Waste Management : कचरा प्रबंधन के गुर सीखकर इन महिलाओं ने अपने गांव को किया कचरामुक्त

Waste Management : कचरा प्रबंधन के गुर सीखकर इन महिलाओं ने अपने गांव को किया कचरामुक्त

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के डोड़की गांव की महिलाएं स्वच्छ भारत अभियान की Brand Ambassador बन कर उभरी हैं. राज्य की विष्णु देव साय सरकार ने इस गांव की महिलाओं को Waste Management के गुर सिखाए. इसकी मदद से महिलाओं ने पहले अपने गांव को कचरा मुक्त बनाया और अब कचरा प्रबंधन को हुनर के रूप में इस्तेमाल कर ये महिलाएं अब Family Income बढ़ा रही हैं

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Waste Management : कचरा प्रबंधन के गुर सीखकर इन महिलाओं ने अपने गांव को किया कचरामुक्तकचरा प्रबंधन के गुर सीख कर महिलाओं ने गांव को बनाया कचरा मुक्त (फोटो: साभार, छग सरकार)

 छत्तीसगढ़ में अपने गांव को साफ सुथरा रखने में गांव की महिलाओं ने कचरा प्रबंधन को कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. बिलासपुर जिले के बिल्हा ब्लॉक में डोड़की गांव की महिलाओं ने Self Help Group बनाकर इस काम को अंजाम दिया है. राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इन महिलाओं ने अब कचरा प्रबंधन को अपने लिए Source of Income भी बना लिया है. इसके लिए इन महिलाओं ने अपने गांव को कचरा मुक्त बनाकर ठोस और तरल कचरा से Organic Compost  बनाने की शुरुआत कर दी है. अब इस जैविक खाद को बेच कर महिलाएं कमाई करके अपने गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं.

मनरेगा में मिली मदद

ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बताया गया कि डोड़की गांव में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कचरा प्रबंधन की मदद से अपने गांव और आसपास के क्षेत्रों को साफ रखने की मुहिम में जुटी हैं. ग्राम पंचायत केवांछी के आश्रित ग्राम डोड़की में जय मां अम्बे समूह की महिलाओं ने कचरा प्रबंधन का सफल मॉडल तैयार करके अपनी और अपने परिवार के साथ गांव की अर्थव्यवस्था में धुरी बनने का काम किया है.

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समूह की महिलाओं को कचरा एकत्र करने के लिए दिए गए तिपहिया वाहन का इस्तेमाल कर ये महिलाएं घर-घर जाकर कचरा एकत्र करके शेड में खाद बनाने का काम कर रही हैं. गांव वालों ने बताया कि ठोस एवं तरल कचरा को अलग करके खाद बनाने के इस प्रकल्प का दोहरा लाभ हो रहा है. इससे गांव भी Garbage Free हो गया, साथ ही जैविक खाद बनने से Natural Farming की तरफ बढ़ रहे किसानों को बेहतर खाद गांव में ही मिलने लगी है. इससे समूह की महिलाओं को आय भी होने लगी है.

हर घर को मिले कचरे के डिब्बे

कचरा एकत्र करने का अभियान शुरू करने से पहले समूह की महिलाओं ने गांव में हर परिवार को नीले एवं हरे रंग का Dust Bin मुहैया कराया है. इसके बाद समूह की महिलाओं ने गांव में चौपाल लगाकर सभी को मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी जानकारियां देना प्रारंभ किया. अब इन महिलाओं द्वारा हर घर से तरल और ठोस कचरा एकत्र कर शेड और वर्मी टैंक में खाद बनाई जा रही है.

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समूह की महिलाओं ने कचरा निस्तारण करके, इससे बनी जैविक खाद और ठोस कचरे के रूप में प्राप्त प्लास्टिक की बिक्री भी शुरू कर दी है. इससे समूह को सालाना 30 हजार से 40 हजार रुपए तक की आमदनी हो रही है. समूह की महिलाओं ने इस उपक्रम को अपने गांव से आगे ले जाकर इसका दायरा बढ़ाने का फैसला किया है. जिससे उनकी आमदनी भी बढ़े और पूरा इलाका साफ सुथरा भी हो सके.

यह प्रकल्प शुरू होने से पहले गांव में इधर-उधर कचरा फैला रहता था. इससे गंदगी के कारण गांव में बीमारियों का खतरा भी बना रहता था. अब महिलाओं द्वारा कचरे का सही प्रबंधन करने के बाद गांव में पेयजल की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है.

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