सरकार ने चावल की बढ़ती महंगाई के बीच एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक की घोषणा की है. इसके लिए सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल की एक्सपोर्ट पॉलिसी में कुछ बदलाव किया है. यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि देश में सस्ते चावल की उपलब्धता बनी रहे. हाल के कुछ महीनों से चावल के दाम में लगातार तेजी रही है. चावल की महंगाई पहले से बढ़ गई है. इस महंगाई को कम करने के लिए सरकार ओपन मार्केट सेल स्कीम यानी कि OMSS चला रही है. इसके तहत खुले बाजार में सस्ते रेट पर चावल बेचा जा रहा है. सरकार एफसीआई के जरिये 31 रुपये किलो की दर से बाजार में चावल बेच रही है. इसके बावजूद महंगाई में कमी नहीं आई है. ऐसे में सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है.
निर्यात पर रोक का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि आने वाले त्योहारी सीजन में बाजार में चावल की सप्लाई सुचारू रहे और लोगों को सस्ती दर पर मुहैया हो सके. सरकार ने इसके लिए गैर-बासमती सफेद चावल की निर्यात पॉलिसी में बदलाव किया है. पहले चावल की यह वैरायटी 'फ्री विद एक्सपोर्ट ड्यूटी ऑफ 20 परसेंट' में रखी गई थी जिसे बदलकर 'प्रोहिबिटेड यानी कि निषेध' कैटेगरी में डाल दिया गया है. यह बदलाव फौरी तौर पर लागू कर दिया गया है. यानी सरकारी फैसले के आते ही गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लागू हो गई है.
चावल की घरेलू कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसकी खुदरा कीमतों में एक साल में 11.5 परसेंट और पिछले महीने में तीन परसेंट की वृद्धि हुई है. आगे त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है जिसमें चावल की खपत बढ़ जाएगी. ऐसे में इसकी महंगाई बड़ा मुद्दा बन सकती है और लोगों की परेशानी बढ़ सकती है. इसे देखते हुए सरकार ने फौरी तौर पर गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है.
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आपको बता दें, चावल की कीमत कम करने के साथ-साथ घरेलू बाजार में उपलब्धता बनाए रखने के लिए पिछले साल आठ सितंबर को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 परसेंट का निर्यात शुल्क लगाया गया था. हालांकि, 20 परसेंट निर्यात शुल्क लगाने के बाद भी इस किस्म का निर्यात 33.66 LMT (सितंबर-मार्च 2021-22) से बढ़कर 42.12 LMT (सितंबर-मार्च 2022-23) हो गया. चालू वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-जून) में, चावल की इस किस्म का लगभग 15.54 LMT निर्यात किया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 (अप्रैल-जून) के दौरान केवल 11.55 LMT निर्यात किया गया था. यानी इस निर्यात में 35 फीसद की वृद्धि देखी गई. निर्यात में इस तेजी को देखते हुए भी सरकार ने इस पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.
भारत से इस किस्म के चावल के निर्यात में तेजी कई कारणों से देखी जा रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध, अल-नीनो की आशंका और चावल उगाने वाले देशों में जलवायु परिवर्तन की मार इसमें अहम हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में अनाजों की सप्लाई पर बेहद बुरा असर हुआ है. इसी के साथ दुनिया के कई देशों में अल-नीनो का असर दिखने की आशंका है. इससे धान और चावल की पैदावार गिर सकती है. दुनिया में जितने भी प्रमुख चावल उत्पादक देश हैं, वहां जलवायु परिवर्तन के चलते पैदावार गिरने की आशंका है. कई देशों में पैदावार गिरी भी है. इन वजहों से भारत के चावल की मांग दुनिया के कई देशों में बनी हुई है.
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देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 परसेंट है. गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध से देश में उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी. कुछ यही सोचकर सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया है.
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