खरीफ सीजन में इस साल भारी बारिश से कई राज्यों में किसानों की फसलों का बड़े पैमाने पर नुकसान देख गया है. कुछ जगहों पर धान की कटाई के बाद बारिश हुई और फसल खराब हो गई. ऐसे में काफी किसानों को पता नहीं होता कि कटाई के बाद नुकसान पर मुआवजा मिलेगा या नहीं. सरकार उसे भी कवर करेगी या नहीं. जबकि पीएम फसल बीमा योजना के अंतर्गत पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान भी शामिल किया गया है. यह योजना के नियमों में लिखा हुआ है. फसल कटने के 14 दिन तक यदि फसल खेत में है और उस दौरान आई किसी भी आपदा के चलते उसका नुकसान हो जाता है तो किसानों की क्लेम की गई राशि देने का प्रावधान है. इसलिए अगर फसल कटाई के बाद किसी प्राकृतिक आपदा से नुकसान हुआ है तो आप उसका मुआवजा मांग सकते हैं.
बहुत से किसानों को सरकारी योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती. इसलिए वो योजना का लाभ नहीं उठा पाते. तो वहीं कुछ किसानों को फसल खराब होने पर फसल बीमा योजना के लिए कैसे क्लेम कर सकते हैं. कर सकते हैं या नहीं, इसका आइडिया नहीं होता है. फसल खराब होने पर पीएम फसल बीमा योजना के तहत बीमित फसलों के नुकसान की भरपाई का प्रावधान है. इसके लिए पीड़ित किसानों को 72 घंटे के भीतर संबंधित बीमा कंपनी को सूचना देनी होती है. वहीं, अगर किसी किसान की खेत या खलिहान में कटी हुई फसल भीग कर खराब हुई है. उसे भी बीमा योजना में कवर किया जाता है. इसके लिए किसानों को 14 दिन के अंदर व्यक्तिगत आधार पर बीमा कवर मिलता है.
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राजस्थान कृषि विभाग ने बीमा कंपनियों को फसल नुकसान का सर्वेक्षण तुरंत शुरू करने का आदेश दिया है. कुछ दिन पहले राजस्थान के कुछ हिस्सों में असामयिक बारिश से खरीफ फसलों का नुकसान हुआ है. बारिश के कारण फसल कटाई के बाद खेत में सुखाने के लिए रखी गई फसल को 14 दिन की अवधि में नुकसान होने पर व्यक्तिगत आधार पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बीमा मिलता है.
पीएम फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को बीमित फसल की जानकारी 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को देनी होती है. नुकसान की जानकारी किसान भाई टोल फ्री नंबर के जरिए दे सकते हैं. आपके बता दें कि सामान्य तौर पर मॉनसून बीच सितंबर के नजदीक उत्तर पश्चिम भारत से लौटने लगता है. साथ ही अक्टूबर माह के मध्य ये पूरे देश से चला जाता है.
प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना अंतर्गत फसल कटाई के बाद अगले 14 दिनों तक खेत में सुखाने के लिए रखी गई कटी हुई अधिसूचित फसल को चक्रवात, चक्रवाती वर्षा, बेमौसमी वर्षा और ओलावृष्टि से क्षति होने की स्थिति में बीमा कवर मिलता है. लेकिन इसे लेने के लिए किसान को सतर्क रहना होगा और अपने अधिकारों को जानना होगा.
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