भारत-अमेरिका ट्रेड डील में कृषि क्षेत्र को लेकर मामला फंसा हुआ है, जिसपर भारत ने बहुत पहले से रुख साफ कर दिया है कि वह देश के किसानों के हितों के खिलाफ कोई फैसला नहीं लेगा. पीएम नरेंद्र मोदी ने भी 15 अगस्त को लाल किले से बिना किसी का नाम लिए इस पर साफ संदेश दिया था. वहीं, अब केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी व्यापारिक समझौते को लेकर मुखरता से जवाब देते हुए कहा है कि किसी भी प्रकार से देश के और किसानों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा. शाह ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर नए टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत अमेरिका के साथ किसी भी व्यापार समझौते में अपने किसानों या व्यापक राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं करेगा.
केरल के कोच्चि में आयाेजित एक कार्यक्रम में शाह ने कहा, "मोदी जी (प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी) ने स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी व्यापार समझौता भारत के हितों से ऊपर नहीं होगा."
एक सवाल-जवाब सत्र के दौरान गृह मंत्री ने कहा, "हमारे लोगों की कीमत पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा. किसानों के हितों को खतरे में नहीं डाला जाएगा. हम जो कुछ भी करेंगे, उसमें राष्ट्र के हितों को सर्वोपरि रखा जाएगा."
यह टिप्पणी अमेरिका द्वारा कपड़ा, समुद्री उत्पादों और चमड़े जैसे भारतीय निर्यातों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद आई है, जिसमें नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद का हवाला दिया गया है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था महज एक दशक में दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से उछलकर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है.
उन्होंने इसकी तुलना पिछली कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार से की. उन्होंने पिछली सरकार पर अर्थव्यवस्था को ढलान पर जाने देने का आरोप लगाया. शाह ने मौजूद लोगों से कहा, "जब तक हम शिखर पर नहीं पहुंच जाते और एक महान भारत का निर्माण नहीं कर लेते, किसी को भी आराम करने का अधिकार नहीं है."
उन्होंने नागरिकों से देश को हर क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचाने के लिए ‘पूरी ताकत’ लगाने का आग्रह किया. उन्होंने केरल की सत्तारूढ़ वामपंथ पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा कि राज्य देश के बाकी हिस्सों के साथ तालमेल बिठाने में विफल रहा है.
उन्होंने दावा किया, "केरल में अपार अवसर हैं, लेकिन कम्युनिस्ट विचारधारा के कारण उत्पन्न गतिरोध ने इसके विकास को रोक दिया है." उन्होंने उम्मीद जताई कि मतदाता बदलाव लाएंगे. वाशिंगटन के साथ तीव्र व्यापारिक तनाव के बावजूद, शाह ने कहा कि मोदी सरकार का ध्यान "स्थिरता, शांति और विकास" पर बना हुआ है. उन्होंने कहा, "जब इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा, तो मोदी के नेतृत्व के ये 11 साल स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होंगे."
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