यूपी में जनसुनवाई समाधान पोर्टल यानि आईजीआरएस पर प्रदेश के नागरिक किसी भी तरह की शिकायत या समस्या को दर्ज करा सकते हैं. आईजीआरएस पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण में हर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर रैंकिंग की गई है. इस रैंकिंग में सहकारिता विभाग अन्य विभागों से ऊपर है. इतना ही नहीं, जनता की समस्याओं और शिकायतों के निस्तारण के मामले में कृषि और इससे जुड़े आठ विभाग टॉप 10 में शामिल किए गए हैं.
यूपी के सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर ने बताया कि शिकायतों के त्वरित, गुणवत्तापूर्ण एवं समयबद्ध निस्तारण हेतु गठित आईजीआरएस और हेल्पलाइन सिस्टम ने ताजा रैंकिंग जारी की है. इसमें तमाम विभागों को मिलने वाली शिकायतों के समयबद्ध एवं संतोषप्रद निस्तारण करने के मामले में टॉप टेन विभागों में सहकारिता विभाग पहले पायदान पर आया है.
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता की शिकायतों के निस्तारण को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखते हुए सभी विभागों को जनता की शिकायतें समय से निस्तारित करने का निर्देश दिया है, जिससे शिकायतकर्ता को कोई असंतुष्ट न रहे. राठौर ने कहा कि सहकारिता विभाग इसी मकसद को सामने रखकर जनता की शिकायतों का निस्तारण कर रहा है. इसी के फलस्वरूप विभाग, आईजीआरएस की रैंकिंग में अव्वल रहा है.
शासन स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले टॉप 10 विभागों कृषि एवं इससे जुड़े विभागों का दबदबा कायम रहा. इनमें टॉप 5 विभागों में कृषि से जुड़े विभाग शामिल किए गए हैं. रैंकिंग में पहले पायदान पर रहे सहकारिता विभाग के अलावा दूसरे स्थान पर सिंचाई एवं जल संसाधन और तीसरे स्थान पर चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग आए हैं. चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: ग्राम्य विकास विभाग और पंचायती राज विभाग हैं.
इसके बाद छठे स्थान पर बेसिक शिक्षा विभाग है. तदुपरांत अगले तीन पायदान पर फिर खेती किसानी से जुड़े विभागों काे शामिल किया गया. इनमें परती भूमि विकास 7वें पायदान पर, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग 8वें और कृषि विभाग 9वें स्थान पर रहा है. जनता की शिकायतों के निस्तारण में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग 10वें स्थान पर रहा.
मुख्यमंत्री कार्यालय की निगरानी में तैयार की गई इस सूची में उन विभागों को भी शामिल किया गया है जो जनता की शिकायतों एवं समस्याओं के समाधान में सबसे फिसड्डी साबित हुए हैं. इस मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले टॉप 10 विभागों में आयुष, नागरिक उड्डयन, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ, कारागार विभाग, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, खेलकूद विभाग, प्राविधिक शिक्षा, न्याय, आबकारी विभाग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग काे शामिल किया गया है.
आईजीआरएस पोर्टल पर हर विभाग की अलग अलग सुनवाई का इंतजाम किया गया है. आईजीआरएस पर दर्ज की गई शिकायतों को साॅफ्टवेयर की मदद से सम्बद्ध विभाग के पास निस्तारण के लिए भेज दिया जाता है. विभिन्न श्रेणियों की शिकायत एवं समस्याओं के समाधान के लिए पूर्व निर्धारित समय सीमा तय है.
इसमें शिकायत का निस्तारण किए जाने से शिकायतकर्ता द्वारा पोर्टल पर संतोष व्यक्त किए जाने पर ही शिकायत को निस्तारित माना जाता है. जब तक शिकायतकर्ता विभाग की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होता है, तब तक उसकी शिकायत पर सम्बद्ध विभाग को कार्रवाई जारी रखनी पड़ती है. जनसुनवाई समाधान आईजीआरएस पोर्टल पर अब तक 4 करोड़ 14 लाख 22 हजार 989 शिकायतें मिली हैं. इनमें से 4 करोड़ 10 लाख 49 हजार 533 का निस्तारण किया गया है और 3 लाख 73 हजार 165 शिकायतें लंबित हैं.
आईजीआरएस पर दर्ज शिकायतों के निस्तारण में हर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर रैंकिंग की जाती है. इस संदर्भ में जारी की गई ताजा रैंकिंग में सहकारिता विभाग सहित कृषि से जुड़े 8 विभाग टॉप 10 में शामिल किए गए हैं.
आईजीआरएस और हेल्पलाइन की रैंकिंग में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले 10 सर्वश्रेष्ठ विभागों के अलावा जनता की शिकायतों के निस्तारण में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले 10 सबसे फिसड्डी विभागों की सूची भी जारी की गई है. इतना ही नहीं जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकों की भी इसी तरह की एक सूची जारी की गई है.
गौरतलब है कि सीएम योगी के दिशा निर्देश एवं निगरानी में आईजीआरएस पोर्टल पर जनता की शिकायतों के निस्तारण की निरंतर समीक्षा की जाती है. इसके आधार पर रैंकिंग जारी की गई है. माना जा रहा है कि रैंकिंग में खराब प्रदर्शन करने वाले आईएएस अफसरों एवं विभागों पर गाज गिर सकती है.
राठौर ने बताया कि विभाग ने जनता की शिकायतों के निस्तारण में अव्वल रहने के बाद प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के उद्देश्य से राज्य एवं जिला स्तरीय समितियों का गठन कर दिया है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप यूपी के सहकारिता विभाग ने राज्य स्तर पर प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय 'राज्य को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट कमेटी' (एससीडीसी) एवं जनपद स्तर पर संबंधित जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 15 सदस्यीय 'जिला को-ऑपरेटिव डेवलपमेंट कमेटी' (डीसीडीसी) का गठन कर दिया गया है.
इन समितियों में सहकारिता विभाग, संयोजक तथा एपीसी शाखा के अन्य विभाग, नाबार्ड एवं बैंकिंग क्षेत्र की विशेषज्ञता प्राप्त संस्थाएं भी सदस्य हैं. राठौर ने बताया कि राज्य स्तर पर गठित समितियों का दायित्व सभी ग्राम पंचायतों को बी पैक्स या प्राथमिक डेयरी या मत्स्य पालन सहकारी समितियों के द्वारा कवर करना, इसके लिए कार्य योजना बनाना, उनकी समीक्षा करना तथा 05 वर्ष में प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक सहकारी समिति स्थापित करना, राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस को अपडेट करना तथा उसे प्रसारित करना है.
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