उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कृषि को तकनीक एवं बाजार के अनुकूल बनाकर खेती किसानी को मुनाफे का सौदा बनाने को लेकर काम कर रही है. इस संबंध में यूपी सरकार निजी एवं सामाजिक क्षेत्र के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. जिसके तहत 21 जिलों में प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं. इन प्रोजेक्टों में किये गये उपायों के परिणाम की समीक्षा मंगलवार को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने एक बैठक में की है. जिसका उद्देश्य ये पता लगाना है कि राज्य की ‘कृषक उत्पादन संगठन नीति’ के तहत किये गये इन उपायों से किसानों को कितना लाभ हुआ.
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उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बिल एंड मिलिंंडा गेट्स फांउडेशन सहित अन्य अग्रणी संस्थाओं के साझा सहयोग से चल रही इस परियोजना की आज समीक्षा की. समीक्षा बैठक से पहले उन्होंने बताया कि इस पहल के तहत खेती को सुगम, सहज एवं लाभप्रद बनाने के वाले नवोन्मेषी स्टार्टअप शुरु किये गये थे. खेती में कार्यकुशलता को बढ़ाने और इसे श्रम साध्य बनाने वाले स्टार्टअप को कृषि उत्पाद समूहों (एफपीओ) से किसानों को जोड़कर इस परियोजना को राज्य के 21 जिलों में चलाया जा रहा है. इसमें बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अलावा अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘अर्नेस्ट एंड यंग’ भी सहभागी है.
शाही ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चल रही इस परियोजना में कम मेहनत वाले यंत्रों, खासकर महिलाओं की सहूलियत के लिये बनाये गये कृषि यंत्रों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. जिससे किसानों को खेती में अनावश्यक श्रम न लगाना पड़े. साथ ही जलवायु परिवर्तन के अनुकूल फसल चक्र का निर्धारण, मिट्टी की अनुकूलता के मुताबिक कम पानी वाली फसलों को प्रोत्साहित करने और क्लस्टर में खेती कराकर कृषि उत्पादों को निर्यात के योग्य बनाने पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस काम को आगे बढ़ाने के लिये इन संस्थाओं के साथ सरकार ने एमओयू करके विभिन्न फसलों के लिये अधिक पोषक तत्वों वाले बीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे नागरिकों को पोषक तत्वों से भरपूर खाद्यान्न मुहैया कराकर देश में कुपोषण की समस्या से निजात पाया जा सके.
कृषि मंत्री ने बताया कि इस परियोजना में किसानों को नये कृषि यंत्रों के इस्तेमाल हेतु प्रशिक्षित भी किया जा रहा है. शाही ने कहा कि इस समय राज्य सरकार के शक्ति पोर्टल पर प्रदेश के 2000 एफपीओ पंजीकृत हो चुके हैं. सभी एफपीओ से क्लस्टर आधारित खेती को बढ़ावा देकर निर्यात योग्य कृषि उत्पाद मुहैया कराने की क्षमता धारण करने को कहा गया है. इस परियोजना में प्राकृतिक खेती और मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने को भी शामिल किया गया है.
उन्होंने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट में अभी प्रदेश के सभी आठ आकांक्षी जिलों को शामिल किया गया है. इनमें गोरखपुर मंडल के चारों जिले, बस्ती, वाराणसी, चंदौली और सोनभद्र के अलावा चित्रकूट, बांदा, फतेहपुर एवं औरैया जिले शामिल हैं. शाही ने कहा कि समीक्षा बैठक में पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों को पेश किया जायेगा. इन परिणामों को कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव बुधवार को सार्वजनिक करेंगे.
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