हरियाणा सरकार ने जमीन से जुड़े किसानों के काम आसान करने के लिए एक अहम निर्णय किया है. प्रदेश में जमीन की फर्द (जमाबंदी) तैयार करने के लिए नया सॉफ्टवेयर लिया गया है. जिसके माध्यम से किसानों को अपनी जमीन की फर्द लेने के लिए पटवारखानों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस बात की जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जो जमाबंदी निकाली जाएगी, उस पर क्यूआर कोड अंकित होगा. क्यूआर कोड अंकित होने के कारण ही इस फर्द को वेरीफाइड डॉक्यूमेंट माना जाएगा.
चौटाला ने कहा कि हरियाणा सरकार ने यह सॉफ्टवेयर केंद्र सरकार से खरीदा है. इस सॉफ्टवेयर से जो जमाबंदी निकाली जाएगी, उससे किसान लोन भी ले सकेंगे और पटवारी से हस्ताक्षर करवाने की जरूरत भी नहीं होगी. यह किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत है. पहले इस काम के लिए किसानों को काफी भागदौड़ करनी पड़ती थी. उप मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अब बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे बल्कि एक जनवरी 2023 से एक लाख 80 हजार रुपये सालाना से कम आय वाले परिवारों की वेरीफाइड आय के आधार पर बीपीएल कार्ड अपने आप ही बन जाएंगे.
उधर, कुछ दिनों पहले सीएम ने कहा था कि राज्य सरकार जमीन सुधार के लिए नया सिस्टम लेकर आ रही है. इसके माध्यम से सारी कृषि जमीन का रिकॉर्ड उपलब्ध हो जाएगा. जमाबंदी के लिए नया फॉर्मेट भी तैयार किया गया है. कृषि भूमि को परिवार पहचान पत्र से जोड़ने का भी भी प्लान है. यही नहीं सरकार ने कृषि भूमि की मैपिंग करवाने का भी निर्णय लिया है. ताकि खेती वाली जमीन का सही-सही डाटा हो और उसके हिसाब से किसानों के लिए स्कीमें बनाकर उनको लाभ दिया जा सके.
फिलहाल, उप मुख्यमंत्री चौटाला ने कहा कि अब किसानों को अपनी फसल के पैसों के लिए आढ़ती के पास जाने की जरूरत नहीं रह गई है, बल्कि किसानों के खातों में उनकी फसल की राशि सीधे डाली जा रही है. वो भी सिर्फ 48 घंटे के भीतर. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बदलाव से किसान पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है. सरकार ने टेक्नोलॉजी की मदद से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया है बल्कि ऐसी व्यवस्था तैयार की है कि अब लोगों को घर बैठे ही सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
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