बिहार में देसी पशुओं की नस्ल को बढ़ावा देने के लिए एक प्रस्ताव जारी किया गया है. इसके तहत पशुपालकों को 75% तक का अनुदान दिया जाएगा. डेयरी विकास निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बिहार के पशुपालन विभाग ने देसी नस्ल के पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए एक सब्सिडी योजना का प्रस्ताव दिया गया है. इस योजना में गौशाला बनाने, मवेशियों की खरीद और खेती प्रबंधन की लागत पर 75% तक की सब्सिडी दी जाएगी. 2, 4, 15 और 20 गायों की इकाइयों में साहीवाल, गिर और थारपारकर नस्ल की गायों की खरीद पर सब्सिडी की सुविधा पशुपालकों को दी जाएगी.
पशुपालन एवं मत्सय पालन मंत्री अफाक आलम ने कहा कि प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए तैयार होगा. गौशाला के विकास के लिए लाभार्थियों के पास कम से कम 5-10 कट्ठा जमीन होना अनिवार्य है. जैसा कि प्रस्तावित है किसानों को योजना के तहत सब्सिडी अनुदान के लिए संबंधित जिला डेयरी विकास अधिकारियों को ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा.
डेयरी विकास निदेशक, संजय कुमार ने कहा कि 15-20 मवेशियों को संभालने की योजना का लाभ उठाने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को गौशाला बनाने की लागत का 40% तक सब्सिडी दी जाएगी. हालांकि, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अत्यंत पिछड़े वर्ग के छोटे और सीमांत किसानों को दो और चार देशी नस्लों के प्रबंधन के लिए 75% की सब्सिडी दी जाएगी. सामान्य श्रेणी के लोग समान संख्या में मवेशियों के लिए 50% सब्सिडी के हकदार होंगे.
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फिलहाल यह सब्सिडी योजना केवल संकर नस्ल की गायों और भैंसों के लिए उपलब्ध है. “इस वर्ष, स्वदेशी नस्लों के पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए वार्षिक बजट में 40 करोड़ आवंटित किए गए हैं. विभाग ने योजना के तहत लगभग 5,500 लाभार्थियों को सब्सिडी देने का प्रस्ताव दिया है.
अधिकारियों ने कहा कि विभाग स्वदेशी नस्ल की गायों की खरीद के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड या अन्य समान एजेंसियों को शामिल करने की योजना बना रहा है, जो न केवल अधिक पोषण मूल्यों के साथ अच्छी मात्रा में दूध के लिए जानी जाती हैं, बल्कि जलवायु परिस्थितियों के प्रति भी लचीली हैं.
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