प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को बचाने वाले 'सुरक्षा कवच' के नाम पर बनाई गई फसल बीमा योजना से बीमा कंपनियों ने जमकर कमाई की है. इस कारोबार में जुटी कंपनियों ने पिछले सात साल में ही रिकॉर्ड 57619 करोड़ रुपये का फायदा कमाया है. यानी हर साल 8231 करोड़ रुपये. योजना की शर्तें ऐसी बनाई गई हैं कि किसान मुआवजा लेने के लिए अपने जूते और चप्पल घिसता है जबकि कंपनियां मोटा मुनाफा कूटती हैं. सरकार ने इस योजना की शुरुआत बहुत अच्छे मंशा से की थी, लेकिन बीमा कंपनियों की कमाई और किसानों की कठिनाई को देखते हुए लगता है कि इसका असली लाभ किसानो को कम कंपनियों को ज्यादा मिल रहा है. इस योजना का प्रचार-प्रसार सरकार कर रही है और मलाई खा रही हैं बीमा कंपनियां.
कृषि क्षेत्र पर बेबाकी से अपने विचार रखने वाले रमनदीप सिंह मान ने अपने ट्विटर पर बीमा कंपनियों की कमाई का आंकड़ा रिकॉर्ड सहित शेयर किया है. उन्होंने लिखा है कि किसानों की आय दोगुनी करने वाली फसल बीमा योजना का ये रिपोर्ट कार्ड है. जिसमें बीमा कंपनियों को 2016-17 से 2022-23 तक 1,97,657 करोड़ रुपये का प्रीमियम मिला. जबकि किसानों को क्लेम के तौर पर सिर्फ 1,40,038 करोड़ रुपये मिले. फसल बीमा कंपनियों को लाभ हुआ 57,619 करोड़ रुपये का.
इसे भी पढ़ें: किसानों का नुकसान करने के बावजूद कम नहीं हुआ गेहूं का दाम, क्या अब इंपोर्ट ड्यूटी घटाएगी सरकार?
दरअसल, फसल बीमा में लगातार सुधार किए जा रहे हैं इसके बावजूद किसानों को आसानी से मुआवजा नहीं मिलता. क्योंकि, सरकार बीमा कंपनियों से उन शर्तों को नहीं बदलवा रही है जिसकी किसान मांग कर रहे हैं. दरअसल, फसल बीमा कंपनियों को तीन हिस्सों में प्रीमियम मिलता है. इसमें किसान, राज्य, और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी होती है. किसानों से रबी फसलों के लिए सिर्फ 1.5 फीसदी, खरीफ के लिए 2 प्रतिशत जबकि कमर्शियल क्रॉप और बागवानी फसलों के लिए 5 फीसदी प्रीमियम लिया जाता है. बाकी पैसा देना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मदारी है. प्रीमियम सब्सिडी के तौर पर दोनों सरकारें बीमा कंपनियों को पैसा देती हैं.
Report Card of Pradhan Mantri Fasal Beema Yojna, which was to double farmers income
— Ramandeep Singh Mann (@ramanmann1974) July 21, 2023
2016 to 2022
~Gross Premium=1,97,657 crores
~Paid Claims=1,40,038 crores
~Profit of Insurance Companies=57,619 crores
Seems, not farmers, but Insurance companies had a field day #profit🤨 pic.twitter.com/NDJNK4IB5s
केंद्र सरकार जब फसल बीमा योजना का प्रचार करती है तो बीमा कंपनियों को मिलने वाले सिर्फ उस प्रीमियम की बात करती है जो किसानों की ओर से दिया जाता है. बाकी प्रीमियम का पैसा वो नहीं बताती. ऐसे में आम जनता को लगता है कि किसानों ने बहुत कम पैसा दिया और लाभ ज्यादा मिला. जबकि राज्य और केंद्र द्वारा योजना में दिया गया प्रीमियम भी पैसा ही होता है. जो टैक्सपेयर्स से आता है. सरकार द्वारा कंपनियों को दिए जाने वाले प्रीमियम को भी जोड़ दिया जाए तो पता चलता है कि फसल बीमा कंपनियां इस योजना से कितनी मलाई खा रही हैं.
किसान शक्ति संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि पर्चा फट रहा है किसानों के नाम पर और कमाई कर रही हैं फसल बीमा कंपनियां. किसानों, केंद्र और राज्यों ने मिलकर फसल बीमा कंपनियों को सात साल में प्रीमियम के रूप में जितना पैसा दिया है, उतनी रकम से तो सरकार खुद मुआवजा बांट सकती थी और किसानों को प्रीमियम भी नहीं देना पड़ता. यही नहीं सरकार खुद योजना चलाए तो 35-40 हजार करोड़ रुपये बच भी जाएंगे. अगर सरकार स्कीम नहीं चला रही है तो इन कंपनियों का मुनाफा देखते हुए कम से कम किसानों से प्रीमियम लेना बंद कर दिया जाए.
इसे भी पढ़ें: बासमती चावल का बंपर एक्सपोर्ट, पर कम नहीं हैं पाकिस्तान और कीटनाशकों से जुड़ी चुनौतियां
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today