गर्म इलाके में इस आदिवासी किसान ने उगा डाली स्ट्रॉबेरी, अब कमा रहे अच्छा मुनाफा

गर्म इलाके में इस आदिवासी किसान ने उगा डाली स्ट्रॉबेरी, अब कमा रहे अच्छा मुनाफा

गुजरात के दांता तहसील के एक गांव के आदिवासी किसान डाभी मफाभाई रायसाभाई ने पहली बार अरावली के पहाड़ी क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती की है.

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गर्म इलाके में इस आदिवासी किसान ने उगा डाली स्ट्रॉबेरी, अब कमा रहे अच्छा मुनाफाStrawberries
Story highlights
  • 600 रुपये किलो बेच रहे स्ट्रॉबेरी
  • गर्म वातावरण में भी उगा डाली स्ट्रॉबेरी

इंसान चाहे तो बंजर जमीन पर भी लहलहाती फसल खड़ी कर सकता है. गुजरात के पहाड़ी इलाके में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है, लेकिन इस गर्म वातावरण में भी एक किसान ने स्ट्रॉबेरी उगाकर सभी को हैरान कर दिया है.

गुजरात के दांता तहसील के एक गांव के आदिवासी किसान डाभी मफाभाई रायसाभाई ने पहली बार अरावली के पहाड़ी क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी की खेती की है. उन्होंने एक संगठन के जरिए 300 स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए. इसके बाद, उन्होंने मालसिन और ड्रिप सिंचाई के जरिए फसल की निरंतर देखभाल की. 

600 रुपये किलो बेच रहे स्ट्रॉबेरी
अब वह स्ट्रॉबेरी को बाजार में 600 रुपये प्रति किलो के अच्छे दाम पर बेच रहे हैं. दांता तहसील के इस किसान ने अपनी सूझबूझ और मेहनत से गर्म क्षेत्र में स्ट्रॉबेरी जैसा फल तैयार कर सभी को चौंका दिया है. आपको बता दें, स्ट्रॉबेरी हमेशा ठंडे क्षेत्रों में उगता है.

strawberries

गर्म वातावरण में भी उगा डाली स्ट्रॉबेरी
दांता तहसील गुजरात के सबसे पिछड़े और पहाड़ी इलाके के रूप में जाना जाता है. इस क्षेत्र में पानी की बहुत बड़ी समस्या है और इस क्षेत्र की मिट्टी भी केवल कुछ फसलों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. दांता तहसील में अधिकांश किसान बरसात के मौसम में गेहूं, कपास, मक्का और बाजरा की खेती करते हैं. ऐसे पहाड़ी क्षेत्रों में पानी की बड़ी समस्या होती है. लेकिन डाभी मफाभाई ने गर्म क्षेत्र में भी सफलतापूर्वक ठंडे मौसम के फल की खेती की है.

अब बड़े स्तर पर स्ट्रॉबेरी उगाने की योजना
किसान मफाभाई डाभी का कहना है कि अगर उनकी तरह दूसरे किसान भी मेहनत करें तो इस तरह से स्ट्रॉबेरी का उत्पादन सफल हो सकता है और इसे अच्छे दामों पर बेचा भी जा सकता है. उन्होंने कहा कि अगले साल हम सर्दियों के मौसम में पूरे खेतों में बड़ी मात्रा में स्ट्रॉबेरी बोएंगे और खेती के जरिए और भी अधिक उत्पादन करेंगे.

-शक्तिसिंह राजपूत

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