हरियाणा में गिरते हुए भूजल स्तर को सुधारने के लिए सरकार बड़ी पहल कर रही है. जमीन के नीचे दिनोंदिन घटते पानी के स्तर को बनाए रखने के लिए हरियाणा सरकार ने बड़ा ऐलान किया है. इसके लिए सरकार सीधी बिजाई पर किसानों को बड़ी सुविधा दे रही है. सीधी बिजाई में पानी का खर्च ना मात्र का होता है. इसमें धान रोपने के लिए खेत में पानी देने और मिट्टी की कीचड़ भी तैयार नहीं करनी होती है जबकि धान में बड़े पैमाने पर पानी का खर्च होता है. इस खर्च को बचाने के लिए हरियाणा सरकार सीधी बिजाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 4000 प्रति एकड़ रुपये देगी. इसके अलावा, धान की सीधी बिजाई की मशीनों पर 40 हजार रुपये प्रति मशीन सब्सिडी दी जाएगी.
करनाल कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप-निदेशक डॉ. आदित्य प्रताप डबास ने बताया कि लगातार गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए विभाग की ओर से जिला के किसानों से डीएसआर विधि से धान की बिजाई करने के अपील की जा रही है. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा धान की सीधी बजाई अपनाने और किसानों को प्रेरित करने के लिए व्यापक योजना बनाई गई है. डबास ने बताया कि जिले में धान की सीधी बिजाई पर 18000 एकड़ का लक्ष्य रखा गया है. इसमें प्रति एकड़ 4000 रुपये अनुदान के तौर पर धान की सीधी बजाई अपनाने वाले किसानों के खाते में डीबीटी के माध्यम से दी जाएगी. किसान धान की सीधी बिजाई पर सब्सिडी के लिए 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल https://fasal.haryana.gov.in पर 30 जून तक अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.
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कृषि विभाग के उप निदेशक आदित्य प्रताप डाबस ने कहा कि 50 डीएसआर मशीन भी इच्छुक किसानों को दिए जाने की योजना है. मशीन के कुल मूल्य का 50 परसेंट या 40 हजार रुपये जो भी कम हो, प्रति मशीन सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. धान की सीधी बिजाई मशीन पर सब्सिडी के लिए किसान ट्रैक्टर के वैध कागजात के आधार पर 15 मई 2023 तक आवेदन कर सकते हैं. इसके बाद किसानों के कागजात की जांच होगी और सबकुछ सही पाए जाने पर उनके खाते में डीबीटी के जरिये सब्सिडी का पैसा जारी कर दिया जाएगा.
बढ़ती गर्मी के बीच गिरते हुए भूजल को बचाने के लिए सरकार लगातार कई तरह के प्रयास कर रही है. उसी कड़ी में धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को सरकार की तरफ से 4000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में पानी की दिक्कत पैदा न हो. पानी की यह दिक्कत पेयजल से लेकर सिंचाई तक में होने लगी है. पानी का जो स्तर पहले 30-40 फीट पर मिल जाया करता था, अब वह बहुत नीचे चला गया है. इसके लिए गहराई में बोरवेल करना होता है. गहरे पानी को खींचने के लिए अधिक बिजली या डीजल की खपत होती है.
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सीधी बिजाई में पानी की बहुत बचत होती है, इसीलिए हरियाणा सरकार इस पर जोर दे रही है. धान की सीधी रोपाई करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि पानी की बचत हो सके. सीधी बिजाई एक ऐसी तकनीक है, जिसमें धान के पौधे का बिचड़ा तैयार किए बिना सीधा खेत में बीज छिड़कर उसे उगाया जाता है. इस प्रक्रिया में धान की रोपाई की जरूरत नहीं होती है. सबसे खास बात यह है कि किसानों को धान की रोपाई में आने वाले खर्च, समय और मेहनत तीनों की बचत होती है.
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