राजस्थान में सरकार बनने के बाद से ही असंतुष्ट चल रहे राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री एवं कृषि मंत्री डाक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. किरोड़ी लाल मीणा ने लोकसभा चुनाव में दौसा सीट हारने पर इस्तीफ़ा देने की क़सम खाई थी. बीजेपी दौसा सीट सबसे ज़्यादा वोटों से हारी. हालांकि मीणा ग्रामीण विकास मंत्रालय से पंचायती राज और कृषि मंत्रालय से कृषि मंत्री बनाए जाने से पहले दिन से ख़फ़ा थे. इससे पहले डाक्टर किरोड़ी लाल मीणा अपने भाई जगमोहन मीणा को दौसा लोकसभा सीट से टिकट दिलवाना चाह रहे थे. मगर पार्टी ने कन्हैयालाल मीणा को टिकट दे दिया.
डाक्टर किरोड़ी लाल मीणा सवाईमाधोपुर सीट से विधायक हैं. वहां भी बीजेपी बुरी तरह हारी थी. किरोड़ी लाल मीणा की वजह से कांग्रेस का परंपरागत मीणा आदिवासी वोट कांग्रेस से हटकर विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ़ आया था. लेकिन किरोड़ी की अनदेखी के बाद लोकसभा में मीणाओं ने वापस कांग्रेस का साथ दिया. पूर्वी राजस्थान में डाक्टर किरोड़ी लाल मीणा का दबदबा है जहां पर दौसा और देवली -उनियारा सीट पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. मीणा ने तीन दिन पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने इन्हें दिल्ली बुलाया था. मगर कहा जा रहा है कि सरकार में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से किरोड़ी लाल मीणा के मतभेद काफ़ी बढ़ गए थे. कल रात मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में कृषि मंत्रालय का जवाब देने के लिए दूसरे मंत्री सुमीत गोदारा को जिम्मा सौंप दिया था.
कृषि, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और राहत मंत्री मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पूर्वी राजस्थान की सात सीटें सौंपी हैं, जिन पर उन्होंने चुनाव के दौरान कड़ी मेहनत की थी. लेकिन 4 जून को घोषित लोकसभा चुनाव के रिजल्ट में बीजेपी ने इनमें से कुछ सीटें खो दीं, जिनमें उनका गृह क्षेत्र दौसा भी शामिल है. कुल मिलाकर बीजेपी ने राज्य की 25 सीटों में से 14 पर जीत हासिल की, जबकि 2019 के चुनावों में उसे 24 सीटें मिली थीं. मंत्री के एक सहयोगी ने कहा, "किरोड़ी मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने 10 दिन पहले मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप दिया था."
ये भी पढ़ें: Animal Care: बच्चा देने वाली भैंसों के लिए खास है जुलाई का महीना, ऐसे करें देखभाल
गुरुवार को मीणा ने रामचरित मानस की प्रसिद्ध पंक्तियां 'रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई' पोस्ट करके किसी भी कीमत पर अपना वादा निभाने के अपने अटूट इरादे के बारे में बताया. मीणा ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर, अलवर, टोंक-सवाईमाधोपुर और कोटा-बूंदी सहित पूर्वी राजस्थान की सीटों पर प्रचार किया था. पिछले महीने घोषित नतीजों में बीजेपी ने दौसा, भरतपुर, करौली-धौलपुर और टोंक-सवाई माधोपुर सीट गंवा दी थी.
मीणा ने कहा कि उन्होंने अपना वादा निभाने के लिए इस्तीफा दिया है. उन्होंने गुरुवार को एक समाचार चैनल से कहा, "नाराजगी की कोई वजह नहीं है. मैंने इस्तीफा दे दिया है. मैं हाल ही में हुई कैबिनेट बैठक में नहीं गया था, क्योंकि अगर मैं इस्तीफा देता तो नैतिक रूप से जा सकता था. मैं मुख्यमंत्री से भी मिला था. उन्होंने सम्मानपूर्वक कहा था कि वे इस्तीफा स्वीकार नहीं करेंगे."
ये भी पढ़ें: Agri Quiz: केले के एक पौधे को हर दिन कितना लीटर देना चाहिए पानी, जानें कब और कैसे करें सिंचाई?
मीणा ने कहा कि उन्होंने पहले ही सार्वजनिक रूप से घोषणा कर दी थी कि अगर पार्टी उन सीटों पर जीत हासिल नहीं करती है, जिन पर उन्होंने काम किया है, तो वे इस्तीफा दे देंगे. पिछले साल दिसंबर में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद भी वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे, लेकिन पार्टी हाईकमान ने पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को राज्य का नेतृत्व सौंपा. पांच बार विधायक और पूर्व राज्यसभा सांसद किरोड़ी मीणा दौसा और सवाई माधोपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today