यूपी बीजेपी में क्या चल रहा है? क्या यह शक्ति प्रदर्शन है या फिर नाराजगी को कम करने की कोशिश!

यूपी बीजेपी में क्या चल रहा है? क्या यह शक्ति प्रदर्शन है या फिर नाराजगी को कम करने की कोशिश!

विधायकों मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से मिलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर बेलगाम अफसरशाही से कोई नाराजगी है तो वह उसे दूर करने के लिए जो कदम आगे बढ़ाने को तैयार हैं.  उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक अब खुलकर अपनी बात रखने लगे हैं वह चाहे सरकार से नाराज विधायक हो चाहे योगी सरकार के समर्थक इन दोनों बीजेपी के विधायकों की पूछ दोनों तरफ बढ़ी हुई है.

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यूपी बीजेपी में क्या चल रहा है? क्या यह शक्ति प्रदर्शन है या फिर नाराजगी को कम करने की कोशिश!यूपी में बढ़ते विवाद के बीच योगी आदित्‍यनाथ मिल रहे विधायकों से

विधायकों मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों से मिलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ लगातार यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर बेलगाम अफसरशाही से कोई नाराजगी है तो वह उसे दूर करने के लिए जो कदम आगे बढ़ाने को तैयार हैं.  उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विधायक अब खुलकर अपनी बात रखने लगे हैं वह चाहे सरकार से नाराज विधायक हो चाहे योगी सरकार के समर्थक इन दोनों बीजेपी के विधायकों की पूछ दोनों तरफ बढ़ी हुई है. ज्यादातर ओबीसी विधायकों की इन दोनों बल्ले-बल्ले हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अब बीजेपी में सुनवाई के कई खेमे बन गए हैं. कुछ लोग केशव मौर्य से मिलकर अपनी पीड़ा अपना दर्द बता रहे हैं तो कुछ सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर अपनी बात कह रहे हैं. 

सीएम के सामने साझा कर रहे दर्द 

ज्यादातर विधायक और मंत्री, मुख्यमंत्री के साथ आमने-सामने की मुलाकात में अपनी पीड़ा खासकर अफसरशाही का दर्द बयां कर रहे हैं. वही बात वह मीडिया के साथ भी साझा कर रहे हैं.  हाल के दिनों में सैयद राजा से विधायक सुशील सिंह बुलंदशहर से प्रदीप चौधरी और नंदकिशोर गुर्जर ने अफसरशाही के खिलाफ खुलकर बयान दिया. आज मुरादाबाद मंडल की बैठक में जाते हुए नंदकिशोर गुर्जर ने बेलगाम अफसरशाही पर निशाना साधा और इशारों में मुख्यमंत्री पर भी, यह भी कह दिया कि मुख्यमंत्री अगर इसका सबूत मांगते हैं तो सबूत कहां से लाएंगे हमारी बात ही सबूत है. 

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डैमेज कंट्रोल में लगे सीएम योगी 

उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं. पहले विधायकों और जनप्रतिनिधियों को मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ता था. लेकिन अब कोई भी जनप्रतिनिधि अगर मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगता है तो मुख्यमंत्री न सिर्फ तुरंत वक्त दे रहे हैं बल्कि मुलाकात भी कर रहे हैं. यही नहीं मुख्यमंत्री लगातार प्रत्येक मंडल की प्रशासनिक समीक्षा कर रहे हैं. इसमें अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों खासकर वहां के विधायक एमएलसी सांसद और मंत्रियों को बुलाया जाता है. अफसरशाही को लेकर उनकी शिकायतें भी पूछी जा रही है. इस बीच ही आजमगढ़ मंडल की समीक्षा बैठक के दौरान एक एमएलसी रामसूरत ने मुख्यमंत्री से अधिकारियों के पास सुनवाई न होने, फोन ना उठाने और शिकायतों पर कार्रवाई न करने की बात कह डाली. 

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केशव मौर्य से मिले राजभर और निषाद 

उधर केशव मौर्य के पास जाने वालों में ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद का नाम अहम है. राज्य का राजनीतिक तापमान तब बढ़ गया जब आजमगढ़ की बैठक में ओमप्रकाश राजभर नहीं गए. जबकि इसी शाम उन्होंने डिप्टी सीएम केशव मौर्य से मुलाकात की जिसकी फोटो केशव मौर्य की टीम ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी. अगले दिन संजय निषाद भी केशव मौर्य से मिलने पहुंच गए. ऐसे में यह मैसेज निकलने लगा कि यूपी बीजेपी में ओबीसी धड़ा अलग तरीके से सोच रहा है और काम कर रहा है.

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संघ की मदद से सुलझेगा मसला! 

अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर हमला बोला है. उनके मुताबिक केंद्र की बीजेपी चाहती है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी का यह झगड़ा चलता और बढ़ता रहे ताकि केंद्र में कमजोर बीजेपी यूपी में अपनी चला सके. बहरहाल फिलहाल विधायकों की नाराजगी को दूर करने में मुख्यमंत्री अपने स्तर से भी जुटे हैं. दूसरी तरफ संघ का एक वर्ग भी बीजेपी के भीतर की खाई को पाटने में लगा है. अब देखना है यह मुलाकातें क्या शक्ति प्रदर्शन की ओर बढ़ती हैं या फिर बीजेपी के अंदर ओबीसी की नाराजगी और विधायकों की नाराजगी धीरे-धीरे शांत हो जाती है. 

(लखनऊ से कुमार अभिषेक की रिपोर्ट) 

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