महाराष्ट्र में MSP पर 31 जनवरी तक होगी सोयाबीन की खरीद, कृषि मंत्री ने दी बड़ी जानकारी

महाराष्ट्र में MSP पर 31 जनवरी तक होगी सोयाबीन की खरीद, कृषि मंत्री ने दी बड़ी जानकारी

कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा, महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ये मांग आई थी कि सोयाबीन खरीदी की समय सीमा 31 जनवरी तक बढ़ाई जाए, इसलिए महाराष्ट्र सरकार के लिए हम सोयाबीन खरीदी की समय सीमा 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा रहे हैं. राजस्थान की सरकार ने भी सोयाबीन की खरीदी की समय सीमा 4 फरवरी तक बढ़ाने की मांग की है, इसलिए राजस्थान में भी 4 फरवरी 2025 तक सोयाबीन की खरीदी जारी रहेगी. तेलंगाना राज्य ने अतिरिक्त खरीदी की मांग की थी, तो उसे भी बढ़ाया गया है.

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महाराष्ट्र में MSP पर 31 जनवरी तक होगी सोयाबीन की खरीद, कृषि मंत्री ने दी बड़ी जानकारीकेंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों के कल्याण के लिए निरंतर काम कर रहा है. उन्होंने कहा. यह बताते हुए खुशी है कि सोयाबीन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी है और अब तक हम रिकॉर्ड 13 लाख 68 हजार 660 मीट्रिक टन से ज्यादा सोयाबीन खरीद चुके हैं. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ये मांग आई थी कि सोयाबीन खरीदी की समय सीमा 31 जनवरी तक बढ़ाई जाए, इसलिए महाराष्ट्र सरकार के लिए हम सोयाबीन खरीदी की समय सीमा 31 जनवरी 2025 तक बढ़ा रहे हैं. 

राजस्थान की सरकार ने भी सोयाबीन की खरीदी की समय सीमा 4 फरवरी तक बढ़ाने की मांग की है, इसलिए राजस्थान में भी 4 फरवरी 2025 तक सोयाबीन की खरीदी जारी रहेगी. तेलंगाना राज्य ने अतिरिक्त खरीदी की मांग की थी, तो उसे भी बढ़ाया गया है. 

हाल के दिनों में सोयाबीन किसानों को सबसे अधिक परेशान देखा गया क्योंकि समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद नहीं होने से उनकी कई शिकायतें रहीं. किसानों ने यह भी कहा कि उनकी उपज की खरीद एमएसपी पर नहीं हो रही है. साथ ही इसका रेट इतना कम चल रहा है कि वे खेती की लागत भी नहीं निकाल पाएंगे. किसानों की इन समस्याओं का समाधान करते हुए कृषि मंत्री ने एमएसपी में बढ़ोतरी और खरीद की अवधि भी बढ़ाने का ऐलान किया था. अब इसकी तारीख बढ़ने से किसानों ने राहत की सांस ली है.

वाटरशेड परियोजनाओं को मंजूरी

इसी तरह, आज भूमि संसाधन विभाग की ओर से 56 नई वाटरशेड विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि खर्च होगी. अंतत: मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए और मिट्टी के संरक्षण के लिए और भूजल का स्तर बढ़ाने के लिए ये वाटर शेड का उपयोग होगा, आज ये फैसले किए गए हैं.

भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर), ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) के वाटरशेड विकास को चला रहा है, जिसका उद्देश्य वाटरशेड विकास परियोजनाएं चलाकर देश के बंजर और वर्षा सिंचित क्षेत्रों का विकास करना है.

हर सोमवार को कृषि की समीक्षा

शिवराज सिंह चौहान ने आज कृषि एवं किसान मंत्रालय की समीक्षा बैठक में कहा कि कृषि एवं किसान देश और देश की जनता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हर सप्ताह खेती-किसानी की स्थितियों में कुछ न कुछ परिवर्तन होता है, इसलिए हमने फैसला किया है कि कृषि की स्थिति की साप्ताहिक समीक्षा हर सोमवार करेंगे. अपवादस्वरूप अगर कोई ऐसा कारण आ गया कि सोमवार को समीक्षा नहीं हो सकती है तो एक-दो दिन आगे पीछे करेंगे, लेकिन साप्ताहिक समीक्षा होगी. चौहान ने कहा कि किसानों का तकलीफें दूर करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और हर अधिकारी-कर्मचारी को इस पर संवेदनशील होना चाहिए. 

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि साप्ताहिक समीक्षा में फसलों की स्थिति, कहीं फसलों में कोई रोग तो नहीं लगा, अगर कोई रोग लगा है तो उसकी रोकथाम के तत्काल उपाय क्या हो सकते हैं, इसके लिए राज्य सरकारों को एडवाइजरी जारी करने के साथ-साथ कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को अवेयर करना, फिर संबंधित बीमारी की रोकथाम के लिए टीम भेजने की जरूरत होगी तो टीम भी भेजेंगे. साथ ही दवाइयां उपलब्ध है कि नहीं, और केवल पेस्टिसाइड ही नहीं, बल्कि उसकी कीमत भी नियंत्रित रहे, क्योंकि कई बार किसानों ने शिकायतें की है कि पेस्टिसाइड पर एमआरपी नहीं होती है. ऐसी स्थिति ना बनें, किसानों को निर्धारित दाम पर कीटनाशक और फसलों के रोगों की रोकथाम की दवाइयां मिल जाएं, इस संबंध में राज्य सरकारों से आग्रह करेंगे कि नियमों का पालन किया जाएं और किसानों को उचित दाम पर कीटनाशक मिले.

इन मुद्दों पर होगी समीक्षा 

शिवराज सिंह ने कहा कि इसके साथ-साथ मौसम की स्थिति और उसका फसलों पर पड़ने वाला प्रभाव, इसकी भी समीक्षा की जाएगी. अगर फसल आ रही है तो फसल की स्थिति कैसी है, कितना उत्पादन होगा उसकी जानकारी, बाजार में हमारे पास कितना संभावित उत्पादन आने वाला है, उसके ठीक दाम किसान को मिल जाएं, उसके उपाय करने होंगे तो वो भी किए जाएंगे, और इसके आधार पर कहीं मौसम की प्रतिकूलता के कारण फसलें खराब हुई तो क्षति और उसका आकलन, फसल बीमा योजना का लाभ आदि के बारे में समीक्षा की जाएगी. अब ये ऐसे विषय नहीं है कि, जिसके लिए इंतजार करें कि एक महीने बाद बैठक करेंगे और इसलिए हर चीज़ पर नज़र रखने के लिए हर सप्ताह समीक्षा करेंगे. हरेक विभाग के साथ बैठक करेंगे और जो जरूरी होगा किसान के कल्याण, फसलों बेहतरी और कृषि उत्पादन के लिए, वो सभी कदम उठाए जाएंगे.

 

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