तेलंगाना में धान की खेती ने बड़ा कमाल किया है. इस बार तेलंगाना में रिकॉर्ड 300 लाख टन धान की पैदावार हुई है. इससे खुश होकर तेलंगाना सरकार जल्द ही धान कुटाई और धान की प्रोसेसिंग के लिए नई पॉलिसी लॉन्च करेगी. दरअसल, तेलंगाना में बड़ी मात्रा में धान की पैदावार हो रही है, लेकिन उसे प्रोसेस करने की क्षमता कम पड़ रही है. इसलिए नई मिलिंग पॉलिसी लॉन्च करने के लिए तेलंगाना सरकार ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी धान की प्रोसेसिंग और मिलिंग को लेकर अपनी सिफारिश देगी जिसके आधार पर सरकार नई नीतियों का ऐलान करेगी.
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि हाई लेवल कमेटी इस बात की सिफारिश भी देगी कि प्रदेश में धान की नीलामी कैसे की जाए. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी क्योंकि नीलामी में पारदर्शिता होने से किसानों को फायदा होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तेजी से धान की पैदावार हो रही है, उस तेजी से धान की कुटाई यानी कि मिलिंग नहीं हो पा रही. इन दोनों काम में तालमेल बिठाने के लिए सरकार नई नीतियों का ऐलान कर सकती है.
पिछले साल एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि तेलंगाना सरकार तो केंद्रीय पुल में तैयार चावल देने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था क्योंकि मिलें 2021-22 के लिए चावल की कुटाई नहीं कर पाई थीं. चावल के उठाव के लिए केंद्र सरकार ने एक बार तारीख बढ़ाई, लेकिन दोबारा बढ़ाने से मना कर दिया. इस तरह तेलंगाना में 40 लाख टन धान की खरीद नहीं हो सकी.
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इन सभी परेशानियों को देखते हुए और उससे बचने के लिए तेलंगाना सरकार नई पॉलिसी लेकर आ रही है. तेलंगाना राज्य बनने के बाद अभी तक धान की उपज में चार गुना तक वृद्धि हुई है, लेकिन उस हिसाब से मिलिंग का काम नहीं बढ़ा है जिससे किसानों को अधिक फायदा नहीं हो पा रहा है. इससे धान की प्रोसेसिंग में भी देरी देखी जा रही है.
तेलंगाना में 22.23 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है जिसमें 42 परसेंट धान का रकबा लिया जाता है. इन सभी बातों को देखते हुए सरकार धान की मिलिंग और प्रोसेसिंग को लेकर नई नीति लॉन्च करेगी. सरकार इस बात पर भी विचार कर रही है कि प्रदेश में कुछ जगहों पर फूड प्रोसेसिंग जोन बनाए जाएं जहां प्रोसेसिंग का काम तेज किया जाएगा. इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. मिलिंग प्रोसेस और प्रोसेसिंग का काम तेज करने के लिए हाई लेवल कमेटी नई-नई टेक्नोलॉजी पर भी ध्यान दे रही है.
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