भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा की तारीफ करते हुए कहा कि राहुल गांधी अपना काम बहुत अच्छे से कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 13 साल पहले जो मामला शुरू हुआ था, उस पर अब जाकर विपक्ष ने ध्यान दिया है. यह मुकदमा बिहार से शुरू हुआ था, लेकिन इसे पहले ही चुनाव में पकड़ना चाहिए था. राकेश टिकैत ने सवाल उठाया कि अगर विपक्ष को अब जाकर समझ आ रही है, तो उन्हें इस पर ठोस काम करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि वोट की चोरी कोई नई बात नहीं है- यह हर जगह हो रही है, चाहे वह जिला पंचायत चुनाव हो या ग्राम प्रधान का चुनाव.
राकेश टिकैत ने सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि जिला पंचायत और प्रधान के चुनावों में भी वोट चोरी हो रही है. उन्होंने सवाल किया कि जब लोगों को पता नहीं कि प्रधान कैसे बने या जिला पंचायत के सदस्य कैसे चुने गए, तो समझ लेना चाहिए कि कहीं न कहीं गड़बड़ी जरूर हुई है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को पाकिस्तान कहने वाले संगीत सोम के बयान पर राकेश टिकैत ने पलटवार करते हुए कहा कि यह सब हारने के बाद की हताशा है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार मुसलमानों का इलाज करना चाहती है, जबकि मुसलमान तो इकट्ठा भी नहीं हो रहे हैं. राकेश टिकैत ने कहा कि "हमें इकट्ठा होने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी." उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद लोग इस तरह के बयान देते हैं ताकि सुर्खियों में बने रहें.
हरिद्वार में किसानों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर राकेश टिकैत ने बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि 28 तारीख को एक बड़ी पंचायत बुलाई गई है. अगर तब तक प्रशासन ने जवाब नहीं दिया या कार्रवाई नहीं की, तो आंदोलन और तेज होगा.
उनका साफ कहना है कि जब तक किसानों पर हुए लाठीचार्ज के दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, धरना जारी रहेगा. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि- "अगर मुख्यमंत्री से मीटिंग होती है, तो 28 तारीख के बाद फैसला लिया जाएगा, वरना उसी दिन निर्णय ले लिया जाएगा."
राकेश टिकैत ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ भी आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि जो लोग स्मार्ट मीटर का समर्थन करते हैं, उन्हें अपने घरों में लगवाने चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि NGT कानून और MSP गारंटी जैसे अहम मुद्दों पर सरकार चर्चा से बच रही है. उनका कहना था कि सरकार पहले ही किसानों पर लाठियां चलवा रही है और संवाद करने की कोशिश नहीं कर रही है. यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है.
राकेश टिकैत ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की गैरमौजूदगी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि – "जिस देश का राष्ट्रपति ही गायब हो जाए, वहाँ वोट चोरी बहुत छोटी बात है." उन्होंने पूछा कि उपराष्ट्रपति कहां हैं, उनका कोई बयान क्यों नहीं आ रहा है? क्या वो बीमार हैं या बंधक बनाए गए हैं? इस बयान से टिकैत ने सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं और लोगों से मांग की है कि सरकार पारदर्शिता बनाए रखे.
राकेश टिकैत के इन बयानों से यह साफ हो गया है कि 28 अगस्त 2025 को एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक हलचल देखने को मिल सकती है. किसानों का गुस्सा, विपक्ष की सक्रियता और सरकार की चुप्पी– ये सभी पहलू आने वाले दिनों में एक बड़े आंदोलन की जमीन तैयार कर सकते हैं.
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