राजस्थान में ग्रामीण और कृषि समेत अन्य योजनाओं के लिए नाबार्ड की ओर से 4.4 लाख करोड़ रुपये का लोन मिलने वाला है. यह अनुमानित रकम प्रॉयरिटी सेक्टर लोन के रूप में मिलेगी. इस राशि को कृषि इंफ्रा, ग्रामीण विकास समेत अन्य जरूरी कार्यों के लिए खर्च किया जा सकेगा. अनुमान है कि कुल जारी होने वाली रकम में से 47 फीसदी हिस्सा कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए खर्च किया जाएगा. लोन जारी होने को लेकर नाबार्ड ने जयपुर में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए राज्य केंद्रित पत्र जारी किया.
कमजोर सामाजिक वर्ग को वित्तीय मदद देने के लिए आरबीआई ने सभी बैंकों के लिए प्रॉयरिटी सेक्टर लेंडिंग के रूप में निर्धारित राशि जारी करना मैंडेटरी किया है. इसका उद्देश्य ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है और कमजोर-मजबूत के बीच की खाई को पाटना है. पीटीआई के अनुसार इसी क्रम में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने 2025-26 के लिए राजस्थान को 4.4 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण वितरण का अनुमान लगाया है.
बता दें कि नाबार्ड केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक है, जो राज्यों को ग्रामीण और कृषि समेत अन्य सामाजिक गतिविधियों के लिए लोन के रूप में रकम उपलब्ध कराता है.
नाबार्ड के अनुसार यह लोन इंटीग्रेटेड और टिकाऊ ग्रामीण समृद्धि पक्का करने के लिए राज्य को दिया जाएगा. आधिकारिक बयान के अनुसार यह पत्र राजस्थान में भौतिक और वित्तीय दोनों नजरिए से जिलेवार ऋण वितरण की संभावनाओं का कंसोलिडेटेड डॉक्यूमेंट है. इसके अनुसार नाबार्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 4.4 लाख करोड़ रुपये के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) वितरण का अनुमान लगाया है. ऋण की संभावित राशि पिछले वर्ष के अनुमान से 22 फीसदी अधिक है.
कुल अनुमानित ऋण क्षमता में से 47 फीसदी कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए खर्च की जाएगी. 45 फीसदी रकम लघु एवं मध्यम उद्योग एमएसएमई क्षेत्र के लिए और 8 फीसदी अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे आवास, शिक्षा आदि के लिए खर्च की जा सकती है. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. राजीव सिवाच ने कहा कि एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाकर, कृषि उपज का समूहीकरण, मूल्य संवर्धन तथा किसानों को किसान उत्पादक संगठनों (FPO) में संगठित करके कृषि उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today