पिछले 4 साल में देश में एफसीआई के गोदाम बनाने में जिस तरह का काम होना चाहिए, वैसा नहीं हो पाया है. यहां तक कि गोदाम बनाने का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया है. इसे लेकर संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार पर सवाल उठाया है. स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की खिंचाई की है. स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर सरकार को फौरन एक हाई लेवल कमेटी बनाने और एफसीआई गोदाम के निर्माण काम में तेजी लाने को कहा है.
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण से जुड़ी स्थायी समिति ने संसद में प्रस्तुत 2024-25 के लिए अनुदान मांगों पर रिपोर्ट में एफसीआई गोदामों के निर्माण में ढिलाई पर चिंता जताई है. स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में गोदामों के निर्माण में प्रगति की कमी है. स्थायी समिति ने इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए कहा कि सरकार को इसमें तत्काल तेजी लानी चाहिए.
हालांकि स्थायी समिति ने ये बात भी बताई कि राज्य की ओर से गोदामों के लिए जमीन अधिग्रहण में देरी एक बड़ी समस्या है जिस वजह से निर्माण का काम लगातार अटका हुआ है. इसके अलावा पूर्वोत्तर का उबड़-खाबड़ इलाका और मौसम में लगातार बदलाव को भी गोदाम निर्माण में देरी की वजह बताई गई है. इन तमाम चुनौतियों के बीच सरकार को सलाह दी गई है कि अच्छी प्लानिंग और प्रबंधन के जरिये इन चुनौतियों से पार पाया जा सकता है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में 50,100 टन क्षमता वाले गोदाम निर्माण के लक्ष्य के मुकाबले भारतीय खाद्य निगम (FCI) 52.75 करोड़ रुपये खर्च करके केवल 1,760 टन क्षमता ही हासिल कर सका. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024-25 के लिए 58,540 टन क्षमता का निर्माण करने का लक्ष्य था, "लेकिन 30 सितंबर तक उपलब्धि शून्य रही है".
इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के मद्देनजर एफसीआई सितंबर तक 2021-22, 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए गोदामों के निर्माण का लक्ष्य हासिल नहीं कर सका.
देश में साइलो के निर्माण पर समिति ने देश भर में, खास तौर पर गेहूं की खपत वाले राज्यों में व्यवस्थित तरीके से साइलो बनाने पर जोर दिया. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह महत्वपूर्ण है कि साइलो का निर्माण एक निश्चित समय के भीतर पूरा हो. इसके अलावा, सरकार को इस प्रयास में निजी कंपनियों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए और साइलो चलाने के काम में सुधार के लिए इस संबंध में निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना चाहिए.
देश भर में अलग-अलग स्थानों पर 24.25 लाख टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण कार्य चल रहा है, जिनमें से 17.75 लाख टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण पूरा हो चुका है और बाकी 6.5 लाख टन साइलो का निर्माण कार्य अलग-अलग चरणों में है.
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स्थायी समिति ने उस बात को भी उठाया है जिसमें राशन दुकानों के डीलरों के कम वजन करने की बड़ी संख्या में शिकायतें हैं. समिति ने सरकार को सुझाव दिया कि वह राज्यों को सभी इलेक्ट्रॉनिक तौल-तराजू को प्रत्येक इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस के साथ जोड़ने के लिए सभी जरूर कदम उठाए जाएं.
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