Basmati Rice Export: अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान द्वारा बाधा बनने के बावजूद राइस क्वीन कहे जाने वाले भारतीय बासमती चावल के एक्सपोर्ट का रिकॉर्ड बन गया है. कमाई के मामले में बात करें तो एक साल में ही 25.61 फीसदी का उछाल आया है. पूरी दुनिया में भारत के बासमती चावल की खुशबू फैल रही है और इससे हम डॉलर कमा रहे हैं. बासमती चावल अब भारत से एक्सपोर्ट होने वाले कृषि उत्पादों में सबसे ऊपर हो गया है, यानी एग्री प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट से हुई कमाई में इसकी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी हो गई है. पाकिस्तान यूरोपीय यूनियन में भारत के बासमती चावल का जीआई टैग लेने का विरोध कर रहा है वरना हमारा एक्सपोर्ट 50 हजार करोड़ के पार चला गया होता.
दुनिया में दो ही देश बासमती चावल का उत्पादन करते हैं, जिसमें भारत पहले और पाकिस्तान दूसरे नंबर पर है. भारत में 95 जिलों में इसकी खेती होती है, जबकि पाकिस्तान में 14 जिले ही इसके दायरे में आते हैं. पाकिस्तान की तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय बासमती की विश्वसनीयता सबसे ज्यादा है. यहां तक कि तमाम मुस्लिम देशों में भी भारतीय बासमती को ही सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. आयातकों की सूची देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
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डायरेक्टरेट जनरल ऑफ़ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (DGCIS) के मुताबिक साल 2023-24 में भारत ने अकेले बासमती चावल को निर्यात करके 48389.2 करोड़ रुपये की कमाई की है. जबकि 2022-23 में इसके निर्यात से हमने 38524.1 करोड़ रुपये ही कमाए थे. यानी एक ही साल में बासमती चावल के एक्सपोर्ट में 9865.1 करोड़ रुपये का उछाल आया है.
डीजीसीआईएस के अनुसार अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक भारत ने दुनिया के 100 से अधिक देशों को 52,42,511 मीट्रिक टन बासमती चावल का एक्सपोर्ट किया. इतना बासमती चावल कभी भी एक्सपोर्ट नहीं किया गया था. अगर इससे पहले साल यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक की बात करें तो हमने 45,60,762 मीट्रिक टन बासमती चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा था. यानी एक साल में ही 6,81,749 मीट्रिक टन अधिक चावल एक्सपोर्ट किया गया. वो भी तब जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कदम-कदम पर हमारा विरोध करने के लिए पाकिस्तान खड़ा रहता है. भारत अपनी विश्वसनीयता के बल पर एक्सपोर्ट बढ़ा पा रहा है.
यूरोपीय यूनियन (ईयू) में बासमती का जीआई टैग लेने पर भारत के सामने पाकिस्तान बाधा डाल रहा है. जबकि हकीकत तो यह है कि उसने हमारी कई किस्मों को चुराकर अपने यहां खेती की हुई है. पाकिस्तान के विरोध की वजह से यूरोपीय यूनियन भारत को बासमती चावल का जीआई टैग देने में आनाकानी कर रहा है. भारत ने जुलाई 2018 में जीआई टैग के लिए यूरोपीय यूनियन में आवेदन किया था.
ईयू अब चाहता है कि भारत और पाकिस्तान दोनों देश संयुक्त रूप से बासमती चावल के जीआई टैग की मांग करें. लेकिन भारत सरकार ने इस तरह के सुझावों को सिरे से खारिज कर दिया है. कुछ बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ईयू में जीआई टैग मिलने के बाद 4 लाख मीट्रिक टन से अधिक बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिसका भारतीय किसानों को बड़ा फायदा होगा. बहरहाल, पाकिस्तान के विरोध के बावजूद पूरी दुनिया में बासमती का बादशाह तो भारत ही है.
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