इफको के बाद अब नेफेड में भी गुजरात लॉबी की एंट्री, बीजेपी व‍िधायक जेठाभाई अहीर को म‍िली कमान 

इफको के बाद अब नेफेड में भी गुजरात लॉबी की एंट्री, बीजेपी व‍िधायक जेठाभाई अहीर को म‍िली कमान 

नेफेड के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की स‍ियासत नजर आई वहीं ब‍िहार की राजनीत‍ि भी देखने को म‍िली. न‍िदेशकों के चुनाव में आरजेडी के एमएलसी सुनील कुमार स‍िंह को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें बीजेपी नेता व‍िशाल स‍िंह ने हराया. हालांक‍ि, समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद चंद्रपाल स‍िंह यादव का भी दबदबा कायम है. 

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इफको के बाद अब नेफेड में भी गुजरात लॉबी की एंट्री, बीजेपी व‍िधायक जेठाभाई अहीर को म‍िली कमान गुजरात व‍िधानसभा के उपाध्यक्ष जेठाभाई अहीर बने नेफेड के नए अध्यक्ष.

इफको के बाद अब भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) में भी गुजरात लॉबी की एंट्री हो गई है. गुजरात व‍िधानसभा के उपाध्यक्ष जेठाभाई अहीर (भरवाड़) को नेफेड का नया चेयरमैन चुना गया है. बोर्ड के 21 सदस्यों ने उनका न‍िर्व‍िरोध चयन क‍िया. बताया गया है क‍ि नेफेड में पहली बार बीजेपी से जुड़ा कोई व्यक्त‍ि चेयरमैन बना है. इससे पहले ब‍िजेंद्र स‍िंह चेयरमैन थे, जो कांग्रेस से जुड़े थे और द‍िल्ली की नांगलोई व‍िधानसभा सीट से व‍िधायक रह चुके थे. वो 2007 से 2014 तक और 2019 से 2024 तक नेफेड के चेयरमैन रहे. बहरहाल, अब सहकार‍िता क्षेत्र की इस महत्वपूर्ण संस्था में बीजेपी और वो भी गुजरात का दबदबा कायम हो गया है. चेयरमैन और वाइस चेयरमैन का चुनाव बोर्ड मेंबर करते हैं. 

जेठाभाई अहीर, गुजरात की सेहरा विधानसभा से व‍िधायक हैं. वो सहकारी नेता हैं. उनकी उम्र 74 साल हो चुकी है. उन्होंने स्नातक तक पढ़ाई की हुई है. पेशे से वो क‍िसान और पशुपालक हैं लेक‍िन राजनीत‍ि में भी अच्छी दखल रखते हैं. वो गुजरात स्टेट कॉपरेट‍िव मार्केट‍िंग फेडरेशन से जुड़े हुए हैं. अहीर के नाम की चर्चा पहले से ही चल रही थी. कुछ द‍िन पहले उन्हें नेफेड का नया चेयरमैन चुना जाना लगभग तय हो गया था और अंतत: उन्हें न‍िर्व‍िरोध चुन ल‍िया गया. इससे पहले गुजरात के ही बीजेपी नेता द‍िलीप भाई संघाणी को दुन‍िया की नंबर वन कॉपरेट‍िव संस्था इफको का चेयरमैन चुना गया था. 

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पंजाब को म‍िला प्रत‍िन‍िध‍ित्व 

पंजाब स्टेट कॉपरेट‍िव सप्लाई एंड मार्केट‍िंग फेडरेशन से जुड़े तरलोक सिंह को वाइस चेयरमैन चुना गया है. इसी तरह तालुका एग्रीकल्चरल प्रोड्यूज कॉपरेट‍िव मार्केट‍िंग सोयायटी, कर्नाटक के सिद्दप्पा एस होट्टी को भी वाइस चेयरमैन चुना गया है. उधर, नेफेड के 21 बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से 15 को न‍िर्व‍िरोध चुना गया है. लेक‍िन सबसे द‍िलचस्प जंग ब‍िहार के दो नेताओं के बीच रही. 

नेफेड में ब‍िहार की स‍ियासत 

नेफेड के चुनाव में ब‍िहार की स‍ियासत भी देखने को म‍िली. न‍िदेशकों के चुनाव में न‍िर्वतमान उपाध्यक्ष और ब‍िहार से आरजेडी के एमएलसी सुनील कुमार स‍िंह को हार का सामना करना पड़ा. उन्हें नेशनल कंज्यूमर कॉपरेट‍िव फेडरेशन (NCCF) के चेयरमैन व‍िशाल स‍िंह ने करारी श‍िकस्त दी. व‍िशाल स‍िंह आरा से जेडीयू की पूर्व सांसद मीना सिंह के पुत्र हैं. मार्च 2023 में मीना सिंह और उनके बेटे व‍िशाल स‍िंह दोनों ने पटना में बीजेपी का दामन थाम ल‍िया था.

कुंदार‍िया को म‍िली जगह 

हालांक‍ि, न‍िवर्तमान चेयरमैन ब‍िजेंद्र स‍िंह भी नेफेड में डायरेक्टर के रूप में बने रहेंगे. वो द‍िल्ली स्टेट कॉपरेट‍िव सप्लाई फेडरेशन से जुड़े हुए हैं. बीजेपी नेता अशोक ठाकुर सरकार द्वारा नॉम‍िनेटेड डायरेक्टर के रूप में पहले की तरह काम करते रहेंगे. गुजरात के बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय कृष‍ि राज्य मंत्री मोहनभाई कुंदार‍िया को भी नेफेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में जगह म‍िली है.

चंद्रपाल यादव दबदबा कायम

कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको) के चेयरमैन चंद्रपाल स‍िंह यादव को नेफेड में भी ज‍िम्मेदारी म‍िली है. वो भी डायरेक्टर चुने गए हैं. यादव समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं. सांसद रह चुके हैं. यादव 1999 से लगातार 2010 तक कृभको के चेयरमैन रहे हैं. साल 2015 में फिर से वो कृभको के चेयरमैन बने और अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं. यही नहीं, वो अंतरराष्ट्रीय सहकारी राजनीति में अच्छा दखल रखते हैं. वो इंटरनेशनल कॉपरेट‍िव अलायंस में एशिया प्रशांत रीजन के चेयरमैन चुने जाने वाले पहले और अभी तक एक मात्र भारतीय हैं.  

क‍िसके ह‍ित को वरीयता देंगे अहीर? 

अब देखना यह है क‍ि क‍िसानों के ह‍ितों को सुरक्ष‍ित रखने के ल‍िए बनी इस संस्था को क्या न‍िर्वतमान चेयरमैन ब‍िजेंद्र स‍िंह के कार्यकाल की तरह जेठाभाई अहीर भी कंज्यूमर सेंट्र‍िक बना देंगे या फ‍िर इसके कामकाज को क‍िसान केंद्र‍ित बनाएंगे. नेफेड पर लगातार यह आरोप लग रहे हैं क‍ि यह संस्था क‍िसानों के ल‍िए बनी जरूर थी, लेक‍िन अब वो क‍िसानों की कीमत पर कंज्यूमर के ल‍िए काम कर रही है. इसके कामकाज की पारदर्श‍िता पर भी क‍िसान लगातार सवाल उठा रहे हैं. प्याज के मामले में कम से कम ऐसा ही है. 

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