महाराष्ट्र के डिप्टी-सीएम अजित पवार ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग की है. इस मीटिंग के दौरान उन्होंने एनसीपी के लिए 80-90 सीटों की मांग की है. अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के घटकों के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत तेज हो गई है. अमित शाह के साथ अपनी छोटी मुलाकात दौरान अजित पवार ने सीटों के बंटवारे को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने और लोकसभा चुनावों की तरह अंतिम क्षण तक 'अटकने' से बचने पर जोर दिया है.
सूत्रों के अनुसार अजित पवार साल 2019 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी द्वारा जीती गई 54 सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़े हुए हैं. इसके अलावा अजित पवार पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और उत्तरी महाराष्ट्र (खानदेश) क्षेत्र से कांग्रेस के खिलाफ 20 सीटों पर चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं. उपमुख्यमंत्री मुंबई में कांग्रेस के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय के प्रभुत्व वाली 4-5 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं. सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि अजित पवार को तीन निर्दलीय और तीन कांग्रेस विधायकों को अपनी पार्टी से चुनाव लड़ाने का भी भरोसा है.
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वरिष्ठ बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस भी पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व के साथ बैठक के लिए सुबह-सुबह दिल्ली पहुंचे. अजित पवार की अमित शाह के साथ यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब कुछ दिन पहले ही आरएसएस से जुड़े एक साप्ताहिक अखबार ने महाराष्ट्र में लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के लिए बीजेपी के साथ एनसीपी के गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया था. अजित पवार के लिए मामला तब और जटिल हो गया जब पिंपरी-चिंचवाड़ इकाई के शहर अध्यक्ष सहित पुणे के 28 एनसीपी नेता पार्टी छोड़कर शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में में शामिल हो गए.
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बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 28 सीटों पर चुनाव लड़कर सिर्फ 9 सीटें जीतीं. जबकि साल 2019 में उसने 23 सीटें जीती थीं. अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने सिर्फ एक रायगढ़ की सीट पर ही जीत हासिल की. वहीं शरद पवार के गुट को आठ सीटों पर जीत हासिल हुई है. इस बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का शिवसेना गुट 100 सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर प्रतिबद्ध है, जबकि बीजेपी ने 160 से 170 सीटों का लक्ष्य रखा है. अब यह देखना होगा कि महायुति गठबंधन के तीन बड़े दल 288 विधानसभा सीटों के लिए एक-दूसरे के साथ किस तरह तालमेल बिठाते हैं.
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