PMFBY: बैंक खाते से 'चुपचाप' कट जाता है फसल बीमा का प्रीम‍ियम, ऐसे तो ठगे जा रहे हैं क‍िसान!

PMFBY: बैंक खाते से 'चुपचाप' कट जाता है फसल बीमा का प्रीम‍ियम, ऐसे तो ठगे जा रहे हैं क‍िसान!

बीमाधड़ी: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को अब अन‍िवार्य से स्वैच्छ‍िक कर दि‍या गया है, लेक‍िन क‍िसानों के केसीसी बैंक खातों से प्रीम‍ियम काटने का न‍ियम क‍िसानों के ल‍िए परेशानी का कारण बना हुआ है.

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PMFBY: बैंक खाते से 'चुपचाप' कट जाता है फसल बीमा का प्रीम‍ियम, ऐसे तो ठगे जा रहे हैं क‍िसान!केसीसी बैंक खातों से खुद कट जाता है फसल बीमा प्रीम‍ियम- GFX Sandeep Bhardwaj

बीमाधड़ी: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना ने कई मायनों में क‍िसानों की राह आसान बनाई है, लेक‍िन ये भी सच है क‍ि इसका एक दूसरा पहलू भी है. बेशक ये योजना फसलों को प्राकृति‍क नुकसान होने पर क‍िसानों को मुआवजा उपलब्ध कराती है, जो नुकसान झेल रहे क‍िसानों के ल‍िए बड़ी राहत की तरह होता है, लेक‍िन दूसरी तरफ फसल बीमा कंपन‍ियों के उलझे हुए न‍ियम क‍िसानों के ल‍िए क‍िसी आफत से कम नहीं है. फसल बीमा कंपन‍ियों के न‍ियमों का मकड़जाल एक तरह से क‍िसानों के साथ बीमाधड़ी की तरह ही है. फसल बीमा कंपन‍ियों के न‍ियम प्रीम‍ियम काटने से लेकर मुआवजा देने तक पूरी तरह से अपारदर्शी हैं. इन सभी खाम‍ियों पर क‍िसान तक ने बीमाधड़ी सीरीज शुरू की है. बीमाधड़ी सीरीज की इस कड़ी में फसल बीमा कंपन‍ियों के क‍िसानों के बैंक खातों से 'चुपचाप' प्रीम‍ियम काटने के मकड़जाल पर पूरी र‍िपोर्ट... 

मना करने के बाद भी कट गया 5 हजार का प्रीम‍ियम

फसल बीमा कंपन‍ियों के न‍ियमों संबंधी मकड़जाल से पीलीभीत के अमर‍िया तहसील न‍िवासी इसरार अहमद भी परेशान हैं. इसरार अहमद बताते हैं क‍ि उनकी बैंक से ल‍िमि‍ट बनी हुई है. उन्होंने खरीफ सीजन 2022 में फसल बीमा ल‍िया हुआ था, लेक‍िन रबी सीजन में वह फसल बीमा नहीं लेना चाहते थे. इसको लेकर उन्होंने अध‍िकार‍ियों को सूचि‍त भी क‍िया था, लेक‍िन रबी सीजन 2022-23 के दौरान उनके बैंक खाते से फसल बीमा योजना के तहत 5000 रुपये से अध‍िक रुपये काट ल‍िए गए. इसके बारे में उन्हें सूच‍ित भी नहीं क‍िया गया, उन्हें जानकारी तब हुई, जब बैंक खाते से पैसे कटने का मैसेज उनके माेबाइल पर आया. इसरार बताते हैं क‍ि खेती में लागत लगातार बढ़ रही है. उस पर बीमा का खर्च अलग. वहीं बीमा करो के बाद भी उन्हें दो बार से लाभ नहीं म‍िला. इसल‍िए वह बीमा नहीं कराना चाहते थे, लेक‍िन बीमा कंपनी ने चुपचाप खाते से पैसा काट कर फसल बीमा कर द‍िया.

पैसे मांगे तो बीमा कंपनी ने न‍ियमों का हवाला देते हुए मना कर द‍िया  

इसरार अहमद आगे बताते हैं क‍ि बीमा कंपन‍ियों की इस मनमानी के ख‍िलाफ उन्होंने लड़ाई लड़ने का मन बनाया. ज‍िसके तहत उन्होंने प्रीम‍ियम के तौर पर बैंक खाते से ब‍िना बताए काटे गए 5000 रुपये वाप‍िस मांगने के ल‍िए इसकी श‍िकायत की, ज‍िसको लेकर उन्होंने बैंक मैनेजर से लेकर बीमा कंपनी के समक्ष श‍िकायत की, ज‍िसका जवाब बैंक की तरफ से 10 द‍िन बाद आया और बैंक ने न‍ियमों का हवाला देते हुए काटे गए पैसे वाप‍िस लौटाने से मना कर द‍िया. 

प्रीम‍ियम का पैसा मांगा तो बैंक ने न‍ियमों का हवाला देते हुए मना कर द‍िया- फोटो Saaim Israr
प्रीम‍ियम का पैसा मांगा तो बैंक ने न‍ियमों का हवाला देते हुए मना कर द‍िया- फोटो Saaim Israr

बैंक खाते से पैसे कम हुए पता चला क‍ि प्रीम‍ियम कट रहा 

फसल बीमा के ल‍िए बैंक खातों से चुपचाप प्रीम‍ियम काटने वाले बीमा कंपन‍ियों की शर्त से उत्तराखंड के उधम स‍िंह नगर की खटीमा तहसील न‍िवासी कैलाश पोखर‍िया भी परेशान हैं. कैलाश पोखर‍िया बताते हैं क‍ि उन्होंने केसीसी कार्ड बनवाया हुआ है, ज‍िस बैंक खाते से केसीसी कार्ड जुड़ा हुआ है, उससे 2 हजार रुपये की रकम अचानक से कट गई. इसकी जानकारी उन्हें तब हुई, जब उन्होंने पासबुक में एंट्री कराई. कैलाश बताते हैं क‍ि उन्हें तब पता चला क‍ि उन्होंने फसल बीमा करवाया ल‍िया है और जो पैसा उनके खाते से कटा है. वह फसल बीमा का प्रीम‍ियम है. कैलाश बताते हैं क‍ि वह फसल बीमा नहीं करवाना चाहते थे, लेक‍िन बीमा कंपन‍ियों का मकड़जाल ऐसा है क‍ि उन्हें ब‍िना पूछे ही बीमा हो गया.

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क्या है न‍ियम 

फसल बीमा योजना के प्रीम‍ियम काटने को लेकर नि‍यम बना हुआ है. ज‍िसमें एक बार संशोधन भी हो चुका है. पहले सभी क‍िसानों के ल‍िए फसल बीमा योजना अनि‍वार्य थी. ज‍िसके तहत केसीसी धारक सभी क‍िसानों के बैंक खातों से ऑटो प्रीम‍ियम कट जाता था. इसको लेकर क‍िसान संगठनों ने व‍िरोध दर्ज कराया. ज‍िसके बाद इसमें बदलाव हुआ. दो साल पहले हुए इस बदलाव के तहत फसल बीमा योजना को अन‍िवार्य से स्वैच्छ‍िक कर द‍िया गया है, लेक‍िन इसके बाद भी बीमा कंपन‍ियों का ये न‍ियम क‍िसानों को परेशान करने वाला है. 

अब बैंक को ल‍िख‍ित करना होता है सूच‍ित        

फसल बीमा योजना के प्रीम‍ियन काटने को लेकर अब जो नया न‍ियम बना है, उसमें क‍िसानों के खातों से प्रीम‍ियम के ऑटो कट जाने का प्रावधान है, लेक‍िन क‍िसानों के पास अध‍िकार है क‍ि वह बीमा कंपन‍ियों को ब‍ीमा नहीं करने को लेकर सूच‍ित कर सकते हैं. असल में नए न‍ियमों के तहत खरीफ और रबी सीजन शुरू होने से पहले बीमा नहीं कराने काे लेकर क‍िसानों को बैंक के समक्ष ल‍िख‍ित सूच‍ित देनी होती है. ज‍िसके तहत क‍िसानों को एक न‍िर्धार‍ित तारीख तक बैंक को ल‍िख‍ित में बीमा नहीं कराने की जानकारी देनी होती है.  

ल‍िख‍ित मना करने के न‍ियम से क‍िसान परेशान  

फसल बीमा ना लेने के ल‍िए बैंक में जाकर ल‍िख‍ित मना करने संबंधी न‍ियम को लेकर संयुक्त क‍िसान मोर्चा के पदाध‍िकारी अभ‍िमन्यु कोहाड़ कहते हैं क‍ि इस न‍ियम से क‍िसान परेशान हैं. वह कहते हैं क‍ि क‍िसानों के बीच जागरूकता का अभाव है. तो कई क‍िसान पढ़े ल‍िख नहीं हैं. ऐसे में उनके सामने ल‍िख‍ित मना करने का न‍ियम मुश्क‍िल खड़ा करता है. वहीं इस न‍ियम को लेकर चुरू के क‍िसान बलराम मीणा कहते हैं क‍ि बैंक में जाकर ल‍िख‍ित मना करना भी क‍िसानों के ल‍िए खर्चीला होता है, ज‍िसमें समय और पैसे दोनों खर्च करने होते हैं. 

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फसल बीमा और केसीसी बैंक खाता है इंटरलि‍ंक     

असल में फसल बीमा कंपन‍ियों की इस बीमाधड़ी को एक लाइन में समझने की कोश‍िश करें तो कहा जा सकता है क‍ि फसल बीमा और केसीसी बैंक खातों को इंटरल‍िंंक करने का प्रावधान इस पूरी समस्या की जड़ है. इसको लेकर संयुक्त क‍िसान मोर्चा के पदाध‍िकारी अभ‍िमन्यु कोहाड़ कहते हैं क‍ि केसीसी बैंक खाताें और फसल बीमा के बीच क्या संबंध है. ये समझ से परे है. फसल बीमा और केसीसी बैंक खाते को इंटरल‍िंक करने से क‍िसान परेशान होते हैं. इस न‍ियम में भी बदलाव करने की जरूरत है.    

 

 

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