायन कर रहे हैं. उनका मानना है कि खेती में बेहतर भविष्य नहीं है, लेकिन वैसे किसानों की सोच गलत साबित करते हुए आज कई किसान खुद की जमीन नहीं होने के बावजूद भी किराए की भूमि से मोटी कमाई कर रहे हैं. एक ऐसे ही प्रगतिशील किसान राजकुमार महतो हैं, जो पिछले 30 सालों से किराए की जमीन पर सब्जी की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं.
राजकुमार महतो बाहर नौकरी करने से अच्छा खेती को बेहतर मानते है. खुद की जमीन नहीं होने के बाद भी सालाना 6 लाख से अधिक की कमाई कर रहे हैं. साथ ही लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं.
राजकुमार महतो कहते हैं कि किसी कंपनी में आठ घंटा नौकरी करने के बाद महीने के अंत में एक सीमित पैसा मिलता है, लेकिन उतना ही मेहनत खेतों में करके अच्छी उससे अधिक कमाई की जा सकती है.महतो कैमूर जिले के रामगढ़ ब्लॉक के डहरक गांव के निवासी है और वह सब्जी की खेती के साथ जी9 केले की भी खेती करते हैं.
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राजकुमार महतो का मानना है कि अगर नौकरी करना है तो सरकारी नौकरी करें. वरना उसके समांतर बेहतर विकल्प सब्जी की खेती है.महतो बताते हैं कि वह पिछले 30 सालों से सब्जी की खेती कर रहे हैं और इस बीच में उन्हें कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ा. महतो कहते हैं कि खुद की जमीन नहीं होने के बावजूद भी सब्जी की खेती से अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. आज बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ घर की बुनियादी जरूरतें खेती से संभव हो रही है. इसके साथ ही दो लोगों को प्रति 15 हजार रुपये महीना पर रोजगार भी दिया है. राजकुमार सभी मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं. साथ ही इस साल केला की खेती भी शुरू किया है.
किसान तक से बातचीत करते हुए राजकुमार महतो कहते हैं कि वह 1993 में कुछ महीने के लिए राजस्थान के श्रीगंगानगर शहर में नौकरी किया, लेकिन कमाई का मोटा हिस्सा खुद के खर्च पर ही खत्म हो जाता था. उसके बाद तय किया कि अगर मेहनत ही करना है. तो यह मेहनत खेती में किया जाए. गांव आने के बाद किराये की जमीन पर खेती करना शुरू किया. आज कई लोग उनसे प्रेरणा लेकर बड़े शहर में नौकरी करने की जगह किराये की जमीन में खेती कर रहे हैं.
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आज राजकुमार महतो खुद डेढ़ एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं. साथ अन्य किसानों को भी जागरूक कर रहे हैं. इसी के गांव के रहने वाले किसान बृजमोहन सिंह कहते हैं कि हम लोगों के पास जमीन होने के बावजूद भी परंपरागत खेती से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं, लेकिन महतो किराए की जमीन लेकर व्यावसायिक खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. आज इनसे प्रभावित होकर गांव के कई किसान आधुनिक खेती की ओर कदम बढ़ाना शुरू कर चुके हैं.
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