Farmer Success Story: भारत में अब हाईली क्वालिफाइड और बढ़िया जमी-जमाई नौकरी करने वाले लोग भी अपनी जॉब छोड़कर उन्नत खेती और बागवानी में रुचि ले रहे हैं और सफल किसान के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं. उनकी कहानियां अन्य किसानों और बागवानों को प्रेरित कर रही हैं. आज की यह कहानी मध्य प्रदेश के गुना जिला के एक ऐसे ही किसान की है, जिन्होंने एक नामी विदेशी बैंक की नौकरी छोड़ी और गुना लौट आए. अब वह चाइनीज खीरे की सफल खेती कर तगड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.
गुना के आरोन में रहने वाले सचिन श्रीवास्तव पिछले तीन साल से चाइनीज खीरे की खेती कर रहे हैं. पहले वह पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे थे, लेकिन बाद में उन्होंने बागवानी फसल की ओर रुख किया. वह एक साल में तीन बार खीरे की फसल उगा रहे हैं और एक एकड़ में 5 लाख रुपये तक मुनाफा हो रहा है.
'दैनिक भास्कर' की रिपोर्ट के मुताबिक, सचिन श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी स्कूली और ग्रेजुऐशन की पढ़ाई आरोन से ही हुई और उन्होंने भोपाल से 2006 में मास्टर्स इन कम्प्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) पूरा किया. इसके तुरंत बाद ही मुंबई के एक प्राइवेट बैंक में उनकी सालाना 8 लाख के पैकेज पर जॉब लग गई. उन्होंने बताया कि वह जॉब तो कर रहे थे, लेकिन उसमें उनका मन नहीं लग रहा था और वापस घर अपनी जड़ों की और लौटना चाहते थे. इसके बाद सचिन साल 2019 में आराेन में अपने घर वापस लौट आए और पारपरिंक खेती शुरू की, लेकिन मजा नहीं आया और तीन साल बाद बागवानी की ओर रुख किया.
सचिन ने चाइनीज खीरे की खेती को अपनाने का प्लान बनाया और बागवानी विभाग की मदद से एक एकड़ जमीन पर नेट हाउस तैयार किया. उन्होंने बताया कि यह पॉली हाउस की तरह ही होता है, बस इसमें ऊपर पॉलीथिन की जगह नेट का इस्तेमाल किया जाता है. इस नेट हाउस में ही वह खीरा उगा रहे हैं. सचिन ने बताया कि चाइनीज खीरे की खेती में 30-35 डिग्री सेल्सियस तापमान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
इसलिए वह नेट हाउस में इसकी खेती करते हैं, ताकि सीधी धूप पौधों पर न पड़े. साथ ही तापमान सही बनाए रखने के लिए उन्होंने इसमें ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया हुआ है. वहीं इसके साथ उन्होंने इस पौधे की जरूरत के हिसाब से बढ़ें तापमान को कम करने के लिए इरिगेशन सिस्टम में स्प्रिंक्लर भी लगाया है. जिससे छिड़काव कर तापमान कम करने में मदद मिलती है.
सचिन ने खेती की लागत के बारे में बताते हुए कहा कि चाइनीज खीरे की बुवाई के लिए एक एकड़ में करीब 7 हजार बीज लगते हैं. एक बीज की कीमत करीब 9 से 10 रुपये होती है और कंपनी टू कंपनी कॉस्ट चेंज होती है यानी उन्हें 63000 से 72000 रुपये बीजों पर खर्च करने पड़ते हैं. वहीं, वह खेती के लिए करीब 20 ट्रॉली गोबर का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें प्रति ट्रॉली की कीमत 1500 से 2000 रुपये पड़ती है. ऐसे में उनके 30 हजार से 40 हजार रुपये गोबर खाद में खर्च होते हैं. हालांकि, अगर खेत पर बनी खाद से इस लागत को कम किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त फसल की सिंचाई, दवाइयों के छिड़काव, तुड़ाई और मजदूरी के खर्च मिलाकर एक एकड़ में लगभग डेढ़ से दो लाख के बीच लागत लगती है.
सचिन ने बताया कि वह साल में तीन बार चाइनीज खीरे की बुवाई करते हैं. हर फसल से 35 दिन में उपज मिलना शुरू हो जाती है. फसल चक्र तीन महीने तक होता है. नवंबर में बाेई गई फसल से जनवरी में उपज मिलने लगती है. सचिन ने बताया कि वह गुना की मंडी में अपनी उपज बेचते हैं. जनवरी में उन्हें 35 रुपये किलो के भाव से दाम मिला, लेकिन देसी खीरा बाजार में आने पर कीमतें थोड़ी कम हो जाती हैं. अब उन्हें 20 रुपये किलो का भाव मिल रहा है. एक फसल चक्र में 20 टन तक उत्पादन हासिल होता है. यानी 7 लाख रुपये तक की कमाई होती है और लागत हटाने पर 5 लाख रुपये तक मुनाफा मिलने की संभावना रहती है.
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