योगी सरकार ने अपने कार्यकाल के लगातार सातवें बजट को किसानों के लिए आत्मनिर्भर बनने का मार्ग प्रशस्त करने वाला बताया है. इस बजट में सरकार ने गन्ना किसानों से लेकर युवा किसानों तक के लिए सुनहरे भविष्य का ताना बाना बुनने के इंतजाम होने का दावा किया है. सरकार के इन दावों से भरे बजट को किसी ने चुनावी बजट कहा, तो किसी ने कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी से किसान कल्याण की आभासी तस्वीर उकेरी गई है. किसान संगठनों ने इस बजट पर मिलीजुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
पिछले लोकसभा चुनाव के समय देश में सबसे बड़े किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने बजट में किसान हितैषी घोषणाओं पर सवाल खड़े किए हैं. संगठन के राकेश टिकैत ने कहा कि यह बजट किसान हितैषी नहीं है, बल्कि चुनाव हितैषी है. उन्होंने योगी सरकार से पूछा कि किसानों को मुफ्त बिजली देने की घोषणा क्या 2024 के चुनाव तक ही वजूद में रहेगी. टिकैत ने सोशल मीडिया पर जारी अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ''यूपी सरकार द्वारा सदन में पेश किया गया आम बजट किसान हित में कम 2024 के चुनाव हित में ज्यादा नजर आ रहा था. लोक संकल्प पत्र में वादा 5 साल मुफ्त बिजली का था और सरकार ने घोषणा 23/24 तक की है. क्या यह मुफ्त बिजली सिर्फ 2024 चुनाव तक है.''
किसान आंदोलन के बाद भाकियू से टूटकर अलग हुए गुट भाकियू 'अराजनैतिक' ने यूपी के किसानों के लिए बजट में निजी नलकूप पर बिजली निशुल्क प्रदान करने को स्वागत योग्य कदम बताया है. संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने 'किसान तक' से कहा कि बजट में किसानों को नलकूप के लिए बिजली मुफ्त करना, जैविक खेती के लिए 631 करोड़ 93 लाख रुपये आवंटित करना, ग्राम पंचायत एवं वार्ड स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना करना योगी सरकार के किसान हित में किए गए फैसले हैं.
उन्होंने कहा कि वैसे तो किसानों को बजट से काफी उम्मीदें थी, लेकिन इस बजट में जो भी किसान हितैषी फैसले किए गए हैं, उनके लिए भाकियू (अ) सरकार का आभार व्यक्त करती है.
गौरतलब है कि योगी सरकार ने पिछले बजट में किसानों को निजी नलकूप के बिजली बिलों में 50 प्रतिशत की छूट दी थी. इस बजट में यह छूट बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की घोषणा की गई है. इसके लिए 1500 करोड़ रुपये की बजट में व्यवस्था प्रस्तावित है.
इसी प्रकार यूपी नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए बजट में 631 करोड़ 93 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं. साथ ही ग्राम पंचायत एवं वार्ड स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की नई योजना हेतु 300 करोड़ रुपये का बजट में प्रस्ताव है.
पश्चिमी यूपी में गन्ना किसानों की आवाज पुरजोर तरीके से उठाने वाले किसान संगठन राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि सरकार ने छह साल में गन्ना किसानों का 1.90 लाख करोड़ रुपये बकाया भुगतान करने का बजट में दावा किया है. उन्होंने कहा कि अव्वल तो इस आंकड़े का बजट में इस्तेमाल करने का कोई औचित्य नहीं है.
सिंह ने कहा कि बजट में चालू वित्त वर्ष एवं आगामी वित्त वर्ष के आय व्यय का लेखा जोखा होता है. योगी सरकार ने गन्ना के खरीद मूल्य में इजाफा न करने के अपने फैसले से किसानों में उपजे रोष से मुंह छुपाने के लिए ये आंकड़ा पेश किया है. उन्होंने दलील दी कि इस तरह तो कांग्रेस भी 70 साल में गन्ना किसानों को कई लाख अरब रुपये बकाया भुगतान करने का दावा कर सकती है.
सिंह ने कहा कि योगी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि गन्ना खरीद के भुगतान का यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी चीनी मिलों का है या इसमें निजी गन्ना मिलों, सहकारी मिलों और निगम की मिलों के भुगतान का आंकड़ा भी मिला कर बताया गया है. उन्होंने कहा सरकार के ये आंकड़े संदेहास्पद हैं.
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