
भारत प्याज का सबसे बड़ा उत्पादक है. विश्व के प्याज उत्पादन में हमारी हिस्सेदारी लगभग 25 फीसदी है. इसके बावजूद भारत में अक्सर प्याज कभी कम तो कभी ज्यादा दाम की वजह से चर्चा में बना रहता है. आखिर ऐसा क्यों होता है? दरअसल, प्याज को लेकर जितना संवेदनशील आम आदमी है, भारत की सियासत उससे भी ज्यादा संवेदनशील है. नेताओं को ऐसा लगता है कि प्याज उन्हें काट खाएगा. असल में महंगा प्याज कई बार सरकारों को गिरा चुका है. समय ने एक बार फिर करवट लिया है, इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में प्याज बड़ा मुद्दा बन चुका है. लेकिन अंतर यह है कि इस बार सरकार ने कंज्यूमर की बजाय किसानों को ध्यान में रखने हुए फैसला लिया है. इसलिए प्याज महंगा होने की चिंता किए बिना बीच चुनाव में एक्सपोर्ट बैन का फैसला वापस ले लिया गया.
दरअसल, प्याज के दाम को गिराने के लिए सरकार की ओर से अगस्त 2023 से ही लिए जा रहे अलग-अलग फैसलों से महाराष्ट्र के किसानों में बीजेपी के खिलाफ भारी नाराजगी बताई जा रही है. माना जा रहा है कि अगले तीन चरणों की वोटिंग में 14 लोकसभा सीटों पर इसका बड़ा सियासी साइड इफेक्ट पड़ने की संभावना से बचने के लिए सरकार ने आनन-फानन में पांच महीने से चल रहे प्याज एक्सपोर्ट बैन को हटा लिया. बहरहाल, बड़ा सवाल यह है कि क्या इस साल भारत में प्याज का संकट हो सकता है? इसका जवाब जानने के लिए हमें प्याज उत्पादन के आंकड़ों और भारत में प्याज की मांग-आपूर्ति का गुणा-भाग समझना होगा.
इसे भी पढ़ें: प्याज एक्सपोर्ट पर लगी रोक हटाई गई, लोकसभा चुनाव के बीच मोदी सरकार का बड़ा फैसला
अगर आप केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों को देखेंगे तो आपको प्याज की खेती का एरिया और उत्पादन में भारी गिरावट साफ नजर आएगी. जाहिर है कि इससे बाजार में टेंशन होगी. लगातार दो साल से यह गिरावट देखी जा रही है. वजह यह है कि सरकार पॉलिसी के किसी न किसी तिकड़म से प्याज के दाम बढ़ने नहीं दे रही है. ऐसे में पिछले दो साल के दौरान किसानों को 1,2 और 4,5 रुपये किलो पर भी प्याज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इसलिए किसानों ने एलान देकर प्याज की खेती कम कर दी है.
यह किसानों का गुस्सा ही है कि पिछले दो साल में प्याज की खेती के रकबा में 20.5 फीसदी और उत्पादन में 19.6 फीसदी की कमी आई है. इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में प्याज संकट गहरा सकता है. हालांकि, देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में ग्राउंड पर काम करने वाले एक कृषि विशेषज्ञ दीपक चव्हाण ने इसका अलग तरह से विश्लेषण किया है. उनके हिसाब से मांग के मुकाबले प्याज का पर्याप्त उत्पादन है. यही नहीं एक्सपोर्ट करने से भी घरेलू मांग को पूरा करने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
कृषि विशेषज्ञ दीपक चव्हाण ने 'किसान तक' से बातचीत में कहा कि अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक (निर्यात और घाटे को छोड़कर) भारत की घरेलू प्याज मांग 218 लाख मीट्रिक टन है. जबकि प्रति व्यक्ति, प्रति वर्ष खपत 15 किलोग्राम है. इस हिसाब से देश में प्रति माह लगभग 17-18 लाख मीट्रिक टन प्याज की मांग है.
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने रबी सीजन में 191 लाख मीट्रिक टन प्याज के उत्पादन का अनुमान लगाया है. रबी सीजन का प्याज सितंबर तक काम आता है. ऐसे में 17-18 लाख मीट्रिक टन प्रति माह के हिसाब से सितंबर तक यानी अगले छह माह के लिए 100 से 108 लाख मीट्रिक टन प्याज चाहिए.
इस बीच प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के मुताबिक वजन घटने, अंकुरण और सड़ने से 30 प्रतिशत प्याज का नुकसान (57 लाख टन) होने का अनुमान है. इस कटौती के बाद भी हमारे पास एक्सपोर्ट के लिए 26 लाख मीट्रिक टन प्याज रबी सीजन का ही बच सकता है. यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि भारत ने एक साल में अधिकतम 25.25 लाख मीट्रिक टन प्याज का ही एक्सपोर्ट किया है.
उधर, रबी सीजन खत्म होते ही अगस्त से सितंबर तक 6 से 8 लाख टन अर्ली खरीफ वाला प्याज बाजार में आ जाता है. उसके बाद अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में खरीफ का प्याज आ चुका होता है, जो लगभग 30 लाख टन के आसपास होता है. ऐसे में भारत में प्याज की कोई किल्लत नहीं दिखाई दे रही है. बताया गया है कि कुछ इसी तरह के तर्कों के बाद भारत सरकार ने 4 मई को प्याज के एक्सपोर्ट को खोलने का फैसला लिया.
भारतीय प्याज के मुख्यतौर पर दो फसल चक्र होते हैं, पहली कटाई खरीफ सीजन में आमतौर पर नवंबर से जनवरी चलती है और दूसरी कटाई रबी सीजन में जनवरी से मई तक होती है. हालांकि, महाराष्ट्र में हर साल इसकी तीन फसल ली जाती है. यानी भारत में प्याज साल भर उपलब्ध रहता है. यहां का प्याज अपने तीखेपन के लिए प्रसिद्ध है.
बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, मलेशिया, नेपाल, सउदी अरब, अमेरिका, स्पेन, कनाडा, इंग्लैंड, इटली, ईरान, फ्रांस, रोमानिया, बेल्जियम, लेबनान और ताईवान जैसे कम से कम 75 मुल्क भारतीय प्याज के आयातक हैं. यानी इन देशों को भारत प्याज एक्सपोर्ट करता है. भारत में प्याज की छंटाई, ग्रेडिंग और पैकिंग के लिए आधुनिक पैक हाउस मौजूद हैं. यही नहीं कीटनाशकों के अधिकतम अवशेष स्तर (एमआरएल) के अनुपालन को निर्धारित करने के लिए भी पुख्ता इंतजाम हैं.
इसे भी पढ़ें: बासमती चावल के एक्सपोर्ट में भारत ने बनाया रिकॉर्ड, पाकिस्तान के विरोध के बावजूद दबादबा कायम
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today